सितम्बर के पहले शुक्रवार कोई नई बॉलीवुड फिल्म नहीं, पुरानी फिल्मों के भरोसे बॉक्स ऑफिस
जो ज्यादा दर्शक थिएटर में खींच सके तो उसे ओटीटी पर रिलीज कर दिया जा रहा है।
इस महीने की शुरुआत में कई फिल्में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही हैं। 2 सितंबर को अक्षय कुमार की कठपुतली और विद्युत जामवाल की खुदा हाफिज 2-अग्निपरीक्षा डिजिटल स्क्रीन पर रिलीज हो चुकी हैं, लेकिन महीने के पहले शुक्रवार को कोई नई हिंदी फिल्म रिलीज नहीं हुई है। सोशल मीडिया में बायकॉट ट्रेंड के बीच दर्शकों को पुरानी फिल्मों से काम चलाना पड़ रहा है।
इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में तेलुगु फिल्म 'सीता रामम' का हिंदी वर्जन और हॉलीवुड फिल्म 'स्पाइडर-मैन नो वे होम' दोबारा रिलीज हुई हैं।
बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड के बीच दो फिल्में कर रही कमाल
लॉकडाउन अनलॉक के बाद फिल्में रिलीज होना शुरू हुईं तो बॉलीवुड बिजनेस भी ट्रैक पर आने लगा, लेकिन बीते कुछ वक्त में फिल्में या तो फ्लॉप हो रही हैं। बायकॉट ट्रेंड के बीच शुक्रवार 2 सितंबर को दो बड़ी फिल्में 'सीता रामम हिंदी' और 'स्पाइडर मैन नो वे होम' रिलीज हुईं।
'सीता रामम' 1964 की पृष्ठभूमि पर आधारित प्रेम कहानी है। जबकि 'स्पाइडर-मैन नो वे होम' मारवल सुपरहीरो सीरीज की फिल्म है। यह फिल्म स्पाइडर-मैन होमकमिंग (2017) और स्पाइडर-मैन: फार फ्रॉम होम (2019) का सीक्वल है, जो कि इंडिया में री-रिलीज हुई है। इससे पहले यह फिल्म 16 दिसंबर को हिंदी समेत दक्षिण भारतीय भाषाओं में रिलीज की गई थी। अकेले भारत देश में फिल्म ने 213 करोड़ का बिजनेस किया था। फिल्म की सक्सेस के देखते हुए इसे दोबारा सिल्वर स्क्रीन पर दर्शकों के सामने रखा गया है। वहीं, सीता रामम पहली बार तेलुगु और मलयलाम में 5 अगस्त को रिलीज हुई थी।
दर्शकों की नाराजगी कर रही फिल्मों को फ्लॉप
रक्षाबंधन, लाल सिंह चड्ढा और लाइगर जैसी बिग स्टार बजट मूवीज बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटी हैं। इस बारे में फिल्म क्रिटिक अतुल मोहन ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि ऑडियंस को नई स्टोरी और अच्छी एक्टिंग अट्रैक्ट करती है। फिर एक्टर और फिल्म जॉनर कोई भी हो। आज डिजिटल प्लेटफार्म पर अक्षय कुमार की कठपुतली रिलीज हुई। बड़ा एक्टर और दमदार बजट होने के बाद भी फिल्म को थिएट्रिकल रिलीज नहीं दी गई। वहीं, पिछले दिनों रिलीज फिल्मों में लोकेशन, खूबसूरती और बड़ी स्टार कास्ट तो भर-भर कर थी, लेकिन जो नहीं था वह थी कहानी। मैसेज साफ है कि ऑडियंस को एक्टर्स से ज्यादा कहानी से मतलब है। अगर कहानी में दम नहीं, तो आपकी फिल्म नहीं चलेगी।
वहीं, डिजिटल प्लेटफार्म पर फिल्म रिलीज को लेकर अतुल कहते हैं कि यह प्रोड्यूर्स पर निर्भर करता है। बॉक्स ऑफिस पर अधिकतर फिल्मों की दुर्दशा को देखते हुए निर्माता-निर्देशक सेफ साइड रहना पसंद कर रहे हैं। फिल्मों को डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज तो कर दिया जाता है, लेकिन थिएट्रिकल रिलीज ना मिलने से फिल्म का इकोनॉमिक्स बिगड़ जाता है। अगर फिल्म में वह परसेप्शन नहीं है, जो ज्यादा दर्शक थिएटर में खींच सके तो उसे ओटीटी पर रिलीज कर दिया जा रहा है।