Miss Diva Universe 2021 हरनाज संधू ने अपने स्ट्रगल पर खुलकर बात की, कहा- बहुत बॉडी शेमिंग...
मगर साथ ही जब प्रियंका चोपड़ा मैम (अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा) जैसी हस्तियां कई स्टीरियो टाइप को तोड़ती हैं, तो गर्व महसूस होता है
हमारे पास सिर्फ 45 दिन हैं, तैयारी के लिए और मैंने अपनी पूरी जान लगा देनी है, ताज को वापिस लाने के लिए। मैं तो चक दे फट्टे का नारा बुलंद करने वाली हूं। मुझे खुशी हो रही है कि इंडिया ही नहीं इंडोनेशिया, फिलिपींस और साउथ अफ्रीका जैसे देशों से भी मुझे प्यार और सपोर्ट मिल रहा है। ये ताज एक जिम्मेदारी है।
मेरे सिर पर लीवा मिस डीवा का जो क्राउन है, वह सिर्फ ताज नहीं है बल्कि भारत का झंडा है, जिसे मैं विश्व पटल पर ऊंचा लहराना चाहती हूं। मेरे लिए अब सिर्फ पंजाब की बेटी कहलाना काफी नहीं है, मैं इंडिया की बेटी हूं। मैंने मॉडलिंग के साथ-साथ पंजाबी फिल्मों में लीड ऐक्ट्रेस का काम भी किया है, मगर फिलहाल मेरा एक ही लक्ष्य है, मिस यूनिवर्स का ताज घर लाना।
मेरी मम्मी गाइनाकॉलजिस्ट हैं और पापा बिजनेसमैन। मगर मेरे माता-पिता ने कभी मुझ पर या मेरे भाई पर अपनी महत्वकांक्षाओं का बोझ नहीं डाला। मम्मी ने कभी प्रेशर नहीं बनाया कि हम लोगों को डॉक्टर बनना होगा। मुझे हमेशा से अपने देश का पॉलिटिकल सिस्टम अच्छा लगता था। मैं पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन की स्टूडेंट रही हूं, तो मुझे इस विषय में गहरी रुचि है और मैं इसी क्षेत्र में कुछ करना चाहती थी। मेरे नाम हरनाज का मतलब होता है, गॉड का नाज और मैं कह सकती हूं कि मैं ईश्वर की फेवरेट चाइल्ड हूं। मैं चाहती हूं कि मैं ऐसा काम करूं कि मेरे परिवार और देश को मुझ पर नाज हो।
अपनी किशोरवास्था में मैंने बॉडी शेमिंग और बुलिंग का सामना किया है। मुझे माचिस की तीली, सीक-सलाई कहकर बुलाया जाता था। कुछ लोग ताने कसते, ज्यादा हवा में मत जाना, उड़ जाओगी। खाना नहीं मिलता क्या बेचारी को? मेरी ऑइली स्किन को लेकर भी खूब मजाक बनाया जाता था। बाद में जब मैं यूएस से पढ़ाई करके लौटी, तब मेरे एक्सेंट को लेकर मुझे बुली किया जाता था। मैंने बहुत कुछ सहा है। तब मैं खुद पर शक करने लगी थी। आज मैं समझ चुकी हूं कि हम सभी यूनिक हैं। जब मैं इस ब्यूटी पेजेंट में आई, तो यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत लड़कियां थीं, मगर मैंने खुद को उनका कॉम्पिटिटर नहीं माना। मुझे लगा मेरा मुकाबला खुद से है। आज जब मैं पलटकर देखती हूं, तो लगता है कि उस वक्त मुझे जितना गिराया गया, उससे सीख लेकर आज मैं ऊंची उठ पाई हूं।
आपकी जिंदगी में बदलाव का दौर कब आया?
सच कहूं, तो यह रातों-रात नहीं हुआ। धीरे-धीरे मैंने खुद के साथ वक्त बिताना शुरू किया। योग और मेडिटेशन शुरू किया। जब मैं अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर मुखर हुई और मैंने उसे महत्त्व देना शुरू किया, तो मुझमें बदलाव आया। बॉडी शेमिंग और बुलिंग के कारण मेरे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा। मुझे एंजायटी इश्यूज होने लगे थे। मैं बहुत ही शर्मीली और अंतर्मुखी लड़की हुआ करती थी। मुझे अपनी काबिलियत पर शक होने लगा था। मुझे लगता था कि शायद मुझ में ही कमी है। उस दौरान मेरी मम्मी ने मेरा बहुत साथ दिया। उनका डॉक्टर होना बहुत काम आया। मेरी मम्मी और परिवार ने मुझे यकीन दिलाया कि तुम जो हो, दूसरों से अलग हो और तुम्हे खुद को स्वीकार कर आत्मविश्वास पैदा करना होगा। मुझे जब ब्यूटी पेजेंट्स के मंच मिले, तो मेरा ट्रांसफॉर्मेशन शुरू हुआ। 2017 में 17 साल की उम्र में मैंने टाइम्स फ्रेश फेस के लिए चंडीगढ़ को रीप्रेजेंट किया था। यही मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट था। 2019 में मैंने फेमिना मिस इंडिया पंजाब का खिताब जीता। तब से लेकर मेरा पॉजिटिव अप्रोच जारी रहा और यही वजह है कि आज मैं लीवा मिस डीवा का खिताब हासिल कर पाई।
आपने मेंटल हेल्थ पर भी हमेशा बेझिझक होकर अपनी बात रखी है?
मैं यूथ से यही कहना चाहूंगी कि हम इंसान हैं और हर वक्त अगर हम हंसने की उम्मीद करें, तो यह भी एक बीमारी है। हमें उजाले की अहमियत को समझने के लिए अंधेरे से गुजरना होगा। हम जैसे हैं, हमें वैसे ही खुश होना होगा। रोना कोई बुराई या शर्म की बात नहीं। सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि बॉलिवुड की टॉप ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और अनुष्का शर्मा ने भी अपने मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात की है। मेंटल हेल्थ के अपने कॉज के लिए मैंने #माइंडदमेंटलस्पेस का इस्तेमाल किया है। अपने मानसिक स्पेस को संतुलित करना जरूरी है। आपको दुख है, तो बताइए, आंसू हैं, तो बहाइए।
एक लड़की होने के नाते आपके लिए प्राउड मोमेंट कौन-सा था? और आप सबसे ज्यादा हीनता का शिकार कब हुईं हैं?
अपने ददिहाल और ननिहाल में मैं इकलौती गर्ल चाइल्ड हूं, और वह भी सबसे छोटी, तो जब मुझे पापा पंजाब की शेरनी कहकर बुलाते हैं, तो बहुत गर्व होता है। मेरी मम्मी ने मुझे कभी ये नहीं कहा कि तू मेरी बेटी नहीं बेटा है, क्योंकि ऐसा कहकर वे बेटे को बड़ा और बेटी को कमतर साबित करेंगी। हीनता का अहसास तब होता है, जब मॉडलिंग या अभिनय के क्षेत्र को लड़कियों के लिए नीचा समझा जाता है। औरतों को जब उनके टैलंट के बजाय शारीरिक तौर पर एक ऑब्जेक्ट या वस्तु के रूप में देखा जाता है, तब भी बहुत ह्युमिलिएशन महसूस होता है। मगर साथ ही जब प्रियंका चोपड़ा मैम (अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा) जैसी हस्तियां कई स्टीरियो टाइप को तोड़ती हैं, तो गर्व महसूस होता है