मनोरंजन: साल 1988 में अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती और मीनाक्षी शेषाद्रि स्टारर फिल्म 'गंगा जमुना सरस्वती' रिलीज हुई थी. फिल्म कुछ खास सफलता नहीं दिखा पाई और फ्लॉप साबित हुई थी. हालांकि इस फिल्म से पहले मनमोहन देसाई और अमिताभ बच्चन की जोड़ी हिंदी सिनेमा को शानदार फिल्में दे चुकी थीं. पहले इस फिल्म में जितेंद्र नजर आने वाले थे. लेकिन कई बदलाव करने की वजह से ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी.
नई दिल्ली. फिल्म 'गंगा जमुना सरस्वती' साल 1988 की बड़ी फ्लॉप साबित हुई थी. फिल्म में किए गए कुछ बदलावों की वजह से मसाला मूवीज के मास्टर डायरेक्टर कहे जाने वाले मनमोहन देसाई इस हिट नहीं कर पाए थे. हालांकि इस फिल्म के साथ ही उन्होंने ये भी घोषणा कर दी थी कि वह उनकी आखिरी निर्देशित फिल्म थी. फिल्म की स्क्रिप्ट तीन अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और ऋषि कपूर को ध्यान में रखकर लिखी थी. लेकिन बाद में फिल्म में अमिताभ और मिथुन चक्रवर्ती नजर आए थे
गंगा जमुना सरस्वती अमिताभ बच्चन की फ्लॉप फिल्मों में गिनी में शामिल है. इस मल्टीस्टारर फिल्म में मीनाक्षी शेषाद्री, जयाप्रदा, मिथुन चक्रवर्ती, अमरीश पुरी तथा निरूपा रॉय जैसे कलाकारों ने अपनी एक्टिंग की लोहा मनवाया था. मनमोहन देसाई के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने गंगा, मीनाक्षी ने जमुना तथा जया प्रदा ने सरस्वती का किरदार निभाया था. पहले इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर तथा जितेंद्र को कास्ट करने की बात हुई थी. लेकिन बाद में स्क्रिप्ट में सब कुछ बदल दिया गया था. यहां तक कि फिल्म का नाम भी.
जब साल 1985 में इस फिल्म के बनाने की चर्चा हो रही थी उस दौरान इस फिल्म का नाम अमर अकबर एंथोनी पार्ट 2 रखने की योजना बनाई गई थी. मनमोहन देसाई ने अपनी 1977 वाली अमर अकबर एंथोनी की सफलता के बाद ही ये फैसला किया था. अमिताभ बच्चन गंगाराम का, जितेंद्र जमुनादास का तथा ऋषि कपूर सरस्वतीचंद्र के किरदार में रखकर ही स्क्रिप्ट भी तैयार की गई थी. लेकिन जितेंद्र ने बीच में ही फिल्म छोड़ दी और उनकी जगह मिथुन चक्रवर्ती को मिली. इसके बाद फिल्म में काफी कुछ बदला गया.
फिल्म में मिथुन की एंट्री के बाद काफी कुछ बदला गया क्योंकि जितेंद्र के किरदार से काफी कुछ जुड़ा हुआ था. हालांकि बाद में इस फिल्म में और भी कई बदलाव किए गए. मिथुन के किरदार के जुड़ने से ऋषि कपूर का फिल्म में कोई रोल नहीं रह गया. ऐसे में मेकर्स के पास उन्हें फिल्म से बाहर करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था और जिसका उन्हें काफी दुख हुआ. कहीं ना कहीं फिल्म के इन बदलावों को भी फिल्म के फ्लॉप होने का जिम्मेदार माना जाता है.
इसके बाद जब कई बदलावों के बाद फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दी तो फ्लॉप साबित हुई. इसकी एक वजह कमजोर स्क्रिप्ट भी बताई गई. फिल्म में उस दौर के सभी बड़े स्टार्स होने के बाद भी फ्लॉप होने पर मेकर्स को नुकसान के साथ-साथ काफी हैरानी भी हुई. मेकर्स को पूरी उम्मीद थी कि ओरीजनल स्क्रिप्ट के साथ कुछ बदलाव करके ही फिल्म दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब होगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित यह आखिरी फिल्म थी.