फेसबुक का क्या करें?

फेसबुक दुनिया भर में नफरत और झूठी बातें फैलाने का माध्यम बना हुआ है

Update: 2021-10-07 16:48 GMT

अनेक देशों में जो तीखा सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण इस समय है, उसके पीछे फेसबुक की बड़ी भूमिका मानी जाती है। इसीलिए फेसबुक कंपनी काफी समय से अमेरिकी कांग्रेस की पड़ताल के दायरे में है। कई बार फेसबुक प्रमुख मार्क जकरबर्ग की वहां पेशी हो चुकी है। Facebook Political Polarization Zuckerberg


फेसबुक दुनिया भर में नफरत और झूठी बातें फैलाने का माध्यम बना हुआ है, ये शिकायत अब पुरानी हो चुकी है। अनेक देशों में जो तीखा सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण इस समय है, उसके पीछे इस माध्यम (और दूसरे सोशल मीडिया माध्यमों) की बड़ी भूमिका मानी जाती है। इसीलिए फेसबुक कंपनी काफी समय से अमेरिकी कांग्रेस की पड़ताल के दायरे में है। कई बार फेसबुक प्रमुख मार्क जकरबर्ग की वहां पेशी हो चुकी है। लेकिन वहां जकरबर्ग और इस कंपनियों के अधिकारियों ने सुधार के जो वादे किए, वे खोखले साबित हुए हैँ। नतीजतन, फेसबुक अभी भी नफरत फैलाने का जरिया बना हुआ है। साथ ही कंपनी की इसे रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है। ये दावा अब ह्विशलब्लोअर बन गईं फेसबुक कंपनी की एक पूर्व अधिकारी का है। उस अधिकारी ने पिछले हफ्ते अपने दावे के पक्ष में महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जारी किए। तो अमेरिकी कांग्रेस ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया। इससे पहले फ्रांसिस हाउगेन नाम की उस अधिकारी ने अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल को कई दस्तावेज सौंपे थे। उसके बाद उन्होंने कहा था कि वे इस बात से परेशान हो गई थी कि ये कंपनी जन सुरक्षा के ऊपर अपने मुनाफे को तरजीह देती है।

'जनता के लिए क्या अच्छा है और फेसबुक के लिए क्या अच्छा है, इस बात में पैदा हो गया है। फेसबुक कंपनी लगातार धन कमाने जैसे अपने हितों को तरजीह दे रही है। हाउगेन का सबसे बड़ा दावा यह है कि फेसबुक में काम करते हुए उन्होंने महसूस किया ये कंपनी इन मुद्दों को हल करने में अनिच्छुक है, जबकि ऐसा करने के उपकरण उसके पास मौजूद हैँ। फेसबुक कंपनी के बड़े अधिकारियों ने इसके बाद यह माना है कि सोशल मीडिया का आज के समाज पर बड़ा असर है। लेकिन उनका दावा है कि जो भी साक्ष्य मौजूद हैं, उनसे इस आरोप की पुष्टि नहीं होती कि फेसबुक समाज में ध्रुवीकरण का प्रमुख कारण है। मुमकिन है कि उनका ये दावा सच हो। मुमकिन है कि ध्रुवीकरण की प्रमुख वजहें आर्थिक या सामाजिक- सांस्कृतिक हों। लेकिन उन वजहों को वह अनियंत्रित रूप से लोगों को व्यक्त करने और पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों और शिकायतों को गहराने का मौका ये मंच देता है, इससे क्या इनकार किया जा सकता है? इसीलिए अमेरिकी कांग्रेस के सामने यह प्रश्न है कि फेसबुक का क्या करें?

नया इण्डिया 

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