Monkeypox वायरस से भारत को कितना खतरा हो सकता है?
दुनियाभर में अभी तक कोरोना (Corona) महामारी खत्म नहीं हुई है
पंकज कुमार |
दुनियाभर में अभी तक कोरोना (Corona) महामारी खत्म नहीं हुई है, लेकिन इस बीच मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) ने भी कई देशों में दस्तक दे दी है. यह वायरस अब तक 15 देशों में फैल चुका है. केवल दो सप्ताह में इस वायरस के संक्रमितों की संख्या 100 के आंकड़े को पार कर चुकी है. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि इस वायरस का किसी देश में किसी एक संक्रमित का मिलना भी आउटब्रेक माना जाएगा. दुनियाभर में बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत भी सतर्क हो गया है. मंकीपॉक्स को लेकर नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने अलर्ट जारी कर दिया है. एयरपोर्ट्स पर निगरानी बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं. साथ ही मंकीपॉक्स से प्रभावित देशों से आने वाले लोगों को आइसोलेट करने के लिए भी कहा गया है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस वायरस के दो वेरिएंट हैं. एक मध्य अफ्रीका में पाए जाने वाला वेरिएंट है और दूसरा पश्चिम अफ्रीका में, दोनों वेरिएंट के लक्षणों में थोड़ा बहुत ही अंतर है.हालांकि यह कोई नया वायरस नहीं है. मंकीपॉक्स का वायरस सबसे पहले 1958 में एक बंदर में पाया गया था. इसके कई सालों बाद यह वायरस बंदरों से इंसान में फैला था और 1970 में पहले व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी.
क्या भारत को भी मंकीपॉक्स से खतरा होगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकी पॉक्स का वायरस स्मॉल पॉक्स परिवार का ही है. इसके कुछ लक्षण स्मॉल पॉक्स से मिलते हैं. शुरुआत में यह एक फ्लू की तरह ही होता है और बाद में अन्य लक्षण नजर आते हैं. चूंकि अब कई सालों बाद फिर से दुनियाभर में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ रहा है और यह वायरस 15 दिन के भीतर ही करीब 15 देशों में फैल गया है. ऐसे में इस बात की आशंका है कि वायरस तेजी से और भी देशों में फैल सकता है. ऐसे में क्या भारत को भी मंकीपॉक्स से खतरा होगा?
महामारी विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार का कहना है कि जिस प्रकार स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स और काऊ पॉक्स वायरस होते हैं. उसी तरह मंकीपॉक्स भी एक ऐसा ही वायरस है. ये बंदरों से इंसान में फैला था. इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी हो जाता है. हालांकि, इसमें घबराने की बात नहीं है. क्योंकि यह कोई नया वायरस नहीं है.
पहले भी इसके कई मामले सामने आ चुके हैं और उस दौरान इससे ज्यादा खतरा भी नहीं हुआ था. जब 1970 में इस वायरस का पहला मामला आया था, तो उसके बाद अफ्रीकी देशों में इसका संक्रमण होता रहता था. तब भी इसका कोई घातक असर नहीं देखा गया था. ये वायरस कई बार फैल चुका है और कुछ छोटे-छोटे इलाकों में ही इसका असर देखा गया है. कोरोना महामारी के बाद अब सर्विलांस सिस्टम और भी आधुनिक हो गए हैं. इससे किसी भी वायरस के संक्रमित का आसानी से पता चल जाता है. इसलिए भारत में पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
क्या जानलेवा है ये वायरस?
ये वायरस जानलेवा नहीं है और न ही यह कोरोना की तरह तेजी से फैलता है. इसके फैलने के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क जरूरी होता है. यह हवा के जरिए या सांस के जरिए नहीं फैलता है.इससे पहले जब भी इस वायरस के मामले आए थे, तो उस समय में मरीज इससे आसानी से रिकवर हो गए थे. मंकीपॉक्स का वायरस इंसान के शरीर में ज्यादा समय तक नहीं रहता है. इसके लक्षण भी हल्के ही होते हैं. ये सात से 10 दिन ही बॉडी में रह सकता है. जिस प्रकार का असर चिकन पॉक्स या स्मॉल पॉक्स होता है. लगभग उसी प्रकार का मंकीपॉक्स में भी होता है. इससे मौतों के मामले भी रिपोर्ट नहीं किए गए हैं.
इसलिए बस जरूरी है कि जिन इलाकों में इस वायरस का संक्रमण हो रहा है, वहां से आने वाले यात्रियों को क्वारंटाइन में रखा जाए. जिन लोगों को तेज बुखार है और मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं उन्हें भी खास निगरानी में रखना होगा. एयरपोर्ट और बंदरगाह पर जांचबढ़ानी होगी. साथ ही तेज बुखार और वायरल के लक्षणों वाले मरीज की समय पर पहचान करनी होगी. जो मरीज थोड़ा भी संदिग्ध लगे उसे एयरपोर्ट पर ही आइसोलेट करना होगा. अगर अस्पतालों में कोई ऐसा मरीज आ रहा है, जिसने हाल ही में किसी जंगलों का दौरा किया और और उसे तेज बुखार है तो ऐसे मरीजों के सैंपलों की जांच भी करनी होगी.
सतर्क रहेंगे तो नहीं होगा खतरा
बरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस प्रकार के वायरस से कोई खतरा होने की आशंका नहीं है. कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं. जिनसे इसका उपचार हो सकता है. एयरपोर्ट्स पर सख्त निगरानी और समय पर संक्रमितों की पहचान से वायरस को कंट्रोल किया जा सकता है. इससे हॉस्पिटलाइजेशन या मौतों के बढ़ने की आशंका नहीं है. हालांकि फिलहाल यह भी देखना होगा कि इस बार इस वायरस का असर पिछली बार जैसा ही होगा या लक्षणों पर कुछ अंतर भी देखा जाएगा.
सोर्स -tv9hindi.com