चुनाव से पहले गठबंधन तथा चुनाव के बाद के गठबंधन में अंतर होता है. चुनाव पूर्व गठबंधन की तुलना में चुनाव के बाद गठबंधन में अस्थिरता ज्यादा देखी गई है. अगर 2014 और 2019 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1991 के बाद गठबंधन सरकार ही केन्द्र पर आसीन रही. लेकिन मजेदार बात ये है कि बीजेपी को 2014 और 2019 पूर्ण बहुमत मिलने के उपरान्त भी बीजेपी ने गठबंधन की सरकार पर आस्था रखी. जबकि कुछ राजनैतिक दल मुद्दों के आधार पर गठबंधन से अलग हो गए.
अल्पमत गठबंधन सरकार: नरसिम्हा राव
21 मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद केंद्र में अल्पमत की गठबंधन सरकार बनी, और कांग्रेस के नरसिम्हा राव अल्पमत गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने. अल्पमत गठबंधन सरकार होने के बावजूद भी नरसिम्हा राव ने प्रचलित प्रथाओं को तोड़ कर एक गैर राजनीतिक अर्थशास्त्री और भावी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री नियुक्त किया. केवल यही नहीं, उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी को श्रम मानक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया. यह अब तक का एकमात्र उदाहरण रहा है कि सत्तारूढ़ दल द्वारा विपक्षी दल के किसी सदस्य को मंत्रिमंडल का पद दिया गया था. केवल यही नहीं, नरसिम्हा राव ने विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिनेवा भेजा था. राजनीतिक क्षेत्र में विपक्ष के नेताओं पर इस प्रकार की आस्था और विश्वास आमतौर पर देखने को नहीं मिलता. और यही वजह है कि आज भी विपक्ष और सरकार दोनों ही नरसिम्हा राव को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं.
1991 में देश आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहा था. 1991 के आर्थिक संकट को टालने के लिए नरसिम्हा राव ने आर्थिक उदारनीती को अपनाया, जिसके अन्तर्गत विदेशी निवेश को खोलने, पूंजी बाजारों में सुधार, घरेलू व्यापार को नियंत्रण मुक्त करने और व्यापार व्यवस्था में सुधार की नीति को अपनाया गया, आज, 30 साल बाद भी भारत में कोई भी आर्थिक निर्णय इसी सिद्धांत पर आधारित होता है. उस समय नरसिम्हा राव ने तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ राजकोषीय उदारवाद का द्वार खोलने का अत्यधिक साहसपूर्ण कदम उठाया था, वह पिछले 30 वर्षों में सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय है, उस समय लिए गए ऐतिहासिक फैसलों ने देश के लोगों की सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था को बदल कर रख दिया है.भारत के 11वें राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने राव को 'देशभक्त राजनेता' बताया जो मानते थे कि राष्ट्र राजनीतिक व्यवस्था से बड़ा है. कलाम ने माना कि राव ने उनसे 1996 में परमाणु परीक्षणों के लिए तैयार होने के लिए कहा था, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर पाए. क्योंकि 1996 में आम चुनाव के कारण केंद्र में सरकार बदल गई थी. बाद में वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने यह परीक्षण किया. दरअसल राव ने ही वाजपेयी को परमाणु योजनाओं की जानकारी दी थी.
राव सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को कम करना, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना था. राव ने ही बाहरी ऋणों को स्थिर करते हुए भारत को विदेशी व्यापार के लिए व्यापार सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमन में बदलाव शुरू किए थे. राव भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर आई जी पटेल को अपना वित्त मंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन पटेल के मना करने पर राव ने इस काम के लिए मनमोहन सिंह को चुना और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने इन सुधारों को लागू करने में महती भूमिका निभाई.
मिड डे मील परियोजना की शुरुआत करने वाले अल्पसंख्यक सरकार के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे. 15 अगस्त 1947 को नेशनल प्रोग्राम ऑफ न्यूट्रिशनल सपोर्ट टू प्राइमरी एजुकेशन की घोषणा की गई थी. बाद में इसका नाम बदलकर मिड डे मील कर दिया गया. आज, 26 वर्षों के बाद विभिन्न राज्यों में इस एकमात्र कार्यक्रम के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के गरीब छात्रों में स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति कम हो गई है. इस योजना के तहत गरीब छात्रों के लिए कम से कम एक वक्त कि भोजन तो उपलब्ध है, बच्चे स्कूल जा रहे हैं.
अल्पमत गठबंधन सरकार : अटल बिहारी वाजपेयी
पूरे देश को हाईवे से जोड़ने के लिए मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट किसने किया था? अटल बिहारी वाजपेयी ने. स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत किसने की? अटल बिहारी वाजपेयी ने. इस शैक्षिक परियोजना के लिए आज भी देश से निरक्षरता का अभिशाप कम होता जा रहा है. क्या वाजपेयी एक मजबूत सरकार के प्रधानमंत्री थे? बिलकुल नहीं. उन्होंने अल्पमत गठबंधन सरकार चलाई. उन्हें सहयोगी दलों को संतुष्ट रखना था, लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा करने का फैसला किया जो भारत की भविष्य की प्रगति में मील का पत्थर साबित हो.
11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण में अल्पमत गठबंधन सरकार कि नेतृत्व कर रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण किया था. इन परमाणु परीक्षण के बाद जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख देशों द्वारा भारत के खिलाफ विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों लगाये गए, लेकिन भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव के समक्ष नहीं झुके.
अल्पमत गठबंधन सरकार : डॉ. मनमोहन सिंह
गांव में काम ना मिलने के कारण गांव छोड़कर नौकरी की तलाश में लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे थे. एक वक्त ऐसा आया की गांव में खेती करने के लिए लोगों की कमी दिखाई देने लगी. काम की तलाश में शहरों में आए उन लोगो की नौकरी ना मिलने के कारण वे अंतहीन दुर्दशा की शिकार हो रहे थे. डॉ. मनमोहन सिंह 2 फरवरी 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (नरेगा) परियोजना का शुभारंभ किया, बाद में इस योजना का नाम बदल कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) रखा गया, जिसके अन्तर्गत साल में 100 दिन का काम का कानूनन अधिकार दिया गया. काम के लिए इच्छुक कोई भी कुशल और अकुशल श्रमिक और महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकते है. साल में कम से कम 100 दिन काम न मिलने पर सरकार के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा सकते हैं. इस परियोजना का स्लोगन है – 'हक से मांगो अपना काम, मेहनत पाय सही इनाम'. आज इस परियोजना के लिए भारत में लाखों परिवार जीवित हैं. करोनाकाल में इस परियोजना ने प्रवासी कामगारों और ग्रामीणों में रोजगार का साधना बना.
राजनीति में बहुमत सरकार और अल्पमत गठबंधन की अपनी सीमाएं हैं. बहुमत सरकार की स्थिरता और सिद्धांत लेने की क्षमता होने के कारण योजनाओं या बिल को तुरंत स्वरूप देने में समर्थ है. गणतंत्र प्रक्रिया में बहुमत सरकार बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्थिर सरकार होने के कारण विकास से संबंधित दुरगामी योजनाओं को स्वरूप देने में समर्थ है. पूर्ण बहुमत होने के कारण ही नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 370 हटा पाए और तीन तलाक़ का अंत जैसे महत्वपूर्ण निर्णय ले पाए.
अल्पमत गठबंधन की सरकार की स्थिरता निर्भर करता है उनकी अन्य सहयोगी राजनीतिक दलों की सहमति पर, नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने ये प्रमाण कर दिया है कि अल्पमत सरकार की नेतृत्व कर रहे नेता की व्यक्तित्व पर निर्भर करता है अल्पमत गठबंधन की सरकार की स्थिरता और राजनीतिक सिद्धांत. प्रायः यह देखा गया है कि अल्पमत गठबंधन सरकार की सारा श्रेय गठबंधन की नेतृत्व कर रहे राजनीतिक दल को मिलता है, आज भी जब मनरेगा की चर्चा होती है, तो इसका श्रेय श्रेय संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की नेतृत्व कर रहे कांग्रेस पार्टी को ही जाता है. गणतंत्र प्रक्रिया में बहुमत सरकार वांछनीय है. अल्पमत सरकार की तुलना में बहुमत सरकार कोई भी निर्णय तुरंत ले सकते हैं. लेकिन, राजनीति में बहुमत सरकार और अल्पमत सरकार की स्थिरता और निर्णय की श्रेष्ठता निर्भर करता है नेतृत्व पर. एक श्रेष्ठ नेता ही देश को सही दिशा दे सकता है.