पर्यटन विकास का कर

शहरी नियोजन की दरख्वास्त पुनः बीड़-बिलिंग के मुहाने पर फटने लगी

Update: 2022-04-24 19:03 GMT

शहरी नियोजन की दरख्वास्त पुनः बीड़-बिलिंग के मुहाने पर फटने लगी, तो यह विचारणीय है कि हिमाचल में विकास के मॉडल में जनसहयोग क्यों कन्नी काट जाता है। जनता को यह कबूल है कि सरकार के हस्तक्षेप से 'नई राहें, नई मंजिलों' के रास्ते पर स्थानीय आर्थिकी बढ़े, रोजगार के अवसर मिलें और पर्यटन के नजारों में सभी फलें-फूलें, लेकिन ऐसे विकास के प्रति सामुदायिक जिम्मेदारी न रहे। इसी परिप्रेक्ष्य में क्षेत्र विशेष विकास एजेंसी यानी साडा के तहत करीब तीन दर्जन स्थान चिन्हित हैं, ताकि विकासात्मक गतिविधियां आवारा न बनें तथा भविष्य की योजनाओं-परियोजनाओं के तहत नियोजित विकास हो। बीड़-बिलिंग पिछले कुछ सालों से एक डेस्टिनेशन और विश्व स्तरीय पैराग्लाइडिंग स्थल के रूप मेें उभरा है। जाहिर है इस दिशा में आगे चलकर और विकास होगा तथा माकूल अधोसंरचना की जरूरत पड़ेगी। ग्रीन टैक्स इसी संदर्भ में एक आदर्श योगदान है, जिसके तहत साडा स्वतंत्र रूप से सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

विडंबना यह है कि जैसे ही बीड़-बिलिंग के आर्थिक और विकास की अनुशासित तस्वीर बनाने की कोशिश शुरू हुई, जनांदोलन के जरिए यहां यह संदेश दिया जा रहा है कि कोई भी शुल्क चुकाने के लिए हमारा आर्थिक विकास तैयार नहीं है। 'साडा' एक शिथिल सा प्रयास है, जो न तो नगर नियोजन की रूपरेखा में किसी विकास योजना पर काम करता हुआ दिखाई दे रहा है और न ही इसकी कोई जवाबदेही तय हो रही है। कमोबेश हर ऐसे पर्यटक स्थल की तमाम विफलताओं का साकी बनकर साडा केवल अस्त-व्यस्त माहौल का नशा परोस रहा है। बिलिंग के रास्ते पर ग्रीन टैक्स की उगाही का जायज पक्ष अगर साथ लगती पंचायतों को मंजूर नहीं, तो समूची व्यवस्था पर सोचना पडे़गा, लेकिन कर न चुकाने का हिमाचली मर्ज घातक अंजाम तक जरूर ले जाएगा। ग्राम एवं नगर योजना कानून का औचित्य, जब तक पूरे प्रदेश के हर कोने को नहीं छूता, तब तक आधी सदी से लागू यह परिपाटी केवल औपचारिक ही रहेगी।
हर नए-पुराने पर्यटक स्थल के लिए एक माकूल कर ढांचे या आय स्रोत की जरूरत है ताकि सैलानी सुविधाओं में निरंतर बढ़ोतरी हो सके। हिमाचल के धार्मिक स्थलों के विकास के लिए एक कंेद्रीय ट्रस्ट और मंदिर विकास प्राधिकरण के तहत परिकल्पना को दक्षिण भारतीय मंदिर प्रबंधन की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सकता है, तो 'साडा' के तहत आए क्षेत्रों की प्रबंधन समिति को भविष्य का खाका बनाने के लिए आय के स्रोत बढ़ाने को प्रेरित करना होगा। ग्रीन कर अदायगी अगर मनाली में पार्किंग सुविधा बढ़ाने का जरिया बन सकती है, तो सफाई एवं ढांचागत उपलब्धियों को भी सींचा जा सकता है। हिमाचल में पर्यटन उद्योग से जुड़े होटल, रेस्तरां, साहसिक खेल, मनोरंजन सुविधाओं, परिवहन व समूचे व्यापार को अपनी कमाई का एक हिस्सा इसकी बेहतरी के लिए लगाना होगा। इसी तरह व्यापार मंडलों को बाजार की संपन्नता में अगर दर्ज होना है, तो अपने तौर पर पार्किंग, सफाई व यातायात के नए विकल्पों पर सहयोग करना होगा। नगर निकायों की संख्या बढ़ाकर शहरों की हालत नहीं सुधरेगी, बल्कि इनकी कमाई के स्रोत बढ़ाने का इंतजाम करना होगा। नए नगर निगमों के क्षेत्रफल में मर्ज हो रहे इलाकों के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ यह भी नत्थी हो कि शहरी बिजली व पानी की आपूर्ति पर ही कर जोड़ दिया जाए। सरकारी अनुदान सिटी व्यापार केंद्रों, मनोरंजन पार्कों, पार्किंग सुविधाओं तथा बहुउद्देश्यीय सामुदायिक मैदानों के विकास पर खर्च हो ताकि शहर अपनी आय को स्थिर व स्थायी रूप प्रदान कर सकें। बीड़–बिलिंग के निवासियों को यह तय करना होगा कि वे पुरानी व्यवस्था में चंद सिक्के बटोरना चाहंेगे या इसके भविष्य को संवारने के लिए 'साडा' के तहत अनिवार्य रूप से वित्तीय सहयोग करेंगे।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल


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