रूस से यह लगाव
मीडिया पर आपका नियंत्रण हो, तो फिर लोगों में असलियत के उलटी राय भी बनाई जा सकती है
By NI Editorial
मीडिया पर आपका नियंत्रण हो, तो फिर लोगों में असलियत के उलटी राय भी बनाई जा सकती है। चीन लोगों की जो भी राय उभरती हो, उसे स्वतंत्र राय शायद नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद जनमत की राय का महत्त्व होता है।
जनमत कैसे निर्मित होता है, इसका कुछ अंदाजा भारत के लोगों को है। अगर मीडिया पर आपका नियंत्रण हो, तो फिर लोगों में असलियत के उलटी राय भी बनाई जा सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि मीडिया की भारत जैसी ही भूमिका दुनिया के ज्यादातर देशों में है। कहीं वह सत्ताधारी नेताओं के नियंत्रण है, तो कहीं किसी खास वर्ग के और कहीं किसी खास विचारधारा से प्रेरित पार्टी के। चीन में तो घोषित रूप से मीडिया पर कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है। ऐसे में वहां लोगों की जो भी राय उभरती हो, उसे स्वतंत्र राय शायद नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद जनमत की राय का महत्त्व होता है- इसलिए कि उससे ही सत्ता की स्थिरता और मजबूती तय होती है। तो अब जो चीन में हुए एक सर्वे के नतीजे सामने आए हैं, वे अहम हैं। इनका मतलब है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व मे कम्युनिस्ट सरकार जिस राह पर चल रही है, उसे देश के अंदर व्यापक समर्थन मिला हुआ है। सामने यह आया कि चीन की जनता में जिन दो देशों के प्रति सबसे ज्यादा नकारात्मक भावना है, वे अमेरिका और भारत हैँ। उधर रूस के प्रति उनकी भावनाएं लगातार सकारात्मक हुई हैं।
रूस और पाकिस्तान उनके दो पसंदीदा देश हैं। सर्वे चेक रिपब्लिक स्थित थिंक टैंक सेंट्रल यूरोपियन इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज ने किया। इस सैंपल सर्वे में चीन के 3000 से ज्यादा लोगों की राय जानी गई। इससे सामने आया कि चीनी जनता का बहुमत यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन करता है। सर्वे के दौरान 25 देशों के बारे में चीनी जनता की राय पूछी गई। इस दौरान सामने आया कि फिलहाल रूस उनका सबसे पसंदीदा देश है। जबकि अमेरिका के प्रति उनके मन में सबसे ज्यादा नाराजगी है। अमेरिका के लिए सकारात्मक राय रखने वाले लोगों की संख्या एक तिहाई से भी कम थी। अनेक चीनियों ने कहा कि रूस और चीन में बिरादराना लगाव है। उधर सर्वे में शामिल एक हिस्से ने कहा- दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त है। जाहिर है, ये तमाम बातें उन लोगों को चीनी मीडिया ने ही बताई हैं, जिस पर उन्होंने आंख मूंद कर भरोसा किया है।