लालू यादव के घोटालों की दास्तां है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) का भ्रष्टाचार के साथ रिश्ता तभी बन गया

Update: 2022-05-21 13:00 GMT

अजय झा | 

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) का भ्रष्टाचार के साथ रिश्ता तभी बन गया, जब वह 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. उनकी अमीरी की कहानी, फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी है. इस कहानी की शुरुआत बिहार वेटरनरी कॉलेज में एक क्लर्क के रूप में अपना करियर शुरू करने से और चपरासी के घर, जो उनके बड़े भाई को क्वार्टर आवंटित किए गए थे, में रहने से हुई. भ्रष्टाचार के प्रति अपने खुलेपन और बेशर्मी के चलते लालू कुछ ही समय में भारत के सबसे धनी राजनेताओं में से एक बन गए. हालांकि, यह कहते हैं कि कानून के हाथ बड़े लंबे होते हैं, यही बात लालू पर फिट बैठी. 1997 में उन्हें कुख्यात चारा घोटाले (Fodder Scam) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक आरोपी बनाया. जब उनकी गिरफ्तारी अपरिहार्य हो गई तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.
चारा घोटाला 1996 में तब सामने आया था, जब चाईबासा ट्रेजरी में छापेमारी की गई थी, जिसमें 1990 से 1995 के बीच, पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं के लिए चारे की खरीद के लिए फर्जी कंपनियों को भुगतान किया गया था. लालू, अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री थे और उनके पास वित्त विभाग भी था. उन्होंने जांच के आदेश दिए, जिस पर पटना हाई कोर्ट ने तुरंत संज्ञान लिया. कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया. सीबीआई ने बाद में उन्हें एक आरोपी बनाया और जून 1997 में पहली बार उन्हें गिरफ्तार किया गया. इसके बाद, सीबीआई ने चारे की कथित खरीद के लिए ट्रेजरी से फर्जी भुगतान से संबंधित चार और मामले दर्ज किए, जो कुल 950 करोड़ रुपये थे. उन्हें सभी पांच मामलों में दोषी ठहराया गया और उन्हें कुल 19 साल की जेल की सजा सुनाई गई.
लालू प्रसाद और उनका परिवार भारतीय रेलवे के टेंडर घोटाले में भी आरोपी है
उन्हें सभी मामलों में जमानत मिल गई और वह राजनीति में सक्रिय रहे. वह 2004 में देश के रेल मंत्री बने और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के हिस्से के रूप में 2009 तक इस पद पर बने रहे. शुक्रवार की छापेमारी उस समय के भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है, जब वह रेल मंत्री थे. यह घोटाला नौकरी के एवज में भूमि लेने (लैंड फॉर जॉब) से संबंधित है. इसमें लालू मुख्य आरोपी हैं जिसके तहत उन पर और उनके परिवार पर भारतीय रेलवे में नौकरी का वादा करने के एवज में जमीन लेने का आरोप है.
चारा घोटाले के पांच मामलों और लैंड फॉर जॉब घोटाले के अलावा, लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले का भी सामना करना पड़ा. उन पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगा था. मुख्य रूप से ये लाभ चारा घोटाले से हुआ. 2006 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू दंपति को विवादास्पद रूप से बरी कर दिया गया था. दरअसल वह केंद्रीय मंत्री थे और यूपीए सरकार के अस्तित्व के लिए उनकी पार्टी का समर्थन बेहद महत्वपूर्ण था.
लालू प्रसाद और उनका परिवार भारतीय रेलवे के टेंडर घोटाले में भी आरोपी है, जिसकी सीबीआई जांच भी चल रही है. कथित तौर पर एक कंपनी को रांची और पुरी में रेल यात्री निवास के रखरखाव और संचालन का काम देने लिए, उन्हें और उनके परिवार को केवल 4 लाख रुपये में 45 करोड़ रुपये की एक मूल्यवान भूमि मिली. बदले में, उस कंपनी ने शेल कंपनी के जरिए सफल बोली लगाकर इस भूमि हस्तांतरित कर दिया. उनके दो विधायक पुत्र, तेज प्रताप और तेजस्वी यादव ने पटना की एक महंगी संपत्ति पर लारा मॉल का निर्माण शुरू किया, जो उन्होंने अपने पिता के लिए रिश्वत के रूप में लिया था. यह रिश्वत तब ली गई थी जब 2015 में नीतीश कुमार सरकार में तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने और तेज प्रताप कैबिनेट मंत्री बने. लारा का मतलब, लालू और राबड़ी से है.
तेज प्रताप पर भी भ्रष्टाचार के आरोप
तेज प्रताप को एक और भ्रष्टाचार के आरोप का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसमें एक प्रस्तावित मॉल की खुदाई से निकाली गई मिट्टी को पटना चिड़ियाघर को 90 लाख रुपये में बेचने का आरोप है, जबकि चिड़ियाघर को इसकी आवश्यकता ही नहीं थी और इसके लिए कोई टेंडर जारी नहीं किया गया था. तेज प्रताप पर वन और पर्यावरण मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है, जिसके तहत पटना चिड़ियाघर आता है. उन्होंने इस पद का उपयोग पटना जू को मिट्टी बेचने और उससे पैसे बनाने के लिए किया.
लारा मॉल की साइट को सितंबर 2017 में आयकर विभाग ने सील कर दिया. साथ ही दिल्ली में एक फार्महाउस और गुरुग्राम के पालम विहार इलाके में जमीन सहित कई अन्य अवैध संपत्तियों को भी जब्त और सील किया गया था. आयकर विभाग का प्रवर्तन निदेशालय मामले की जांच कर रहा है और उसने इस मामले में यादव परिवार से पूछताछ भी की है. लालू प्रसाद को आखिरकार 2013 में चारा घोटाले में पहली बार दोषी ठहराया गया था और तब से वह काफी समय जेल में बिता चुके हैं.
तबीयत बिगड़ने के कारण वह जमानत पर बाहर आते-जाते रहे. झारखंड हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को उन्हें जमानत दी थी और वर्तमान में वह उनकी सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती, जो राज्यसभा सदस्य हैं, के साथ रह रहे हैं. मीसा और उनके पति शैलेश कुमार, 2019 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी हैं. भ्रष्टाचार का यह किस्सा कभी न खत्म होने वाला है, इसमें एक के बाद एक नए आरोप जुड़ते जाते हैं.

सोर्स- tv 9 

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