जनसंख्या नियोजन: कई समस्याओं को जन्म दे सकती है बढ़ती आबादी, रहना होगा सजग
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह जो कहा कि आबादी का असंतुलन नहीं होना चाहिए, उस पर विवाद खड़ा करने के बजाय व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिए और इस क्रम में इसका आकलन किया जाना चाहिए कि क्या देश में जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति बन रही है? सरकारों के साथ समाज को इस पर ध्यान देना होगा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों में सभी वर्ग, क्षेत्र और संप्रदाय के लोगों की भागीदारी समान रूप से हो।
यदि ऐसा नहीं होता तो इससे समस्याएं पैदा होंगी और जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों पर पानी फिर सकता है। यह सही है कि देश जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसकी गति देश के सभी हिस्सों और वर्गो में एक जैसी नहीं। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि देश शीघ्र ही जनसंख्या स्थिरीकरण वाले दौर में प्रवेश कर जाएगा, क्योंकि अगले कुछ वर्षो में भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़कर सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा।
यह कोई आदर्श स्थिति नहीं होगी। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि चीन के मुकाबले भारत का क्षेत्रफल कम है और यह किसी से छिपा नहीं कि संसाधनों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसका कारण यह है कि भारत के पास दुनिया का केवल 2.4 प्रतिशत भूभाग है, लेकिन विश्व की 18 प्रतिशत आबादी यहां रहती है।
चूंकि जनसंख्या स्थिरीकरण की स्थिति तक पहुंचने के पहले बढ़ती आबादी कई समस्याओं को जन्म दे सकती है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सजग रहना समय की मांग है। उन वर्गो और क्षेत्रों को जनसंख्या नियंत्रण की महत्ता से परिचित कराना ही होगा, जहां इसके प्रति जागरूकता का अभाव है। इसी के साथ जनसंख्या नियोजन के उपायों पर भी प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना होगा। किसी भी देश की जनसंख्या तब उपयोगी सिद्ध होती है, जब वह देश की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होती है।
शिक्षित, अनुशासित जनसंख्या ही किसी देश की प्रगति में सहायक बनती है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पारिवारिक एवं सामाजिक संस्कारों और शिक्षा के माध्यम से भावी पीढ़ी को अनुशासित और राष्ट्रीय दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध बनाने को प्राथमिकता देनी होगी। इसी के साथ ऐसे भी प्रयत्न करने होंगे, जिससे आबादी के बड़े हिस्से को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल सके। अभी ऐसी स्थिति नहीं और इसी कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी का पलायन शहरों की ओर होता है। समस्या यह है कि शहरों में आबादी जिस तेजी से बढ़ रही है, उस गति से उनका ढांचा नहीं सशक्त हो पा रहा है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय