बंटेगा पाकिस्तान, बढ़ी हक्कानी नेटवर्क की हसरत

जिस हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) को पाकिस्तान (Pakistan) ने तालिबान (Taliban) के खिलाफ मोहरे की तरह इस्तेमाल किया

Update: 2021-09-05 13:36 GMT

धर्मेंद्र द्विवेदी।  जिस हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) को पाकिस्तान (Pakistan) ने तालिबान (Taliban) के खिलाफ मोहरे की तरह इस्तेमाल किया, उसी हक्कानी की हसरत अब बढ़ गई है. पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान की सत्ता हक्कानी के हाथ में रहे, लेकिन उससे बड़ी खबर ये आ रही है कि हक्कानी की नजर अब पाकिस्तान के उन इलाकों पर गड़ गई है, जो पश्तून बहुल हैं. सूत्रों के मुताबिक, डूरंड लाइन के उस पार पाकिस्तान में पड़ने वाला वज़ीरिस्तान पहला इलाका है, जो पश्तून बहुल है और हक्कानी उसे अफगानिस्तान में शामिल करवाना चाहता है.

हक्कानी को लगता है कि अगर तालिबान अमेरिकी फौजों से लड़कर अफगान की सत्ता हासिल कर सकता है तो पाकिस्तान से उसका एक इलाका छीनना कोई बड़ी बात नहीं है. हक्कानी की हसरत की सबसे बड़ी वजह ये है कि वज़ीरिस्तान में उसकी पकड़ बहुत मजबूत है. वहां पश्तून आबादी ज्यादा है, जो कहीं न कहीं हक्कानी नेटवर्क को समर्थन करती है. सूत्रों का दावा है कि आने वाले वक्त में पाकिस्तान और हक्कानी के बीच हिंसा होना तय है.
फसाद की वजह 'डूरंड लाइन'
अफगानिस्तान की पूर्व सरकारें और यहां तक कि तालिबान भी डूरंड लाइन का विरोध करता रहा है. आपको बता दें कि डूरंड लाइन ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सरहदों को बांटती है. दिक्कत ये है कि पश्तूनों ने डूरंड लाइन को माना ही नहीं और इसकी वजह ये है कि इस लाइन के दोनों तरफ कई इलाकों में पश्तून आबादी बहुतायत में है.
डूरंड लाइन
अफगानिस्तान के पश्तून मानते हैं कि डूरंड लाइन खींचकर ब्रिटेन ने पश्तूनों के घर-बार का मनमाने तरीके से बंटवारा कर दिया था. यही वजह है कि सदियों से रह रहे पश्तून डूरंड लाइन को अहमियत नहीं देते हैं. ये तय है कि अफगानिस्तान की सत्ता चाहे जिसके पास रहे वो किसी भी कीमत पर डूरंड लाइन को मान्यता नहीं देगा.
हक्कानी-पाकिस्तान के बीच सब ठीक नहीं
जब तक अफगानिस्तान में सरकार का गठन नहीं हो जाता, तब तक हक्कानी खामोश रहेगा, लेकिन बताया जा रहा है कि पाकिस्तान और हक्कानी के बीच विवाद की शुरुआत हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी हुक्मरानों और हक्कानी के बीच डूरंड लाइन को लेकर बातचीत हुई है. हक्कानी नेटवर्क चाहता है कि वज़ीरिस्तान को अफगानिस्तान में मिलाया जाए. ये बात पाकिस्तान के रहनुमाओं के होश उड़ा चुकी है.
यही वजह है कि पाकिस्तान पूरी ताकत लगाकर हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान की सत्ता दिलाना चाहता है, इस समझौते के तहत कि वो पाकिस्तान में दखल नहीं देगा, लेकिन जानकार मानते हैं कि जैसे ही हक्कानी नेटवर्क पूरी तरह सत्ता हासिल करेगा, वो पाकिस्तान में खूनी खेल जरूर शुरु करेगा.
पाकिस्तान के लिए 'भस्मासुर' बनेगा हक्कानी
हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान ने पाला-पोसा ये बात किसी से छिपी नहीं है. हक्कानी को तालिबान के खिलाफ खड़ा किया. आज हालात ये हैं कि हक्कानी तालिबान पर भारी पड़ रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ पाकिस्तान है. पाकिस्तान को लगता था कि हक्कानी के जरिए वो तालिबान को काबू में रखेगा. अफगानी जमीन का इस्तेमाल कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए करेगा, लेकिन तालिबान ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया.
पाकिस्तान को गलतफहमी थी कि हक्कानी उनका मोहरा बनकर उनके हिसाब से काम करेगा. लेकिन वज़ीरिस्तान को लेकर विवाद बढ़ने पर हक्कानी नेटवर्क को भस्मासुर बनते देर नहीं लगेगी. कोई बड़ी बात नहीं कि अगले 2 से 3 महीने में हक्कानी के आतंकी पाकिस्तान में हमलों को अंजाम देने लगेंगे.
क्या है डूरंड लाइन का इतिहास
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा को दुनिया डूरंड लाइन के नाम से जानती है. 12 नवंबर, 1893 को ब्रिटिश सिविल सर्वेंट सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड और तत्कालीन अफगान शासक अमीर अब्दुर रहमान के बीच डूरंड रेखा के रूप में अग्रीमेंट हुआ था. समझौता तो हो गया था, लेकिन पश्तूनों ने कभी डूरंड लाइन को अहमियत नहीं दी. वो उसे ब्रिटेन और सोवियत संघ की साजिश मानते हैं, क्योंकि एक लाइन ने पश्तूनों के इलाके को बांटकर दो अलग-अलग देशों का हिस्सा बना दिया था. अब वही डूरंड लाइन पाकिस्तान के लिए डेंजरस साबित हो सकती है.


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