अधर में पाकिस्तान, सरकार किसी की भी बने, उसे सेना के हिसाब से ही चलना होगा

इमरान खान भी नहीं कर सके और इसका कारण यही रहा कि जो सेना छल-बल से उन्हें सत्ता में लाई थी

Update: 2022-04-05 14:17 GMT
Pakistan Political Crisis नया पाकिस्तान बनाने का सपना दिखाने वाले इमरान खान ने अपनी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को अमेरिकी साजिश से प्रेरित करार देकर जिस मनमाने तरीके से खारिज कराया और फिर संसद भी भंग कर दी, उससे यही पता चलता है कि इस पड़ोसी देश में लोकतंत्र अभी भी खोखला ही है। इसी खोखलेपन के कारण ही वहां अभी तक कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
इमरान खान भी नहीं कर सके और इसका कारण यही रहा कि जो सेना छल-बल से उन्हें सत्ता में लाई थी, वह उनसे आजिज आ गई थी। इसका पता इससे चलता है कि जिस समय इमरान यह शोर मचा रहे थे कि विपक्ष अमेरिका के इशारे पर उनकी सरकार गिराने की साजिश रच रहा है, उसी समय पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा न केवल अमेरिका से अच्छे रिश्तों को रेखांकित कर रहे थे, बल्कि यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना भी कर रहे थे। उनके इस बयान से यही संकेत मिला कि उन्हें इमरान का हालिया रूस दौरा रास नहीं आया।
यह समझ आता है कि इमरान इससे कुंठित थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अभी तक उन्हें फोन नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट है कि पाकिस्तानी सेना को उनका यह बेसुरा राग नहीं भाया कि अमेरिका उन्हें सत्ता से बाहर करना चाहता है। यह मानने के भी अच्छे-भले कारण हैं कि विदेश नीति के मामले में इमरान के बड़बोलेपन से सेना असहज थी।यह तो साफ है कि सेना इमरान खान की मदद करने के लिए आगे नहीं आई, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जिस तरह संविधान की ऐसी-तैसी की, उससे इस संभावना को बल मिलता है कि कुछ सैन्य अधिकारी अंदर ही अंदर उनका समर्थन कर रहे हों।
इसका एक कारण यह है कि सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा एक और विस्तार चाह रहे हैं। इससे उन सैन्य अधिकारियों का क्षुब्ध होना स्वाभाविक है, जो सैन्य प्रमुख बनने की कतार में हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि इमरान जिस सैन्य अफसर को खुफिया एजेंसी आइएसआइ का प्रमुख बनाना चाहते थे, वह बाजवा को स्वीकार नहीं था। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं कि इमरान खान के मनमाने फैसलों को सुप्रीम कोर्ट मंजूरी देगा या उन्हें खारिज करेगा, लेकिन पाकिस्तान में जल्दी ही मध्यावधि चुनाव होना तय है। इसी तरह यह भी तय है कि वहां सरकार किसी की भी बने, उसे सेना के हिसाब से ही चलना होगा।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय 
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