अब बॉलीवुड पर निशाना
आजादी के बाद विदेशों में जिन भारतीय उद्योगों ने अपनी खास पहचान बनाई, उनमें एक बॉलीवुड यानी भारत का फिल्म उद्योग भी है।
आजादी के बाद विदेशों में जिन भारतीय उद्योगों ने अपनी खास पहचान बनाई, उनमें एक बॉलीवुड यानी भारत का फिल्म उद्योग भी है। हलके-फुल्के मनोरंजन के लिए पहले एशिया से अफ्रीका तक और बाद में अमेरिका से लेकर चीन तक में बॉलीवुड की फिल्में और सितारे लोकप्रिय हुए। लेकिन 2016 में नोटबंदी के साथ उस उद्योग पर जो ग्रहण लगा, वह लगातार गहराता ही जा रहा है। कोरोना महामारी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। हाल के वर्षों में गिनी-चुनी बड़े बजट की भव्य फिल्में ही परदे पर आई हैं। लेकिन समस्या सिर्फ आर्थिक नहीं है। वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद जिस तरह मुक्त अभिव्यक्ति का माहौल संकुचित हुआ, उसका असर भी बॉलीवुड पर रहा है। अब ये असर और संगीन होने वाला है। केंद्र सरकार ने अभी लागू चलचित्र अधिनियम-1952 में कुछ बदलाव प्रस्तावित किए हैं। संशोधन अधिनियम के मसविदे में सरकार को उन फिल्मों पर भी फिर से विचार करने की शक्ति देने का प्रस्ताव दिया गया है, जिन्हें केंद्रीय सेंसर बोर्ड पास कर चुका है। यानी सेंसर की आखिरी शक्ति औपचारिक रूप से पेशेवर कलाकारों के हाथ से निकल कर राजनेताओं के हाथ में आ जाएगी।