लहर नहीं, सिर्फ चेतावनी

सिर्फ एक दिन में ही, देश में, कोरोना वायरस के संक्रमित मामले दोगुने हो गए

Update: 2022-04-19 19:18 GMT

सिर्फ एक दिन में ही, देश में, कोरोना वायरस के संक्रमित मामले दोगुने हो गए। हालांकि अभी रुझान दिल्ली, हरियाणा, उप्र, केरल आदि राज्यों में ही स्पष्ट हुए हैं, लेकिन देश के 16 राज्यों में कोरोना-विस्तार के आसार बन रहे हैं। फिलहाल महामारी जैसा प्रकोप भी नहीं है, स्थानीय बीमारी जैसा प्रसार भी नहीं है, लेकिन हम कोरोना की तीन लहरों के घातक थपेड़े खा चुके हैं, लिहाजा भयभीत और आशंकित होना स्वाभाविक है। कुछ कोरोना विशेषज्ञ संक्रमण की ताज़ा बढ़ोतरी को 'चौथी लहर की आहट' मान रहे हैं, लेकिन अधिकतर विशेषज्ञ इसे नई लहर मानने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे सामान्य फ्लू का संक्रमण मान रहे हैं। उनके मत हैं कि भारत सरीखे विराट और व्यापक देश में संक्रमण के ऐसे मामले घटते-बढ़ते रहेंगे। बच्चों में संक्रमण गंभीर स्तर तक नहीं पहुंचेगा, क्योंकि उनकी प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता काफी होती है। वह संक्रमण से लड़कर उसे निढाल कर सकती है। बहरहाल जिस तरह राजधानी दिल्ली, उसके पड़ोस में हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर आदि जिलों तथा उप्र के नोएडा, गाजि़याबाद, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़ और राज्य की राजधानी लखनऊ में संक्रमण के ताज़ा मामले सामने आए हैं, बेशक वे 'लहर' के संकेत न हों, लेकिन शेष भारत के लिए 'चेतावनी' साबित हो सकते हैं। बीते एक दिन में ही, सोमवार रात्रि तक, देश में 2218 संक्रमित मरीज दर्ज किए गए हैं।

यह आंकड़ा 18 मार्च के बाद सबसे अधिक है। इस अंतराल के दौरान मौतें मात्र 2 ही दर्ज की गई हैं। हालांकि केरल ने 212 मौतें पिछली जोड़ी हैं, लिहाजा कुल मौतें 214 बताई गई हैं। कोरोना वायरस के लक्षण भी उतने गंभीर नहीं हैं। सिर्फ कुछ खांसी, जुकाम और हल्का बुखार आदि लक्षण सामने आए हैं, जो 2-4 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। गौरतलब यह है कि बेशक कोरोना संक्रमण के मामले कुछ तेजी के साथ बढ़े हैं, लेकिन अस्पतालों में कोरोना-बिस्तर लगभग खाली हैं। ज्यादातर मरीज घरों में पृथक्वास में रहकर स्वस्थ हो रहे हैं। इस दौरान कोरोना की कोई नई नस्ल भी सामने नहीं आई है। जीनोम सीक्वेंसिंग के जो निष्कर्ष अभी तक आए हैं, उनमें ओमिक्रॉन वायरस ही पाया गया है। फिलहाल एक्स.ई. वायरस की पुष्टि नहीं हुई है। कोरोना वायरस का नया उभार चिंताजनक जरूर है, क्योंकि संक्रमण इतना घट रहा था कि हमने कोरोना का समापन मान लिया था, लेकिन सरकारी व्यवस्था और पाबंदियों में जरूरत से मास्क, सामाजिक दूरी और सीरो सर्वे आदि रणनीतिक मानक आज भी प्रासंगिक हैं। हालांकि सरकारों ने कुछ दिन पहले ही मास्क पर जुर्माने की व्यवस्था वापस ले ली थी, लेकिन असल में आम आदमी मास्क के प्रति तब भी लापरवाह दिखाई देता रहा है, जब कोरोना संक्रमण चरम पर था। अब फिर मास्क अनिवार्य किया जा रहा है।
यह उचित फैसला है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण और स्वाभाविक संक्रमण की स्थिति के बाद औसत व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता, एंटीबॉडी की मात्रा पर्याप्त है, नतीजतन पहले की लहरों के दंश हमें नहीं झेलने पड़ेंगे। हालांकि टीकाकरण की गति इधर काफी धीमी हुई है। हालांकि करीब 98 फीसदी आबादी को कमोबेश एक खुराक जरूर मिल चुकी है। अभी तक 18-59 आयु वर्ग में 1.62 लाख लोगों को ही बूस्टर खुराक (प्रीकॉशन डोज) दी गई है। यह आंकड़ा बेहद कम है। करीब 20 करोड़ खुराकें राज्य सरकारों के पास बेकार पड़ी हैं। उनकी अंतिम तिथि भी निकल चुकी होगी! बच्चों के 12-14 आयु वर्ग में करीब एक-तिहाई को ही पहली खुराक दी जा सकी है। इस आयु-वर्ग में बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड राज्यों में दूसरी खुराक की शुरुआत तक नहीं की गई है। दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में भी दयनीय स्थिति है। गर्मी का मौसम खत्म होने से पहले स्कूली बच्चों का पर्याप्त टीकाकरण कर दिया जाना चाहिए। यदि कोरोना की किसी संभावित लहर को रोके रखना है, तो बूस्टर खुराक का समय भी 9 महीने के बजाय 6 माह किया जाए। टेस्टिंग की गति भी बढ़ानी होगी, तभी असल में संक्रमण की गहराई और व्यापकता की जानकारी मिल पाएगी। बहरहाल अभी चेतावनी पर ही देश को सचेत हो जाना चाहिए। सरकारें भी लापरवाही छोड़ें। अभी सब कुछ हमारी मुट्ठी में है।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली


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