मंत्री बनाम अधिकारी
जबसे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, देश भर में उसकी तारीफ हो रही है, लेकिन सरकार की हर तरफ यह तारीफ चिराग तले अंधेरा जैसी साबित हो रही है। अगर ध्यान से देखें तो लगता है कि यूपी की योगी सरकार को केवल सरकारी अधिकारी अपनी इच्छा और सुविधानुसार चला रहे हैं।
Written by जनसत्ता: जबसे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, देश भर में उसकी तारीफ हो रही है, लेकिन सरकार की हर तरफ यह तारीफ चिराग तले अंधेरा जैसी साबित हो रही है। अगर ध्यान से देखें तो लगता है कि यूपी की योगी सरकार को केवल सरकारी अधिकारी अपनी इच्छा और सुविधानुसार चला रहे हैं। अभी यूपी के एक मंत्री दिनेश खटीक ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अपना इस्तीफा भेजा है।
इस्तीफे में उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि जलशक्ति विभाग में खूब भ्रष्टाचार हो रहा है, विभाग के अधिकारी उनकी कोई बात नहीं सुनते। उन्होंने जलशक्ति विभाग में हुए तबादलों में अवैध वसूली का आरोप भी लगाया है। यूपी में अफसरशाही के हावी होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जलशक्ति मंत्री ने विभाग के अधिकारी को फोन किया तो उसने पूरी बात सुने बिना ही फोन काट दिया।
जानकारी मांगने पर विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई जानकारी उन्हें नहीं दी जाती। यह हाल यूपी सरकार में एक मंत्री का है, तो फिर अन्य जनप्रतिनिधियों और सामान्य कार्यकर्ताओं की क्या स्थिति होगी, सोचने वाली बात है। मंत्री दिनेश खटीक अकेल ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो अधिकारियों से परेशान हैं। इनसे पहले भी कई मंत्री इस तरह की बात बोल चुके हैं।
पिछली भाजपा की सरकार में चुनाव से पहले कई मंत्री पार्टी छोड़ कर चले भी गए थे। जिस व्यक्ति को जनता अपना नेता चुन कर भेजती है, उस पर अधिकारी हावी रहें, तो फिर चुनाव कराने की कोई आवश्यकता ही नहीं। सरकार में मंत्री बनाने की भी कोई आवश्यकता नहीं। योगी सरकार में अफसरशाही हावी होने के कारण सामान्य कार्यकर्ताओं के काम तो दूर, उनकी बेइज्जती करना भी अधिकारियों ने पेशा बना लिया है। कई बार देखा गया है कि सामान्य से काम के लिए सांसद-विधायकों को थाने में ही बैठना पड़ता है। सरकारी अधिकारियों पर विश्वास करके सत्ता चलाने वाले योगी जी और केंद्रीय नेतृत्व को शीघ्रता से इस पर ध्यान देना चाहिए।
हरियाणा में अवैध खनन रोकने गए डीएसपी पर डंपर चला कर मार डालने की घटना एक तरह से शासन, प्रशासन, कानून तथा व्यवस्था को खुली चुनौती देने वाली है। जैसे अवैध खनन करने वाले माफिया में कोई खौफ नाम की चीज नहीं है। ऐसे बैखौफ खूनी माफिया को कतई बख्शा नहीं जाना चाहिए। कानून का खौफ बहुत जरूरी है।