आशाओं के दीप जलाएं, दीपावली को पूरी महिमा और आभा के साथ मनाएं
दीपावली देश का सबसे बड़ा त्योहार
दीपावली देश का सबसे बड़ा त्योहार ही नहीं, हमारी सांस्कृतिक अस्मिता और परंपराओं को प्रकाशमान करने वाला भव्य एवं दिव्य आयोजन भी है। इस पर्व को लेकर अनगिनत धार्मिक एवं सांस्कृतिक आख्यान हैं, लेकिन वे सभी प्राणिमात्र के कल्याण और हर किसी के सुख की कामना करते हैं। सर्वत्र सुख का वास हो और समाज सदैव समरसता की ओर अग्रसर रहे, प्रकाश पर्व के इस संदेश को आत्मसात करने के लिए यह आवश्यक है कि आपसी प्रेम भाव के साथ देश प्रेम के भी दीप जलाए जाएं।
दीपावली के जगमग प्रकाश में हर किसी को अपने-अपने स्तर पर ऐसे प्रयत्न करने के लिए संकल्प लेने चाहिए, जिनसे सामाजिक-आर्थिक स्तर पर देश का मान बढ़ाने वाले उन लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके, जो हमारे समक्ष हैं और जिनके बारे में यह भरोसा है कि उन्हें प्राप्त किया जा सकता है। इन लक्ष्यों को पाने में आसानी तब होगी, जब राष्ट्रीय एकता-अखंडता की रक्षा के लिए हम सब प्रतिबद्ध रहेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों को देखते हुए इस प्रतिबद्धता की आवश्यकता और बढ़ गई है। कोई भी समाज या देश केवल सरकारी प्रयासों से आगे नहीं बढ़ता। उसकी उम्मीदों को पंख तब लगते हैं, जब जन-जन इस भाव से भरा होता है कि उसे अपने दायित्वों के निर्वहन को लेकर उतना ही सजग रहना है, जितना अन्य से अपेक्षित होता है।
वैसे तो हमारे सभी त्योहार समाज के आपसी प्रेम के साथ सह अस्तित्व की भावना को प्रकट करते हैं, लेकिन दीपावली इस पवित्र भाव को व्यापक रूप में रेखांकित करती है और इसीलिए उसे कहीं अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली का जितना सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व है, उतना ही आर्थिक भी। यह माना जाना स्वाभाविक ही है कि यह दीपावली सुख-समृद्धि की आस पूरी करने के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बल देने भी जा रही है। ऐसा ही होना चाहिए, क्योंकि आर्थिक उन्नति ही चहुंओर खुशियों का उजाला बिखेरेगी और आशाओं के दीप जलाएगी।
चूंकि दीप पर्व साफ-सफाई की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भी आता है और यह किसी से छिपा नहीं कि इस कोरोना काल में स्वच्छता की महत्ता और बढ़ गई है, इसलिए सेहत को लेकर सतर्क रहने के साथ स्वच्छता अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के जतन होने चाहिए। इसी के साथ यह भी स्मरण रहे कि मनमोहक झिलमिलाते दीपों का यह अद्भुत पर्व ऋतुचक्र में परिवर्तन के अनुरूप जीवन शैली अपनाने को भी कहता है। दीपावली को उसकी पूरी महिमा और आभा के साथ मनाते हुए हमें इस संदेश को और अधिक तत्परता से समझना होगा, क्योंकि पर्यावरण को बचाने का उत्तरदायित्व भी हम पर है।
दैनिक जागरण