केके की मौत : लाइव परफॉर्मेंस का प्रेशर, आयोजकों की बदइंतजामी के बीच कलाकारों की जान अटकी होती है
केके की अचानक मौत (Singer KK Death) की खबर आने से उनके प्रशंसक निराश थे.
विष्णु शर्मा |
केके की अचानक मौत (Singer KK Death) की खबर आने से उनके प्रशंसक निराश थे. उनके गानों का जिक्र सोशल मीडिया (Social Media) पर कर रहे थे. लेकिन कार्यक्रम में मौजूद दो-तीन फैंस के पोस्ट्स ने केके की मौत को लेकर आयोजकों को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इन पोस्ट्स में आरोप लगाए गए हैं कि कैसे कोलकाता के नजरुल मंच ऑडिटोरियम (Nazrul Mancha Auditorium) के एसी ठीक से काम नहीं कर रहे थे. केके ने शिकायत भी की, लेकिन सही नहीं किए गए, वो पसीना पोंछ रहे थे. तो ऐसे में ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या केके की मौत स्वभाविक नहीं थी, क्या आयोजकों की लापरवाही के चलते वो दवाब में आ गए?
मशहूर म्यूजिक कम्पोजर और मौजी सिंगर अनु मलिक ने टीवी 9 से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में कोई भी राय जल्दी नहीं बना लेनी चाहिए. इसके लिए पुलिस की पूछताछ और केके की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखकर ही कोई राय बनानी चाहिए. अनु मलिक कहते हैं, "चूंकि वो कोई नए सिंगर नहीं थे, ऐसे सैकड़ों शोज वो कर चुके थे. वो जानते थे कि भीड़ होगी. और उन्हें पता था कि आयोजकों को कैसे हैंडल करना है. सो लगता नहीं है कि वो किसी अंदरूनी दवाब में होंगे. लेकिन क्या उनको पहले से कोई दिक्कत थी, शो करने से पहले उनको सिर दर्द या और कोई परेशानी थी? ये सब उनके करीब के लोग, जैसे कि उनका मैनेजर, मेकअप मेन, उनका कोई और सहयोगी या और मौके पर मौजूद आयोजक ही बता सकते हैं. पुलिस उनसे पूछताछ करे, पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखे और तब ही कोई राय बनाई जाए."
केके काम को लेकर काफी डेडिकेटेड थे
जाहिर है अनु मलिक जानते हैं कि इस मौके पर उनके मुंह से निकला कोई भी शब्द मीडिया की सुर्खी बन सकती है, इसलिए उन्होंने सधे सुर में ही बातचीत की. लेकिन उनको केके के जाने का जो दुख था, वो साफ उनकी आवाज में दिखा, ना जाने कितनी फिल्मों में केके अनु मलिक के साथ काम कर चुके हैं. नो एंट्री, अक्स, हेरा फेरी, मैं हूं ना, फिलहाल जैसी फिल्मों में केके ने उनके लिए गाया था. अनु ने बताया, " केके बेहद अच्छे इंसान थे, जिंदादिल थे, केवल म्यूजिक और फिर घर परिवार, सिम्पल लाइफ, ना शराब, ना सिगरेट, ना पार्टी, किसी से कुछ लेना देना नहीं, बस काम से काम रखते थे. वक्त पर खाना खाते थे, जल्दी सो जाते थे, हम तो स्तब्ध हो गए कि ऐसे आदमी को दिल का दौरा कैसे पड़ सकता है."
अनु मलिक
हालांकि, अनु मलिक का कहना है कि वो काम को लेकर काफी डेडिकेटेड थे, इतने ज्यादा कि एक बार तो फीवर में भी उनका गाना रिकॉर्ड करने आ गए थे. अनु मलिक ने मना किया, फिर भी गाना उन्होंने रिकॉर्ड किया, और तब भी उनकी आवाज में रत्ती भर भी फर्क नहीं था. सो ऐसे में हो सकता है कि वो तबियत खराब होने के बावजूद कोलकाता में गाते रहे. अनु मलिक बताते हैं, "उनकी बहुत ख्वाहिश थी कि बॉर्डर का संदेशे आते हैं, जैसे देशभक्ति का एक गीत वो भी गाएं, मैंने उनसे वादा भी किया था. जब उनका गाना तड़प-तड़प के इस दिल से आह निकलती रही.. मैंने सुना तो मैंने कहा, यार ये क्या गा दिया, कोई गाना इसका तोड़ नहीं हो सकता, तो केके ने कहा अनुजी आपका वो गाना तो चलूं… का एक अंतरा इससे भी बेहतरीन है. अनु मलिक ही नहीं इस हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में केके से जुड़े जितने लोग हैं, वो काफी सदमे में हैं.
'केके हमारे लिए आइडल की तरह थे'
उन्हीं में से एक हैं रूहानी आवाज के मालिक कैलाश खेर, टीवी9 से बातचीत में उन्होंने कहा कि, "केके हमारे सीनियर थे. मेरा तो पहला एलबम ही 2006 में आया था, हमारे आइडल की तरह थे वो. हम काफी इज्जत करते थे उनकी. उनसे मिलने के बाद वो इज्जत और भी बढ़ गई. क्योंकि ऐसा नहीं था कि सीनियर हैं तो अकड़े ही रहेंगे, वह इंसान बहुत अच्छे थे. फिर हममें दोस्ती हो गई, उनके म्यूजीशियंस कभी हमारे शो में चले जाते थे, जैसे रिंकू राजपूत, जेडी आदि तो कभी हमारे उनके शो में चले जाते थे. लगता ही नहीं था कि वो इतने मशहूर गायक हैं." कैलाश खेर का उनसे दिल्ली कनेक्शन भी जुड़ गया था. कैलाश खेर कहते हैं, "वो यूं तो केरल के मलयाली थे, लेकिन दिल्ली वाले मल्लू थे और हम भी दिल्ली वाले, इसलिए उनकी हिंदी भी अच्छी थी. काफी मिलनसार थे."
कैलाश खेर
लेकिन केके के फैंस जो एसी आदि की बातें उठा रहे हैं, उनको लेकर कैलाश का मानना है कि ये बेकार की बातें हैं. जब तक कोई बात आधिकारिक रूप से ना कही जाए, उनको तवज्जो नहीं देनी चाहिए, फिर भी उनका मानना है कि, "भारत में लाइव इवेंट्स को लेकर जितनी अवेयरनेस होनी चाहिए, वो है नहीं. विदेशों में ऐसे सभी इवेंट्स का पूरा इंश्योरेंसे होता है, बाहर फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस, एक रेडी डॉक्टर, गाइडलाइंस का पूरा पालन होता है. तब जाकर परमीशन मिलती है. लेकिन भारत में ऐसा मुश्किल ही होता है, सरकारों को ये सब संज्ञान में लेना चाहिए."
कैलाश खेर का ये भी मानना है कि स्टेज के सामने क्या है, उससे ज्यादा जरूरत है बैकस्टेज मैनेजमेंट की. उसे यहां लाइटली लिया जाता है. कई बार भीड़ वहां भी पहुंच जाती है जहां आर्टिस्ट होते हैं. उस भीड़ के साथ बेकार के दस-बीस आदमी पहुंचकर आर्टिस्ट को ऑटोग्राफ, फोटो आदि के लिए परेशान करते हैं. आर्टिस्ट की कूलनेस खराब कर देते हैं, उसको परफॉर्मेंस की तैयारी करनी होती है, टीम और बैंड के साथ डिसकस करना होता है. मेरे साथ सैंकड़ों बार ऐसा हुआ." लेकिन केके के मामले में उनका कहना है कि, "यूं थोड़ी बहुत बदइंतजामी की आशंका आर्टिस्ट को पहले से होती है, लेकिन अगर कार्यक्रम से ठीक पहले आर्टिस्ट अगर असहज महसूस कर रहा है, तबियत खराब है, तो दिक्कत हो सकती है, उसकी जांच होनी चाहिए."
'लाइव शो में गायक पर अंदरूनी दवाब बना ही रहता है'
इंडियन आइडल 5 से चर्चा में आए और कई म्यूजिकल शोज में अपना परचम लहरा चुके, राधे राधे राधे तेरे बिना कृष्णा लगे आधे आधे जैसा सुपरहिट गाना दे चुके युवा गायक अमित गुप्ता भी केके से करियर के शुरूआती दिनों में जुड़े रहे हैं. गोवा में शूट कर रहे अमित ने टीवी9 को बताया कि "केके इतने अच्छे इंसान थे कि हर कोई उनसे सीखना चाहता था, स्टूडियो में हम उनके आस पास रहने की कोशिश करते थे, ताकि वो जो भी बोलते हैं, उसे बस हम सुनते रहें."
सिंगर अमित गुप्ता
लाइव शोज में प्रेशर को लेकर अमित गुप्ता कहते हैं, "जितना बड़ा सिंगर होता है, उस पर उतना ही दवाब होता है कि वो और अच्छा और अच्छा गाए, स्टेज पर आते ही उसका हार्टबीट और ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना तय है, ऐसे में जब तक आधा शो नहीं गुजर जाता, पब्लिक की प्रतिक्रिया मनमाफिक देखने को नहीं मिल जाती, लाइव शो में गायक पर अंदरूनी दवाब बना ही रहता है." अमित का कहना है कि लाइव शो में आपको हाईनोट पर गाना होता है, साथ में नाचना भी होता है. ऐसे में दो-तीन गानों के बाद दिमाग पर आप हीट महसूस करने लगते हैं."
ऐसे में केके के फैंस ये दावा भी कर रहे हैं कि कोलकाता के इस इनडोर ऑडीटोरियम में क्षमता तो 3000 की थी, लेकिन तमाम लोग बिना पास के भी घुस आए थे और एक दिन पहले उसी ऑडीटोरियम में केके का शो हुआ था, तब भी एसी ठीक से काम नहीं कर रहे थे, और शिकायत करने के बावजूद अगले दिन भी ठीक नहीं हुए. लेकिन जैसा कि कैलाश खेर और अनु मलिक ने कहा कि जब तक आधिकारिक रूप से कुछ ना कहा जाए, इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.
सोर्स -tv9hindi. com