जॉनसन नहीं सुधरेंगे
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने अचानक मंत्री पद से इस्तीफा देकर उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं। भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और पाकिस्तानी मूल के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद ने मंगलवार को इस्तीफा दिया।
नवभारत टाइम्स: ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने अचानक मंत्री पद से इस्तीफा देकर उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं। भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और पाकिस्तानी मूल के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद ने मंगलवार को इस्तीफा दिया। यह एलान दोनों ने तब किया, जब जॉनसन टीवी पर माफी मांग रहे थे कि उन्होंने यौन दुर्व्यवहार के आरोपी एक सांसद को इस शिकायत की जानकारी होने के बावजूद प्रमोशन दिया। सुनक ने यह भी कहा कि सरकार के कामकाज का ऊंचा स्तर बनाए रखना जरूरी है, जो मौजूदा हालात में संभव नहीं हो पा रहा। दरअसल, जॉनसन का तीन साल का कार्यकाल कई तरह के विवादों से घिरा रहा। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब उन्हें गलती के लिए माफी मांगनी पड़ी हो। इससे पहले कोविड के दौरान प्रधानमंत्री आवास में पार्टी देने के विवाद में भी जॉनसन को गलती कबूल करनी पड़ी थी। पिछले महीने उनकी पार्टी के सांसदों ने ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें उनकी सरकार बाल-बाल बची। लेकिन तीन साल पहले हालात अलग थे। तब जॉनसन को आम चुनाव में शानदार जीत मिली थी। ऐसी जीत, जिसे देखकर लगा था कि वह 10 साल तक सत्ता में बने रहेंगे। वह नए मार्गरेट थैचर हो सकते थे। वह ब्रेग्सिट के साथ ब्रिटेन में नया आर्थिक, सामाजिक मॉडल तैयार कर सकते थे।
अफसोस, जॉनसन इन मौकों को गंवा बैठे। आज ब्रिटेन आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। जून में वहां महंगाई दर 9 फीसदी तक पहुंच गई। इसके जल्द ही दहाई अंकों में पहुंचने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। जॉनसन की नीतियां भ्रम में डालने वाली हैं। वह एक तरफ स्कूलों, अस्पतालों, पुलिसिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि इससे उनकी मशहूरी बढ़ेगी। लेकिन खर्च बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए। इसकी खातिर वह टैक्स बढ़ाते हैं। टैक्स बढ़ाने पर जब उनकी रेटिंग गिरने लगती है, तब वह इसे घटाने लगते हैं। वह एक साथ पॉप्युलर और रिफॉर्मर दोनों बनना चाहते हैं, जो मुश्किल है। सरकार के दो सीनियर मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद भी जॉनसन के पास बहुमत है। पार्टी में उनके विरोधी पिछले महीने अविश्वास प्रस्ताव ला चुके हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक, अब कम से कम एक साल तक उनके खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्ताव वे नहीं ला सकते। लेकिन सच यह भी है कि उनकी लोकप्रियता घट रही है। हालिया ओपिनियन पोल के मुताबिक, 2019 आम चुनाव में जिन लोगों ने जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी को वोट दिया था, उनमें से 54 फीसदी किसी और को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। अगला आम चुनाव अभी तीन साल दूर है। इसलिए जॉनसन के पास सरकार के कामकाज में सुधार लाकर अपनी साख बनाने का अवसर है। क्या वह ऐसा कर पाएंगे? अगर अतीत को आधार मानें तो यह मुश्किल लगता है।