सचिन पायलट के लिए सीएम बनना मुश्किल, तो पार्टी में पकड़ बनाए रखना बने रहना और भी मुश्किल?

Update: 2022-09-25 17:48 GMT
 
By प्रदीप द्विवेदी
तमाम राजनीतिक योग्यताओं के बावजूद सियासी धैर्य के अभाव में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के लिए मुख्यमंत्री का पद हासिल करना मुश्किल हो गया है, वजह?
1. यदि सचिन पायलट सियासी बगावत नहीं करते और उपमुख्यमंत्री बने रहते, तो वे इस वक्त निर्विवाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार होते।
2. सचिन पायलट की सियासी बगावत के दौरान प्रताप सिंह खाचरियावास, गोविंद सिंह डोटासरा जैसे नेताओं का सियासी कद काफी बढ़ गया।
3. अशोक गहलोत के समर्थक चाहते हैं कि राजस्थान का सीएम, विधायकों के बहुमत के आधार पर बने।
4. विधायकों के बहुमत के आधार पर यदि सीएम बनता है, तो सचिन पायलट के लिए सीएम बनना बहुत मुश्किल है, लेकिन यदि कांग्रेस हाईकमान फैसला लेता है, तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
मुख्यमंत्री बन जाने के बाद भी सचिन पायलट की राह आसान नहीं है, कारण?
1. अशोक गहलोत बेहद ताकतवर होकर केंद्र में जा रहे हैं, लिहाजा राजस्थान में उनके समर्थकों के हौसले बुलंद हैं।
2. उपमुख्यमंत्री रहते सत्ता-संगठन पर जो पकड़ सचिन पायलट की थी, वह अब नहीं है, यही नहीं, इस वक्त सारा सरकारी तंत्र सीएम गहलोत की पसंद से बना है, यदि सचिन पायलट इसमें बदलाव करते हैं, तो बगावत का खतरा है और यदि वैसा ही रहने देते हैं, तो सरकार पर उनकी पकड़ असरदार नहीं रहेगी।
3. राजस्थान के वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों पर सियासी नियंत्रण अब आसान नहीं है।
4. क्योंकि राजस्थान विधानसभा चुनाव में करीब एक वर्ष ही बाकी है, लिहाजा महत्वाकांक्षी नेताओं को अनुशासन में रखना बहुत मुश्किल है।
5. अगला विधानसभा चुनाव सचिन पायलट के लिए अग्निपरीक्षा होगा।
क्या हो सकता है?
यदि कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में राजनीतिक नुकसान नहीं उठाना चाहता है और सियासी विवाद से भी बचना चाहता है, तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रखते हुए, सचिन पायलट को कार्यवाहक मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
इसके लिए सियासी धैर्य दिखाते हुए सचिन पायलट को ही पहल करनी चाहिए, क्योंकि अशोक गहलोत को सचिन पायलट के सहयोग की ज्यादा जरूरत नहीं है, लेकिन सचिन पायलट को बेहतर सियासी भविष्य के लिए अशोक गहलोत के समर्थन की जरूरत बनी रहेगी।

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