शोध एवं नवाचार की अहमियत
यकीनन देश के बहुआयामी विकास में शोध एवं नवाचार की अहमियत उभरकर दिखाई दे रही है
हमें अभी शोध, नवाचार, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और तकनीकी विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लिए रणनीतिपूर्वक व अधिक तेजी से आगे बढ़ना होगा। हम उम्मीद करें कि 100 करोड़ टीकाकरण के कीर्तिमान में भारतीय वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों के द्वारा किए गए शोध एवं नवाचार की जो प्रभावी भूमिका रही है, वैसी शोध एवं नवाचार की चमकीली भूमिका कृषि एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, उद्योग कारोबार सहित विभिन्न क्षेत्रों में और तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगी…
यकीनन देश के बहुआयामी विकास में शोध एवं नवाचार की अहमियत उभरकर दिखाई दे रही है। पिछले पांच वर्षों में भारत वैश्विक स्तर पर शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। हाल ही में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स-जीआईआई) 2021 में भारत दो पायदान ऊपर उठकर 46वें स्थान पर पहुंच गया है। इसके पहले भारत जीआईआई-2020 में 48वें स्थान पर तथा 2019 में 52वें स्थान पर था। इस इंडेक्स में पांच वर्ष पहले भारत 81वें स्थान पर था। इसी तरह ब्लूमबर्ग के द्वारा प्रकाशित की गई 135 देशों की वैश्विक नवाचार रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग ऊंची हुई है। नवाचार की ये वैश्विक रिपोर्टें जिन मापदंडों पर तैयार की गई हैं, उनमें देश में कार्यरत शोध संस्थाओं की गुणवत्ता, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, ज्ञान पूंजी, डिजिटल सुविधाएं, स्टार्टअप के लिए अनुकूलताएं, मानव संसाधन विकास, कारोबारी विशेषज्ञता, सरकार की प्रभावशीलता, घरेलू कारोबार में सरलता आदि को ध्यान में रखा गया है। विगत 22 अक्तूबर को ऐतिहासिक कोरोना टीकाकरण पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में कोरोना टीकाकरण की 100 करोड़ डोज लगने का आंकड़ा नए भारत की तस्वीर है। भारत का टीकाकरण अभियान शोध एवं नवाचार की कोख में जन्मा है तथा यह वैज्ञानिक आधारों पर पनपते हुए वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है। भारत ने 100 से अधिक जरूरतमंद देशों को कोरोना टीकों का निर्यात भी किया है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश में कोरोना वैक्सीन की एक अरब खुराक, गति शक्ति, नई ड्रोन नीति और कृषि विकास के सहारे अब अर्थव्यवस्था रफ्तार से बढ़ेगी। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बिल गेट्स ने कहा कि चुनौतीपूर्ण कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए टीके के निर्माण में भारतीय वैज्ञानिकों की शोध और नवाचार की भूमिका बेहतरीन रही है। निःसंदेह भारत में शोध एवं नवाचार बढ़ने में डिजिटल ढांचे और डिजिटल सुविधाओं की भी अहम भूमिका है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत ने कोविड-19 को नए चिकित्सकीय शोध और नवाचार को बढ़ावा देने का भी एक अवसर बना दिया है। कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में निर्मित टीकों के लिए वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों के द्वारा किए गए अनुसंधान, नवाचार तथा नई तकनीकों की अहम एवं प्रभावी भूमिका है। डेढ़ साल पहले जब फरवरी-मार्च 2020 में देश में कोरोना संक्रमण की पहली लहर शुरू हुई थी, तब देश में कोरोना की रोकथाम के लिए कोरोना वैक्सीन से संबंधित शोध और उत्पादन के विचार आने शुरू हुए थे। भारत के द्वारा कुछ महीनों के अंदर कोरोना के टीका बनाने का कठिन लक्ष्य पूरा किया गया और अब भारत दुनिया का प्रमुख कोरोना टीका निर्माता देश है। साथ ही 21 अक्तूबर को जब भारत में 100 करोड़वां टीका लगाया गया, तब यह भी चिन्हित हुआ है कि दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे अधिक कोरोना वैक्सीन लगाने वाला देश भारत बन गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है, जिसे 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को लगाया जा सकता है। एक और एमआर एनए वैक्सीन बनकर तैयार होने के अंतिम चरण में है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक पिछले छह-सात वर्षों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए भारत ने जिस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया, उससे भारत कृषि विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा है।
अब देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह नवाचार के आधार पर ड्रोन से भूखंडों का सर्वेक्षण कराकर ग्रामीणों को सम्पत्ति का स्वामित्व सौंपकर सशक्त बनाने की स्वामित्व योजना तेजी से लागू हो रही है। मध्यप्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री श्री कमल पटेल जब अक्तूबर 2008 में मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री थे, तब उनके द्वारा गृह जिले हरदा के मसनगांव और भाट परेटिया गांवों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से ग्रामीणों को उनकी जमीनों के जो स्वामित्व सौंपे गए थे, उससे दोनों गांवों में आर्थिक सशक्तिकरण के जो जोरदार परिणाम आए हैं, उन्हें इस समय चारों ओर अनुभव किया जा रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बढ़ते शोध, नवाचार, मैपिंग, इमेजिंग और कनेक्टिविटी के अभूतपूर्व परिणाम मिलेंगे। यह बात महत्वपूर्ण है कि किसी देश में शोध एवं नवाचार की स्थिति के आधार पर उस देश में विभिन्न देशों के उद्यमी और कारोबारी अपने उद्योग-कारोबार शुरू करने संबंधी निर्णय लेते हैं। पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारें भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स को ध्यान में रखकर अपने वैश्विक उद्योग-कारोबार के रिश्तों के लिए नीति बनाने की डगर पर बढ़ती हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते हुए अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के तेजी से बढ़ने से भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इससे भारतीय बाजार चमकीला होता जा रहा है।
साथ ही भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग पर हो रहे हैं। इससे विदेशी मुद्रा की कमाई बढ़ रही है। पूरी दुनिया में मेड इन इंडिया और ब्रांड इंडिया की चमकीली पहचान बन रही है। यदि हम चाहते हैं कि अब भारत शोध, नवाचार और एआई की बढ़ती हुई शक्ति से विज्ञान, तकनीकी विकास, मानव कल्याण, कृषि, उद्योग, कारोबार आदि के क्षेत्र में और तेजी से आगे बढ़े तो हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। हमारे द्वारा नवाचार में आगे बढ़ने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) के विविध आयामों पर ध्यान देना होगा। भारत में आरएंडडी पर खर्च की राशि जीडीपी के एक फीसदी से भी कम है। इसे बढ़ाना होगा। हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि कोविड-19 के कारण घर लौटी भारतीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी दक्षता वाली प्रतिभाओं की मदद एआई, शोध एवं नवाचार में ली जाए। भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर ऊंचाई देने के लिए उद्योगों को नए आविष्कारों, खोज से परिचित कराने के मद्देनजर सीएसआईआर, डीआरडीओ और इसरो जैसे शीर्ष संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाना होगा। हमें अभी शोध, नवाचार, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और तकनीकी विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लिए रणनीतिपूर्वक व अधिक तेजी से आगे बढ़ना होगा। हम उम्मीद करें कि 100 करोड़ टीकाकरण के कीर्तिमान में भारतीय वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों के द्वारा किए गए शोध एवं नवाचार की जो प्रभावी भूमिका रही है, वैसी शोध एवं नवाचार की चमकीली भूमिका कृषि एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, उद्योग कारोबार सहित विभिन्न क्षेत्रों में और तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगी।
डा. जयंतीलाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री