आज दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाली घटनाएं पूरी दुनिया पर प्रभाव डालती हैं। यूक्रेन संघर्ष और कोविड महामारी का कुप्रभाव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ा है। खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की कमी विकासशील देशों के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सातवें पूर्वी आर्थिक मंच (ईइएफ) के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही कूटनीति और बातचीत का रास्ता अपनाने की जरूरत पर जोर देता रहा है और वह संघर्ष को खत्म करने के सभी शांतिपूर्ण प्रयासों का समर्थन करता है। भारत आर्कटिक मामलों में रूस के साथ भागीदारी को मजबूत बनाने को लेकर गंभीर है।
पूर्वी आर्थिक मंच की स्थापना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2015 में की थी। यह फोरम विश्व अर्थव्यवस्था के प्रमुख मुद्दों, क्षेत्रीय एकीकरण, औद्योगिक तथा तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रूस और अन्य देशों के समक्ष मौजूद वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। फोरम के व्यापार कार्यक्रम में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख भागीदार देशों और आसियान के साथ कई व्यापारिक संवाद शामिल हैं, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में गतिशील रूप से विकासशील देशों का एक प्रमुख एकीकरण संगठन है। यह रूस और एशिया प्रशांत के देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच के रूप में उभरा है।
फोरम की बैठक प्रत्येक वर्ष रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित की जाती है। इस महीने व्लादिवोस्तोक में भारत के वाणिज्य दूतावास की स्थापना के तीस साल पूरे हो रहे हैं। भारत इस शहर में वाणिज्य दूतावास खोलने वाला पहला देश था। दरअसल रूस लंबे समय से भारत का मित्र रहा है, इसने न केवल भारत को एक दुर्जेय सैन्य प्रोफाइल बनाए रखने के लिए हथियार प्रदान किए बल्कि विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर अमूल्य राजनयिक समर्थन भी दिया। इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
इसी के साथ भारत ने हीरे के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है। ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। इससे दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी परियोजनाओं को भी बढ़ावा मिल सकता है। रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र में अपनी पहुंच के विस्तार के लिए भारत कार्य कर रहा है। यानि रूस तथा भारत निवेश, व्यापार एवं वाणिज्य के माध्यम से आर्थिक सहयोग बढ़ाने के अवसरों की तलाश में साथ-साथ हैं। ईइएफ में भारत की सफल भागीदारी दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पारस्परिक इच्छा शक्ति को दर्शाती है।
amritvichar के सौजन्य से सम्पादकीय