एग्जिट पोल अगर ठीक हैं तो पंजाब के दलितों पर चन्नी के प्रभाव को बढ़ा चढ़ाकर आंका गया

एक ओर जहां पंजाब चुनाव के नतीजे आने में दो ही दिन बाकी हैं

Update: 2022-03-08 15:18 GMT

कंवर संधू

Punjab Exit Poll Result 2022: एक ओर जहां पंजाब चुनाव के नतीजे आने में दो ही दिन बाकी हैं और आम आदमी के नेता जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी पार्टियों, जिनमें मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस शामिल है, की नींद हराम हो गई है. दो एग्जिट पोल को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी एग्जिट पोल यही संकेत दे रहे हैं कि यहां आप पार्टी प्रचंड बहुमत हासिल कर सकती है, या फिर दूसरी पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर सकती है. जैसा कि ज्यादातर एग्जिट पोल दिखा रहे हैं, पंजाब में आम आदमी पार्टी अपने दम पर या फिर किसी दूसरे के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है. आप पार्टी इस जीत से दिल्ली से निकलकर पंजाब होते हुए दूसरे राज्यों में अपनी विजय यात्रा की शुरुआत कर सकती है. एक ओर पार्टी पंजाब में 2014 से जीत का इंतजार कर रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में 2015 से लोगों की पसंदीदा पार्टी बनी हुई है.
एग्जिट पोल, सटीक होते हैं या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन इनकी भविष्यवाणियों ने नतीजे आने के पहले हलचल बढ़ा दी है, जहां 20 फरवरी के मतदान के बाद से एक तरह की खामोशी छाई हुई थी. कांग्रेस के अलावा, चुनावी में मैदान में आप, शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी, बीजेपी-पंजाब लोक कांग्रेस-एसएडी(एस) और संयुक्त समाज मोर्चा उतरी हुई हैं, जिसे एक तरह से पांच कोनों वाला चुनाव माना जा रहा था. हालांकि, अंतिम मुकाबला कांग्रेस, आप और एसएडी-बीएसपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रह गया, जबकि बीजेपी+ और एसएसएम केवल वोट कटुआ पार्टी की भूमिका में रहीं. हालांकि, संभावित परिणाम कई बार अलग भी होते हैं, जैसे कि 2017 के चुनाव में पोल पंडितों ने आम आदमी पार्टी की जीत का अनुमान लगाया था लेकिन कांग्रेस ने 77 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की थी. तब आप को 20 सीटें और एसएडी-बीजेपी को 18 सीटें (15+3) मिली थीं. इसलिए 2017 और 2012 के अनुमानों के विपरीत परिणाम को ध्यान में रखते हुए ज्यादातर लोग मौजूदा अनुमान पर भरोसा करने पर अभी भी तैयार नहीं हैं.
इस बार एक दर्जन से अधिक एग्जिट पोल सामने आए हैं. जिनमें से आधे से ज्यादा यह कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को बहुमत हासिल होगी. इनमें से एक ने (News24-Chanakya) आप को 100 से अधिक सीटें दी हैं. दूसरे छह एग्जिट पोल में आप को 62 से 90 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. यदि इन अनुमानों पर भरोसा किया जाए तो पंजाब के माझा (25 सीट) और दोआब (23 सीट) इलाके में भी आप का जादू चल गया है, जो 2017 के चुनाव में मालवा क्षेत्र (69 सीट) तक ही सीमित था.
कांग्रेस को गहराई से मंथन करना होगा
आप को स्पष्ट बहुमत दे रहे एग्जिट पोल, कांग्रेस को केवल 10 से 30 सीटें दे रहे हैं. कांग्रेस की इस हार का सीधा कारण सत्ता-विरोधी लहर के साथ-साथ पोलिंग की तारीख तक जारी पार्टी के भीतर की कलह को माना जा सकता है. जब एग्जिट पोल का प्रसारण शुरू हुआ तो कांग्रेस एक पूर्व राज्य सभा सांसद ने टिप्पणी की, "हमारी प्रतिस्पर्धा प्रतिद्वंदियों के साथ नहीं है, बल्कि अपने लोगों के साथ ही है." यदि 10 मार्च को आने वाले वास्तविक नतीजे एग्जिट के अनुमानों के मुताबिक ही होते हैं, तो कांग्रेस को गहराई से मंथन करना होगा. इसका मतलब यह होगा कि बीच लड़ाई में कांग्रेस हाईकमान द्वारा सेनापति बदलने की रणनीति उल्टी पड़ गई. चुनाव के छह महीने पहले पार्टी ने सुनील जाखड़ को हटाकर नवजोत सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया. चुनाव के चार महीने पहले इसने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह एक दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री के पद की जिम्मेदारी दे दी.

इससे अपमानित महसूस करते हुए अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी बना ली और बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया. बाद में चन्नी को कांग्रेस की ओर से सीएम का चेहरा घोषित कर दिया गया, जबकि उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. इससे विद्रोही स्वभाव वाले सिद्धू नाराज हो गए और पार्टी के पास, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान का मुकाबला करने के लिए कोई प्रभावशाली प्रचारक नहीं रह गया. मौजूदा एग्जिट पोल 1997 के उन हालातों की ओर इशारा कर रहे हैं, जब अंतिम समय में सीएम बदलने के कारण कांग्रेस को केवल 14 सीटें हासिल हुई थीं.
एग्जिट पोल ने अकाली दल को जमीन पर पटक दिया
इन एग्जिट पोल ने अकाली दल को जमीन पर पटक दिया है. 2017 में इसे 15 सीटें मिली थीं, जबकि अभी कुछ एग्जिट पोल इस बार इसे 6 से 10 सीटें दे रहे हैं. यदि यह देखा जाए कि 2017 में सत्ता विरोधी लहर और बेअदबी के मामलों के पार्टी को हुए नुकसान के बाद भी यह पार्टी 24 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही थी तो मौजूदा अनुमान बहुत अधिक संभव नहीं लगते. हालांकि पार्टी को भले ही एग्जिट पोल के अनुमानों से अधिक सीटें मिल जाए, लेकिन अभी इसे सिख वोटरों के बीच स्वीकार्यता हासिल करना बाकी है. वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढिंडसा और उनके बेटे, जिन्होंने एसएडी (एस) पार्टी बना ली, द्वारा अलग रास्ता अपनाने की वजह से एसएडी (बादल) को मालवा को कुछ क्षेत्रों, खास तौर पर संगरूर बेल्ट, में नुकसान हुआ है.
"डेरा सच्चा सौदा" फैक्टर का मालवा क्षेत्र में कोई खास फायदा नहीं
एग्जिट पोल के अनुमान यह भी बताते हैं कि बहुत-चर्चित "डेरा सच्चा सौदा" फैक्टर का मालवा क्षेत्र में कोई खास फायदा नहीं हुआ है. कहा जाता है कि सिरसा स्थित डेरा, जिसका पंजाब के मालवा इलाके में करीब 25 सीटों पर इसका प्रभाव होता है, ने अपने भक्तों से कहा था कि वे एसएडी और बीजेपी के लिए वोट करें. इसी तरह, मतदान के ठीक एक दिन पहले "दीप सिद्धू फैक्टर" ने भी कोई असर नहीं दिखाया. एक्टर से एक्टिविस्ट बने दीप सिद्धू की मतदान से ठीक एक पहले एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी, उन्होंने एक भावुक वीडियो में लोगों से अपील की थी कि वे "झाड़ू" के स्थान पर तलवार के लिए वोट करें, और उन्होंने अमरगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे सिमरनजीत सिंह मान, जो एक आईपीएस अफसर से खालिस्तान समर्थक बन गए, का समर्थन करने की अपील की थी. युवाओं के बीच यह वीडियो काफी वायरल हुआ था.
एग्जिट पोल यह भी बताते हैं कि एक साल लंबे चले सफल किसान आंदोलन के बावजूद एसएसएम, जो देर से चुनावी मैदान में उतरी, भी वोटरों को लुभाने में सफल नहीं रही. हो सकता है, एसएमएम की वजह से एसएडी और कांग्रेस को नुकसान हुआ हो और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ हो. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि दलित वोटरों के बीच "चन्नी फैक्टर" का कोई खास असर नहीं हुआ. इसके अलावा, बीएसपी दोआब क्षेत्र में एसएडी को मजबूत करने में विफल रही. इसी तरह, पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बड़े-बड़े दावों और जोरदार प्रचार के बावजूद, अभी पंजाब में बीजेपी को अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करना बाकी है. कम से कम एग्जिट पोल तो यही इशारा कर रहे हैं.
एग्जिट पोल में किसे कितनी सीटें
ABP News-C-Voter ने 51 से 61 सीटों के साथ आप को सबसे बड़ी पार्टी बताया है, इसके बाद कांग्रेस को इसने 22-28 सीटें दी हैं और एसएडी-बीएसपी को 20 से 26 सीटें, जबकि अन्य पार्टियों को 8 से 14 सीटें मिलने का अनुमान किया गया है. News9 Marathi ने भी इसी तरह के अनुमान जताए हैं. कुछ एग्जिट पोल त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं, मतलब कि संकट की स्थिति अभी बनी हुई है. दो एग्जिट पोल ऐसे हैं जो तीन पार्टियों को बराबर सीटें दे रहे हैं. Zee Exit Poll ने आप को 36 से 39 सीट, कांग्रेस को 35 से 38 सीट, एसएडी-बीएसपी को 32 से 35 सीट और बीजेपी को 4 से 7 दिया है. दैनिक भास्कर का एग्जिट पोल भी इसी तरह का अनुमान जता रहा है, इसके मुताबिक आप को 38-44 सीट, एसएडी-बीएसपी को 30-39 सीट, कांग्रेस को 26-32 सीट और बीजेपी को 7-10 सीट मिल सकता है. हालांकि Ground Zero का एग्जिट पोल कांग्रेस 49-59 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखा रहा है, इसके अनुसार आप पार्टी को 27-37 सीटें, SAD-BSP को 20-30 सीटें और बीजेपी को 2-6 सीटें मिल सकती हैं. अलग-अलग वोट मार्जिन और अनुमानों के ये अंतर एग्जिट पोल के तौर-तरीकों के प्रति शंकाएं पैदा करती हैं. एक एग्जिट पोल तो ऐसा है जो आप पार्टी के लिए 56 से 91 सीटों का एक बड़ा अंतराल दिखा रहा है.
अधिकतर राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर सहमत हैं कि पंजाब में बदलाव की संभावना है. हालांकि, ये एग्जिट पोल के अनुमानों पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं. Institute for Development (IDC) के डायरेक्टर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रमोद कुमार का मानना है कि मार्जिन में जो अंतर दिखाए जा रहे हैं, उसके हिसाब से विभिन्न एग्जिट पोल के बीच विरोधाभास नजर आती है. वह कहते हैं, "एक एग्जिट पोल आप पार्टी को 36-44 सीटें दे रहा है, जबकि दूसरा इसे 100 से अधिक सीटें दे रहा है." सात एग्जिट पोल द्वारा 58 से लेकर 100 सीटों के अनुमान के इस भारी अंतर पर, पूर्व आईएफएस अफसर केसी सिंह, जिन्होंने चुनाव के दौरान सांझा सुनहरा मंच नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन किया था, ने ट्वीट किया, "यह कोई विज्ञान है या फिर क्रिकेट?"
पंजाब में आप की जीत किसी चमत्कार से कम नहीं होगी
कांग्रेस और एसएडी-बीएसपी गठबंधन, इस बात से थोड़ी राहत मिल सकती है कि 2012 और 2017 के चुनावों में ओपिनियन और एग्जिट पोल अपने अनुमानों पर खरे नहीं उतरे थे. हालांकि, इन पार्टियों के नेता भी निजी बातचीत में यह मानते हैं कि राज्य में "बदलाव" की भावना मौजूद है. आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और दिल्ली से पंजाब के उनके प्रतिनिधि राघव चड्ढा ने इसी भावना को भुनाया. यदि एग्जिट पोल पर भरोसा किया जाए तो, यह संदेश स्पष्ट है कि वोटर पारंपरिक पार्टियों के भ्रष्टाचार और कुशासन से आजिज हो चुके हैं और यहां तक उन्होंने चुनाव के दौरान आप पार्टी के लगे तमाम आरोपों, जिनमें दूसरे पार्टियों दलबदलुओं को टिकट देने और टिकट के पैसे लेने के आरोप भी शामिल हैं, को खारिज कर दिया. पंजाब में आप की जीत किसी चमत्कार से कम नहीं होगी.
2017 में पंजाब में पार्टी अव्यवस्थित हो गई थी, क्योंकि इसके कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. पालिका और पंचायत चुनाव में भी इसे हार का सामना करना पड़ा था, और संगरूर सीट को छोड़ दिया जाए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इसका प्रदर्शन काफी कमजोर रहा था. चुनाव के छह महीने पहले पार्टी ज्यादातर क्षेत्रों में पार्टी के पास जमीनी तैयारी का अभाव था और यह किसी तरह से चुनावी मैदान में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही थी. लेकिन जब ब्रांड-केजरीवाल चुनावी मैदान पर उतरे और भगवंत मान को बतौर सीएम चेहरा पेश किया गया तो चुनाव के पहले कुछ हफ्ते गेम चेंजर साबित हुए, जबकि कांग्रेस लगातार कमजोर होती रही. जैसे-जैसे मतगणना की तारीख करीब आ रही है, एक बात तो साफ है कि नतीजे आने के बाद कुछ पोल पंडितों को अपनी गलती स्वीकार करते हुए आत्मनिरीक्षण करना होगा.


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