विश्वास और विकास की निरंतरता के सौ दिन: जानें अपराध के लिए कुख्यात उत्तर प्रदेश कैसे 'सक्षम समर्थ प्रदेश' के रूप में स्थापित हुआ

विश्वास और विकास की निरंतरता के सौ दिन

Update: 2022-07-04 05:25 GMT
योगी आदित्यनाथ। उत्तर प्रदेश के 25 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप राज्य को सुरक्षित, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने का हमने पांच वर्ष पूर्व जो संकल्प लिया उसे सिद्धि में बदला। जनता ने भी पिछला एक लंबा इतिहास बदलकर हमें संकल्प से सिद्धि की इस यात्रा को निरंतर जारी रखने का जनादेश रूपी आशीर्वाद भी प्रदान किया। जनता के इसी विश्वास की शक्ति से ओतप्रोत हमारी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के उपलब्धियों भरे सौ दिन भी पूरे कर लिए हैं।
यह यात्रा इसका प्रमाण है कि हम 'अंत्योदय से राष्ट्रोदय' के आदर्श को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पुन: 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' मंत्र के साथ 'आत्मनिर्भर प्रदेश' के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसी कड़ी में 25 मार्च को शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट में ही 15 करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन देने का क्रम आगे बढ़ाया। हमारी सरकार का हालिया बजट 'ईज आफ र्लिंवग' के साथ 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश' और 'वन ट्रिलियन डालर' की अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप है। इससे जुड़े लक्ष्यों की पूर्ति के लिए 54,883 करोड़ रुपये का बजटीय प्रविधान किया गया है।
विगत पांच वर्षों में हमने उत्तर प्रदेश को 'स्किल्ड मैन पावर' के रूप में एक श्रेष्ठ बिजनेस एवं निवेश गंतव्य के रूप में सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अर्थव्यवस्था के नवोन्मेषी स्थल के रूप में और सामाजिक पूंजी के मूल्यवर्धन वाले राज्य के रूप में संस्थापित करने का प्रयास किया है। हालिया बजट का निहितार्थ भी यही बताता है कि सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर कितना शानदार काम किया है। इसका ही परिणाम है कि प्रदेश सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी के पैमाने पर दूसरे पायदान तक पहुंच गया। साथ ही प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय, खुशहाली और कल्याणकारी व्यवस्था को स्थापित करने में सफल रहा। यह अंत्योदय के साकार होने का ही प्रमाण है।
गत पांच वर्षों के दौरान बेहतर नियोजन और उचित क्रियान्वयन के हमारे प्रयासों के अनुकूल परिणामों की सराहना तमाम संस्थानों ने की है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए दूसरे कार्यकाल में रणनीतिक एवं समयबद्ध परिणामों के उद्देश्य से प्रत्येक विभाग के लिए पहले 100 दिन, छह माह, एक वर्ष, दो वर्ष और पांच वर्ष के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। सौ दिनों की उपलब्धियों को गिनाते हुए मुझे संतुष्टि है कि हम अपने लक्ष्यों के अनुरूप सफल रहे हैं। इस दौरान हमने 10,000 युवाओं को सरकारी नौकरी देने का लक्ष्य रखा था, जो पूर्णता की ओर है। रोजगार-स्वावलंबन के साथ विकास की दिशा में 1.90 लाख युवाओं को 16,000 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया है। इससे एमएसएमई क्षेत्र को नई गति मिली है। वहीं उद्यमियों, हस्तशिल्पियों और कारीगरों को अपनी कला-कौशल को नए आयाम देने का बढ़िया अवसर मिला है।
हाल में ही 11 लाख ग्रामीण परिवारों को ग्रामीण आवासीय अधिकार अभिलेख (घरौनी) देने के साथ ही करीब 34 लाख परिवारों को आवासीय जमीन का देने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना है। जालौन जनपद में शत-प्रतिशत घरौनी का वितरण हो चुका है। अपनी भूमि पर अपना 'कानूनी अधिकार' प्रदान करने वाली यह योजना ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने के साथ ही ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने वाली सिद्ध होगी। वहीं पारिवारिक सदस्यों में संपत्ति बंटवारे पर भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी में राहत दी गई है।
इसमें पूर्व की प्रक्रिया न केवल बहुत खर्चीली, बल्कि जटिलताओं के चलते विवादों का कारण बनती थी। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में पदक विजेताओं को शासकीय सेवा में समायोजन की पहल की गई है। संकल्पों के क्रम में 'निषादराज नाव सब्सिडी योजना' में एक लाख रुपये तक की नई नाव खरीद पर 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रविधान है। यह निषाद समाज में आधारभूत परिवर्तन लाने में सहायक होगा।
बीते दिनों जी-7 की बैठक में आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा विश्व के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों को प्रदेश की 'एक जनपद-एक उत्पाद' योजना से जुड़े उत्पादों को भेंट स्वरूप प्रदान करना राज्य के लिए बड़े गौरव की बात है। स्पष्ट है कि विगत पांच वर्षों में नई कार्यसंस्कृति के विकास के सुफल देखने को मिलने लगे हैं। आज उत्तर प्रदेश में जाति, धर्म, संप्रदाय अथवा चेहरे देखकर निर्णय नहीं लिए जाते। यहां पात्रता ही एक मात्र मानक है।
'विकास सबका, परंतु तुष्टीकरण किसी का नहीं'। कभी संगठित अपराध, सत्तापोषित भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक दंगों, बेरोजगारी और कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के लिए कुख्यात रहा उत्तर प्रदेश आखिर कैसे 'सक्षम-समर्थ प्रदेश' के रूप में स्थापित हो सका, यह तमाम लोगों के लिए कौतूहल का विषय है, किंतु यह परिवर्तन प्रत्यक्ष है और 'बदलाव व विकास का उत्तर प्रदेश माडल' देश के समक्ष है। गत पांच वर्षों के दौरान राज्य में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों का जमीन पर उतरना इस परिवर्तन की पुष्टि करता है।
हमने प्रधानमंत्री जी के 'रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म' के मंत्र को आत्मसात करते हुए प्रदेश को लगभग प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर उद्योग, परिवहन और कनेक्टिविटी तक में इसका असर दिख रहा है। इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश ने देश की छठी अर्थव्यवस्था से दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का मुकाम पाया है।
कारोबार एवं निवेश के दृष्टिकोण से देश में सबसे आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। लीड्स 2021 की रिपोर्ट में सात स्थानों की उल्लेखनीय छलांग लगाई है। परंपरागत उद्योग को बढ़ाते हुए आज एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन से निर्यात को 1.56 लाख करोड़ रुपये वार्षिक तक करने में सफलता प्राप्त की है। बैंको के सीडी रेशियो में अभूतपूर्व प्रगति की है। प्रदेश एक जनपद-एक मेडिकल कालेज के लक्ष्य के निकट पहुंचने के साथ ही कनेक्टिविटी हब के रूप में भी सामने आया है।
नि:संदेह उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है तो चुनौतियां भी बड़ी हैं, किंतु प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में हम साहस, समन्वय और संसाधनों के बेहतर प्रयोग के साथ 25 करोड़ प्रदेशवासियों के सपनों का उत्तर प्रदेश बनाने में सफल हो रहे हैं। सहकार, समन्वय और सह-अस्तित्व की भावना से उद्दीपित यह पुण्य सनातन भूमि नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो रही है।
(लेखक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)
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