पृथ्वी पर लगातार खतरे मंडराते रहते हैं। हर साल हजारों की संख्या में उल्का पिंड पृथ्वी की ओर आते हैं और कभी-कभी वैज्ञानिकों को भी खतरा महसूस होने लगता है। उल्का से पैदा खतरे से निपटने के लिए वैज्ञानिक तरीके भी खोजते रहे हैं। नासा की सोच रही है कि क्या परमाणु हथियारों के दम पर किसी खतरनाक उल्का पिंड को पृथ्वी से टकराने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है? क्या उल्का पिंड की दिशा को रॉकेट बूस्टर इत्यादि से मोड़ा जा सकता है? अभी दोनों ही उपायों पर ज्यादा काम नहीं हुआ है। लेकिन वैज्ञानिकों को यह भी लगता है कि कभी कोई ज्यादा ही खतरनाक उल्का पिंड पृथ्वी से टकराया, तो क्या होगा? पृथ्वी के इंसान अगर खत्म हो गए, तो क्या होगा? एक समाधान एक अमेरिकी उद्यमी की ओर से आया है, जो काफी रोचक है। बेन हल्डमैन नामक उद्यमी लाइफशिप नामक एक स्टार्टअप के संस्थापक हैं, जिनका सिर्फ एक ही अभियान है -मानव बीज बैंक बनाना। दूसरे शब्दों में कहें, तो इस बैंक में मानव डीएनए को संग्रहीत किया जाएगा। यह बैंक चांद पर स्थापित होगा। अगर इस धरती पर इंसान खत्म हो गए, तो मानव सभ्यता को फिर शुरू करने में यह बैंक सहायक होगा। एक भी इंसान अगर नहीं बचा, तो फिर बैंक का क्या होगा? यह भी सोच लिया गया है। उस स्थिति में शायद कभी किसी और ग्रह से जीव या एलियन आएंगे और चांद पर पहुंचकर उस बैंक के सहारे इंसान जैसी खूबसूरत कृति पुन: निर्मित करेंगे।
पृथ्वी पर विनाश की स्थिति में मानव बीज बैंक ही मानवता केपुनर्जन्म की संभावना को जीवित रखेगा। ऐसा ख्वाब देखने वाली कंपनी लाइफशिप की स्थापना 2019 में हो गई थी। यह कंपनी लार के रूप में लोगों का डीएनए चांद पर भेजने की पेशकश करती है। यह एक तरह से आपके या आपकी लार के लिए 99 डॉलर में चांद के लिए एकतरफा टिकट है। चांद पर आपकी लार मानव बीज बैंक में हमेशा के लिए रह जाएगी। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो यह मानव डाटा या मानव अस्तित्व के मूल को हमेशा के लिए संरक्षित करने का काम है। सौर मंडल के विभिन्न हिस्सों में और शायद उससे आगे भी ऐसे किसी बैंक की स्थापना संभव है।
यह कंपनी इंसानी डीएनए की पहली खेप इसी साल के मध्य में चांद पर भेजने वाली है। पहली उड़ान की पूरी तैयारी हो गई है, बोर्डिंग बंद हो चुकी है। दूसरी उड़ान के लिए बोर्डिंग जारी है, जो इसी साल के अंत में रवाना होगी। इंसानी डीएनए का बैंक बनाने की यह कोशिश अकेली नहीं है। पिछले ही साल एरिजोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जेकन थंगा और उनकी टीम ने एक योजना बनाई थी। इसके तहत न केवल इंसान, बल्कि अन्य जीव जातियों के बीज भी संरक्षित रखने की जरूरत बताई गई है। 67 लाख प्रजातियों में से प्रत्येक से लगभग 50 नमूने लिए जाएंगे, मतलब कम से कम 33.50 करोड़ नमूने चांद पर पहुंचाने के लिए लगभग 250 रॉकेट लॉन्च होंगे। इसमें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में लगने वाले खर्च से छह गुना खर्च आएगा। लेकिन जब इंसानों को विनाश का भय सताने लगा है, तब इंसान खुद को बचाने के लिए जो भी करे, कम ही है। सरकारी स्तर पर अगर देखें, तो इससे मिलता-जुलता प्रयास नार्वे ने किया है, आर्कटिक के करीब पेड़-पौधों केबीज का विशाल संग्रह बनाया गया है। खैर, आज के समय में विनाश के बाद के बारे में सोचने से ज्यादा जरूरी है, किसी भी प्रकार के विनाश को रोकना।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान