कैसे प्रियंका गांधी का बीजेपी पर चलाया तीर समाजवादी पार्टी को घायल कर रहा है?
समाजवादी पार्टी को घायल
अजय झा।
कांग्रेस (Congress) पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की उत्तर प्रदेश में अति सक्रिय राजनीति से प्रदेश के दो सबसे बड़े विपक्षी दल, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, की मुसीबतें बढ़ गयी हैं. लगभग पिछले दस दिनों से प्रियंका उत्तर प्रदेश में पांव जमा कर रोज भारतीय जनता पार्टी को नयी चुनौती पेश करने की कोशिश कर रही हैं. बड़ा दिलचस्प नजरा है, प्रियंका तीर बीजेपी पर चला रही हैं और घायल अखिलेश यादव और मायावती हो रहे हैं.
यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा अगर कांगेस पार्टी निवर्तमान विधानसभा में जीती गई सात सीटों ने छलांग लगा कर 203 सीटों के आकडे़ को छू ले जो प्रदेश में सरकार बनाने के लिए न्यूनतम दरकार है. पर प्रियंका की सक्रियता से समाजवादी पार्टी और बीएसपी के वोटों में सेंध लगने की संभावना बनती जा रही है, जिसका अप्रत्यक्ष फायदा बीजेपी को मिल सकता है. यह बात है कि प्रियंका गांधी के आक्रामक राजनीति से ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को हो सकता है. समाजवादी पार्टी के राज्य इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल अच्छी तरह समझ गए हैं, पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बात से बेखबर दिख रहे हैं. कल नरेश उत्तम पटेल का एक बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस को एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
समाजवादी पार्टी को रोकने से ही कांग्रेस के आगे बढ़ने का रास्ता
यह तो तय है कि बीजेपी की आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वह समाजवादी पार्टी के आगे बढ़ते साइकिल में ब्रेक लगा सके. वहीं समाजवादी पार्टी को रोकने से ही कांग्रेस पार्टी के आगे बढ़ने का रास्ता भी प्रशस्त होगा. पिछले रविवार को जब लखीमपुर खीरी में एक वारदात में चार आन्दोलनकारी किसानों समेत आठ लोगों की मृत्यु हो गयी तो अखिलेश यादव नें भी घटना स्थल पर पहुंचने की कोशिश की. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, जो सरकार से लखीमपुर खीरी हादसे पर बातचीत के लिए मान गए थे, ने पहली शर्त सरकार के सामने यही रखी थी कि किसी भी विपक्ष के नेता को वहां नहीं पहुंचने दिया जाए. जिसे सरकार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
प्रियंका गांधी लम्बी लड़ाई के लिए तैयार
अखिलेश यादव को रोका गया तो वह वापस चले गए और वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में लग गए. पर प्रियंका गांधी पुलिस को चकमा देते हुए लखीमपुर खीरी से सटे सीतापुर तक पहुंचने में सफल हो गयीं, जहां उन्हें रोका गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. प्रियंका गांधी ने अपने मोबाइल फ़ोन का सदुपयोग करते हुए एक वीडियो बनाया जिसमें वह उस कमरे में जहां उन्हें बंधक बना कर रखा गया था, झाड़ू लगा रही थीं. इस वीडियो को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपलोड किया, जिसे पूरे देश ने देखा. ऐसा तो हो नहीं सकता कि प्रियंका गांधी को किसी गंदे धूलभरे कमरे में बंधक बनाया गया हो, पर उन्हें एक संदेश देना था कि वह एक लम्बी लड़ाई के लिए तैयार हैं. पर अखिलेश यादव पीछे हट गए. शायद जेल जाने से उन्हें परहेज था. बाज़ी प्रियंका गांधी ने मार ली और उस दिन से अब तक वह सुर्ख़ियों में छाईं हुयीं हैं.
सरकार और टिकैत में समझौता हो गया. बाद में प्रियंका गांधी को आजाद कर दिया गया और बड़े भाई राहुल गांधी के साथ उन्हें लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत भी मिल गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके झाड़ू लगाने के विडियो पर एक टिप्पणी क्या कर दी कि प्रियंका ने उसे दलित समाज के सम्मान से जोड़ दिया और लखनऊ के एक दलित मंदिर में पहुंच गईं और वहां भी झाड़ू लगा दिया. फिर रविवार को बनारस में उनकी एक जनसभा हुयी जिसमे अच्छी संख्या में लोग आए. यह अलग बात है कि चुनाव भले उत्तर प्रदेश में होने वाला हो, पर राहुल गांधी की ही तरह प्रियंका गांधी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, ना की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
प्रियंका अपने मां और भाई के मुकाबले बेहतर वक्ता
राहुल गांधी राज्य चुनावों में यह गलती बार बार कर रहे हैं और अब प्रियंका भी उसी दिशा में चल रही हैं. बहरहाल, प्रियंका अपने मां और भाई के मुकाबले बेहतर वक्ता हैं और उनका भाषण जनता को अच्छा लगा. प्रियंका ने यह भी दर्शा दिया कि उनमें बिना वक्त जाया किये निर्णय लेने की क्षमता है. अभी तक वह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा, जिन पर किसानों को गाड़ी से कुचलने का आरोप है, के गिरफ़्तारी की मांग कर रही थीं. रविवार को आशीष मिश्रा ने सरेंडर कर दिया और पुलिस ने उन्हें पूछताछ के बाद गिरफ्तार भी कर लिया. पर प्रियंका को तो लखीमपुर खीरी वारदात को गर्म बनाये रखना था, लिहाजा सोमवार को वह लखनऊ में राजनिवास के सामने धरने पर बैठ गईं.अब उनकी मांग है कि अजय मिश्रा को केंद्रीय मंत्रीमंडल से बर्खास्त किया जाए. धरने को रोचक बनाने के लिए प्रियंका गांधी ने मौन व्रत धारण कर लिया.
विपक्ष का वोट बंट जाएगा
यह बात सही भी है कि प्रियंका गांधी की हरकतों से बीजेपी को फायदा मिल सकता है क्योंकि विपक्ष का वोट बंट जाएगा. पर जो काम अभी प्रियंका गांधी कर रही हैं वह कांग्रेस को बहुत पहले करना चाहिए था. उनकी मां सोनिया गांधी को बीजेपी का खौफ हमेशा सताता रहा. बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जैसे क्षेत्रीय दलों से समझौता करती रही. बड़े बड़े राज्यों में कांग्रेस पार्टी कमजोर होती गई और क्षेत्रीय दल मजबूत होते चले गए. अगर सोनिया गांधी ने भी प्रियका गांधी जैसी दिलेरी दिखाई होती और इस बात की चिंता किये बिना कि विपक्षी वोट के बंटने से किसका फायदा होगा और किसका नुक्सान अगर वह कांग्रेस पार्टी को अपने दम पर खड़ा करने की कोशिश करती तो आज कांग्रेस पार्टी की जो दयनीय स्थिति है वह शायद नहीं होती.
कांग्रेस 2019 के आमचुनाव में सिर्फ एक सीट जीत पायी थी
बीजेपी के खौफ से अगर सोनिया गांधी की तरह प्रियंका गांधी भी क्षेत्रीय दलों की आड़ में छुपती रहती तो कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करना एक सपना ही रह जाता. प्रियंका गांधी की फिलहाल कोशिश यही है कि कांग्रेस पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक जो खिसक कर समाजवादी पार्टी और बीसपी के खाते में चला गया था, उसे वापस कांग्रेस पार्टी के साथ जोड़ा जा सके. भले उत्तर प्रदेश में विपक्षी वोट बंट जाए और बीजेपी दोबारा सरकार बनाने में सफल रहे, पर अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी विपक्षी दल बनने में सफल रहती है तो इसका लाभ पार्टी को भविष्य में मिलेगा. शायद 2024 में आमचुनाव में ही. कांग्रेस पार्टी जहां उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से 2019 के आमचुनाव में सिर्फ एक ही सीट जीत पायी थी, अपनी स्थिति सुधार सकती है.
प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में खलबली तो मचा दी है, देखना दिलचस्प होगा की किस तरह अगले चार-साढ़े चार महीनों तक, जबकि प्रदेश में चुनाव होगा, इस टेम्पो को वह बनाये रखने में सफल रहती हैं. इतना तो तय है कि अगर कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करना है तो पार्टी को उत्तर प्रदेश पर सबसे पहले फोकस करना होगा क्योंकि राजनीतिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है. अगर कांग्रेस पार्टी पुनर्जीवित हो पाई तो इसका श्रेय प्रियंका गांधी को ही दिया जाएगा.