जब उन्होंने लिखित में यमराज के साथ यह गुप्त एग्रीमेंट किया था तब जाकर कहीं यमराज का गुस्सा शांत हुआ था। कल वे अपनी सीनियर सिटिसज्जनता को जेब में डाल जूनियर सिटिजनों की तरह घुटनों की ग्रीस खत्म हो जाने के बाद भी सौ किलोमीटर की रफ्तार से गाड़ी का बीमा खत्म हो जाने के बाद भी गुनगुनाते हुए अपनी ही तरह की अपनी खटारा गाड़ी दौडा़ रहे थे कि अचानक उनको अपना पीछा करते पुलिस वाले की गाड़ी दिखी। उनका चालान न हो, इस नेक इरादे से उन्होंने अपनी गाड़ी और भी तेज दौड़ानी शुरू कर दी। उनकी गाड़ी का इंजन हांफने लगा। पर वे गाड़ी की स्पीड बढ़ाने में डटे रहे जान हथेली पर लिए। उस वक्त उन्हें जिंदगी से प्यारे चालान के पैसेे लग रहे थे। पर पुलिसवाला भी पुलिसवाला था। उसने तय कर लिया था कि आज वह ओवरस्पीडिए से पांच सौ के बदले बिन चालान काटे हजार लेकर रहेगा तो रहेगा। इसे कानून तोड़ते जो छोड़ दिया तो सारा दिन जेब कुछ न लगेगा। बोहनी के वक्त वह मुर्गे को कैसे जाने दे सकता था? उसने सरकारी गाड़ी की परवाह किए बिना न चलने वाली गाड़ी उनसे भी तेज गति से दौड़ाई और चार मोड़ आगे उनको दबोच लिया। पुलिसवाले ने उनको रोक कर देखा तो उसका कलेजा मुंह को आ गया। सीनियर सिटिजन बच्चों की हरकतों में! पर बोहनी का वक्त था। उस समय जो उसके सामने उसका भगवान भी होता तो वह उसे भी माफ न करता।
फिर भी पुलिस वाले ने अपनी सज्जनता का परिचय देते उनके बालों का लिहाज न करते भी अदब से पूछा, 'सर! आप सीनियर सिटिजन हो?' 'कोई शक?' उन्होंने अपने सफेद बालों पर कंघी फेरते कहा तो पुलिस वाले ने पुनः पूछा, 'तो आप सीनियर सिटिजन होकर भी इतनी तेज रफ्तार से गाड़ी क्यों भगाने लगे थे मुझे देखकर? सीनियर सिटिजन हो जाने के बाद जूनियर सिटिजनों वाली हरकतें गलत होती है सर! पुलिस तो जनता की सहायता के लिए होती है न।' 'असल में डियर! कई साल पहले तुम्हारी ही कद काठी का एक आदरणीय पुलिसवाला मुझसे मेरी ईमानदारी छीन कर ले गया था। मुझे लगा कि तुम कहीं वही तो नहीं जो मुझे मेरी ईमानदारी लौटाने आ रहे हो। बस, इसी वजह से…।' कह सीनियर सिटिजन ने अपनी आंखों पर काला चश्मा लगा लिया। 'सर! आप हम पुलिसवालों पर बेकार का शक न किया कीजिए प्लीज! चोर छीना हुआ जनता को लौटा सकता है, पर हमारा छीना हुआ हमसे भगवान भी जनता को नहीं दिलवा सकते। गंगा में बही अस्थियां और हमारा छीना जनता को कभी नहीं मिलता। जाइए सर, इतमिनान बेखौफ गाड़ी चलाइए। हैव ए गुड डे सर', पुलिसवाले ने मुस्कुराते हुए कहा और अपने नए शिकार के लिए अपने रास्ते हो लिया।
अशोक गौतम
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