हरियाणा: CM के तौर पर ओम प्रकाश चौटाला ने बड़े-बड़े कारनामे किए, अदालत का फैसला इस बात की करता है तस्दीक
दिल्ली की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को चार साल की कैद की सजा सुनाने के साथ 87 वर्षीय नेता उन चुनिंदा राजनेताओं के समूह में शामिल हो गए हैं
अजय झा |
दिल्ली की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को चार साल की कैद की सजा सुनाने के साथ 87 वर्षीय नेता उन चुनिंदा राजनेताओं के समूह में शामिल हो गए हैं, जिन्हें आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets Case) जमा करने के लिए दोषी ठहराया गया है. साल 1947 में स्वतंत्र भारत में पहली सरकार बनने के बाद से राजनेताओं पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया जाता रहा है, हालांकि उनमें से कुछ को छोड़कर अधिकांश राजनेता जेल की सजा से बचकर निकलने में कामयाब रहे. इनमें तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता, उनकी करीबी सहयोगी शशिकला और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुख राम शामिल हैं.
चार्जशीट दायर होने के बाद बच निकलने में सफल रहने वालों में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव और मायावती शामिल हैं. मामूली बैकग्राउंड वाले ये तीनों नेता सत्ता में आने के बाद काफी अमीर बन गए. चारा घोटाला मामले में जहां लालू प्रसाद को 14 साल जेल की सजा सुनाई गई, वहीं उनके और उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ मामला उन आरोपों के बावजूद खारिज कर दिया गया कि वे चारा घोटाले से प्राप्त धन से बेहद अमीर हो गए.
इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ आरोप तब हटा दिए गए जब केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार 2004 और 2014 के बीच लगातार दो कार्यकालों के दौरान अपने अस्तित्व के लिए क्षेत्रीय दलों पर निर्भर रही. इस तरह चौटाला के पास खुद को अनलकी मानने के कारण हैं, क्योंकि उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) पहले ही हरियाणा की राजनीति में हाशिए पर चली गई है, इनेलो के पास हरियाणा में सिर्फ एक विधायक और पार्लियामेंट में कोई सांसद नहीं है.
संपत्ति का हिसाब नहीं दे सके चौटाला
दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद सजा की अवधि पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. चौटाला के वकील ने जहां उनकी उम्र और मेडिकल कंडीशन को देखते हुए नरमी बरतने की गुहार लगाई. वहीं, अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया और अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि उनके साथ किसी भी तरह की नरमी समाज को गलत संकेत देगी. अदालत ने कहा, 'उक्त अवधि के दौरान आरोपी द्वारा अर्जित आय से अधिक संपत्ति, उसकी आय के ज्ञात स्रोतों का 103 प्रतिशत थी. आरोपी उक्त अवधि में आय के ज्ञात स्रोत से इतर हासिल अतिरिक्त संपत्ति का संतोषजनक हिसाब देने में विफल रहा है.'
2005 के हरियाणा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की भारी जीत के बाद जब भूपिंदर सिंह हुड्डा ने चौटाला की जगह हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला तो सीबीआई (CBI) को जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT Recruitment Scam) की जांच के लिए बुलाया गया. अपनी जांच के दौरान, सीबीआई ने चौटाला के खिलाफ अप्रत्याशित तरीके से कई सबूत जुटाए और निष्कर्ष निकाला कि उन्होंने 1996 और 2005 के बीच 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की. चौटाला सात बार विधायक चुने गए और पांच मौकों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का रिकॉर्ड उनके नाम है. कोर्ट ने जिन चार संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है, वे दिल्ली, गुड़गांव, पंचकुला और सिरसा में स्थित हैं.
धन का लालच बना मुसीबत
लालू प्रसाद, मुलायम सिंह और मायावती से इतर, चौटाला साधारण पृष्ठभूमि से नहीं आते क्योंकि वे संपन्न किसान परिवार से हैं. उनके पिता चौधरी देवी लाल ने पूर्व में देश के उप प्रधानमंत्री और हरियाणा सीएम के रूप में काम किया. हालांकि, चौटाला के धन का लालच जगजाहिर है. चौटाला हमेशा मानते रहे कि वे कानून से ऊपर हैं, क्योंकि उनके साथ उनका परिवार भी अतीत में कानून के चंगुल से छूटने में कामयाब रहा है.
चौटाला को 1978 में दिल्ली हवाई अड्डे पर कस्टम अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया गया था. इनके पास दर्जनों कलाई घड़ियां थीं, जिनकी कीमत 1 लाख रुपये आंकी गई थी. उनकी छोटी बहू सुप्रिया की 1988 में उनके सिरसा फार्महाउस में रहस्यमयी मौत और फरवरी 1990 में महम उपचुनाव में 10 लोगों की हत्या. इस मामले में चुनाव आयोग (Election Commission) ने महम उपचुनाव दो बार रद्द कर दिया, जिससे चौटाला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह विधानसभा के सदस्य नहीं थे, जब उन्होंने 1989 में वीपी सिंह सरकार में डिप्टी पीएम के रूप में नियुक्ति के बाद अपने पिता देवी लाल की जगह ली.
चौटाला को चार साल की सजा
2005 में सत्ता से बाहर होने के बाद से देवी लाल बनाई गई पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल ने अपना आधार खो दिया है. पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनावों में अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए महज एक सीट जीत सकी, विजेता चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला रहे. चौटाला परिवार में अभय सिंह और उनके भतीजे दुष्यंत चौटाला के बीच की लड़ाई इसके लिए काफी हद जिम्मेदार है. दुष्यंत चौटाला उस वक्त सांसद थे और पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर आपस में भिड़ गए. उस समय पैरोल पर जेल से बाहर आए चौटाला ने इसके कारण अपने बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला और उनके दो बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकाल दिया. उन्होंने अपनी अलग जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन किया, क्योंकि इनेलो का पारंपरिक वोट बैंक अनुभवहीन JJP के पाले में चला गया क्योंकि पार्टी ने 10 सीटें जीतकर 14.80 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि INLD को 2.44 प्रतिशत वोट मिले.
चौटाला को चार साल जेल की सजा मिलने के बाद इनेलो का नेतृत्व फिर से उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में चला जाएगा, जिन्हें बड़े पैमाने पर पार्टी के पतन के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जब 2024 आम चुनाव और 2024 में हरियाणा विधानसभा चुनाव होंगे, तब चौटाला जेल में होंगे और इनेलो गहरी मुसीबत में होगा और अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा होगा. जब तक चौटाला अपनी चार साल की जेल की सजा पूरी करेंगे, तब तक वह 91 वर्ष के हो चुके होंगे और अपने अतीत के जादू को पुनर्जीवित करने और हरियाणा के मतदाताओं को इनेलो की रैली में आकर्षित करने के लिए बहुत बूढ़े हो चुके होंगे.
सोर्स- tv9hindi.com