सरकार पूरी तरह विफल, भीषण महंगाई की आंच में झुलस रही जनता
महंगाई में रिकार्ड तोड़ वृद्धि ने देश के करोड़ों गरीबों और मध्यमवर्गीयों के लिए ‘दुबले पर दो आषाढ़’ जैसी हालत पैदा कर दी है
महंगाई में रिकार्ड तोड़ वृद्धि ने देश के करोड़ों गरीबों और मध्यमवर्गीयों के लिए 'दुबले पर दो आषाढ़' जैसी हालत पैदा कर दी है. इस विषम स्थिति को रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़कर देखा जाता है लेकिन नीति निर्माताओं के लिए चिंता की बात है कि इस बार खुदरा महंगाई दर ने थोक महंगाई दर को प्रभावित कर दिया है. अप्रैल से खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत हो गई थी जो कि 8 वर्षों में सबसे अधिक थी. उसके बाद अब थोक महंगाई दर भी बढ़कर 15.08 प्रतिशत पर पहुंच गई जो कि 9 वर्ष का उच्चतम स्तर है.
1998 के बाद पहली बार थोक मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत को पार कर गई. महंगाई का इस तरह बेकाबू होना बेहद चिंताजनक है. जनता भयभीत है कि कहीं अपने देश में भी हालात पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे न हो जाएं! सर्वाधिक चिंता अनाज, फल, दूध, सब्जी जैसी खाने-पीने की वस्तुओं को लेकर है जिसमें मासिक आधार पर अप्रैल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई. महंगाई में भारी वृद्धि की प्रमुख वजह ईंधन, ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों में तेजी है. खाद्य तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसकी एक वजह यह भी है कि देश का 23 प्रतिशत खाद्य तेल पेंट और वार्निश बनाने के कारखानों में जा रहा है, जिसे रोकना जरूरी है. ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र की थोक महंगाई दर 2.8 फीसदी रही.
अप्रैल में खाद्य पदार्थ 8.35 फीसदी, पेट्रोलियम पदार्थ 38.66 फीसदी तथा निर्माण क्षेत्र में 10.85 फीसदी की तेजी आई. यद्यपि सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई है लेकिन फिर भी गेहूं की कीमत लगातार बढ़ी है. सब्जियों का भी यही हाल है. ब्रेड-बिस्किट सभी महंगे हो गए हैं. रुपए की खरीद क्षमता बुरी तरह घट गई है. डॉलर की तुलना में रुपया 77.77 पर गिरकर सबसे नीचे आ गया है. विश्वव्यापी मंदी के भय से शेयर मार्केट के संस्थागत निवेशकों द्वारा लगातार बिक्री किए जाने से रुपया दबाव में है. उद्योग जगत के सामने भारी चुनौतियां हैं. उनकी निवेश लागत काफी बढ़ गई है और डीजल महंगा होने से परिवहन खर्च भी बढ़ा है
गत 4 मई को रिजर्व बैंक ने महंगाई पर नियंत्रण लगाने के लिहाज से रेपो रेट (बैंकों को कर्ज दिए जाने की दर) 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया था. अब अनुमान है कि मुद्रा प्रसार नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक अपनी 6 से 8 जून को होने वाली बैठक में फिर रेपो रेट बढ़ाएगा. खास बात यह है कि जबरदस्त महंगाई और पेट्रोल-डीजल की रिकार्ड कीमतों के दौर में तेल कंपनी इंडियन ऑइल को 24,184.10 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है जो कि इतिहास में सबसे अधिक है.
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