नए मोड़ पर आजादी

75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से संबोधन इतिहास के गौरव और वर्तमान की चुनौतियों के मंच से उज्ज्वल भविष्य की ओर देखने की एक प्रेरक कोशिश है

Update: 2021-08-15 18:40 GMT

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान। 75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से संबोधन इतिहास के गौरव और वर्तमान की चुनौतियों के मंच से उज्ज्वल भविष्य की ओर देखने की एक प्रेरक कोशिश है। लाल किले से अपने आठवें संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां से शुरू होकर अगले 25 वर्ष की यात्रा तक, जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे, नए भारत के सृजन का यह अमृत काल है। इस अमृत काल में हमारे संकल्पों की सिद्धि हमें आजादी के 100 वर्ष तक ले जाएगी और गौरवपूर्ण रूप से ले जाएगी। वाकई अगर भारत सरकार ने आगामी 25 वर्षों में देश के विकास के लिए जी-जान लगा दिया, तो इसमें कोई शक नहीं कि भारत दुनिया में सबसे आदर्श लोकतांत्रिक महाशक्ति के रूप में चमक उठेगा। हमारी आबादी का गणित बताता है कि वर्ष 2035 तक भारत युवाओं का देश रहेगा, मतलब हमारे लिए आगामी पंद्रह से बीस साल बहुत महत्व रखते हैं। इन वर्षों में अगर हम पूरी मेहनत, ईमानदारी और कौशल से आगे बढ़े, तो सचमुच कमाल होने वाला है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बिल्कुल सही इशारा किया कि सरकारी नियमों व प्रक्रियाओं को लोगों के लिए बहुत आसान बनाना होगा। विगत सत्तर वर्षों से जो जकड़ रही है, उसे ढीला करने में वक्त लगेगा, लेकिन सरकारी विभागों, कर्मचारियों को समय के अनुसार ढलना पड़ेगा। आज किसी भी तरह का उद्यम करना या कोई नया काम करना पहले की तुलना में थोड़ा आसान हुआ है, लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ करना शेष है।

जब आगे बढ़ने की बात हो रही है, तो जाहिर है, प्रधानमंत्री ने हाल ही में संसद में ओबीसी समुदाय के आरक्षण से जुड़े विधेयक के पास होने का जिक्र किया। एक और खास बात कि प्रधानमंत्री ने देश को बदलने के लिए एक नया मंत्र दिया है। उन्होंने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास को भी जोड़ा है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री ने सुभाषचंद्र बोस से लेकर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई तक सभी वीर शहीदों को नमन किया और कहा कि देश इन सभी महापुरुषों का कर्जदार है और हमेशा रहेगा। वाकई, स्वतंत्रता सेनानियों का जो हम पर ऋण है, उसे हमें हमेशा याद रखना चाहिए। हमें आजादी बैठे-बिठाए नहीं मिली थी। अत: हमें भी अपने देश को सशक्त करने में अपना पूरा योगदान देना चाहिए, जो हमारी शान और पहचान है। अपनी आजादी के इस मोड़ पर आज सभी को आत्मसमीक्षा करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने युवाओं का आह्वान करने के साथ ही कर्म के फल पर विश्वास जताया है। बिना कर्म स्वतंत्रता आदर्श नहीं बन सकती। केवल भाषण से कुछ नहीं होने वाला। आज यह बहुत जरूरी है कि जो भी जहां है, वहां वह अपने काम में सौ फीसदी ईमानदारी बरते और देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल और बदलते देश में बीस से ज्यादा उपलब्धियों का बखूबी बयान किया है, तो कोई आश्चर्य नहीं। इन उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर सभी को आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने चेताया है कि हमारे पास गंवाने के लिए एक पल भी नहीं है। यही समय है, सही समय है। नि:संदेह, शासन-प्रशासन चला रहे लोगों को भी नारों-आह्वान की रोशनी में चलते हुए आम लोगों के सामने आदर्श रखना होगा।


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