जीवन की हर शाम रिश्तों के नाम, रिश्ते निभाने वाले अपने साथ हर पल एक सुगंध प्रवाहित करते रहते हैं

आंसू की बूंद भी यदि होठों की मुस्कान में घुल जाए तो रिश्ते महकने लगते हैं और ऐसे लोग रिश्तों की कद्र करना सीख जाते हैं

Update: 2021-08-21 11:23 GMT

आंसू की बूंद भी यदि होठों की मुस्कान में घुल जाए तो रिश्ते महकने लगते हैं और ऐसे लोग रिश्तों की कद्र करना सीख जाते हैं। कहा तो जाता है कि एक कुशल धावक अपने पीछे पैरों के निशान नहीं छोड़ता। ऐसे ही अच्छे तैराक लहरों पर अपने चिह्न नहीं छोड़ते। लेकिन, रिश्ते निभाने वाले अपने साथ हर पल एक सुगंध प्रवाहित करते रहते हैं। हनुमानजी रिश्तों के निर्वहन में अद्‌भुत थे। तुलसीजी की रामकथा में चौथा सोपान है किष्किंधा कांड।

इसमें हनुमानजी ने जिस ढंग से लोगों से रिश्ते निभाए हैं, मनुष्यों के लिए यह सोपान एक विश्वविद्यालय बन जाता है। पिछले दिनों हमने एक ऐसा दौर देखा जिसमें रिश्ते बने भी, बिगड़े भी। कहीं-कहीं तो सूख ही गए। एक महामारी ने सिर्फ मनुष्य के शरीर को ही नहीं, रिश्तों को भी बीमार कर दिया। हनुमान चालीसा में तुलसीदासजी ने हनुमानजी की जो खूबियां लिखी हैं, उनमें एक बड़ी खूबी है रिश्ते कैसे निभाए जाएं, इसकी समझ।
मप्र के इंदौर नगर में आज शाम 6 बजे 'एक शाम रिश्तों के नाम' कार्यक्रम में सामूहिक महापाठ के रूप में हनुमान चालीसा को इसलिए याद किया जाएगा कि हम सीख सकें एक-दूसरों से रिश्ते कैसे निभाएं। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से होगा। तो आज 'एक शाम रिश्तों के नाम' से जुड़कर अपने जीवन की हर शाम रिश्तों के नाम करिए।

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:

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