आठ साल, आठ युग
नरेंद्र मोदी सरकार के आठ साल दरअसल राजनीति के ऐसे युगों में प्रवेश है जो आजादी के बाद का नया तजुर्बा और नया एहसास भी है
नरेंद्र मोदी सरकार के आठ साल दरअसल राजनीति के ऐसे युगों में प्रवेश है जो आजादी के बाद का नया तजुर्बा और नया एहसास भी है। जाहिर है सबसे पहले आठवें युग की बात करें, तो 2024 के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जीत के प्रति आशावान परिस्थितियों में पैमाइश हो रही है। अपने हर अगले कदम की रहनुमाई में भाजपा सरकार का पहरावा जिस तरह बदलता रहा है, उससे न केवल विपक्ष अचंभित रहा है, बल्कि आम जनता के लिए भी इस जीत के एहसास के कई द्वार खुल रहे हैं। जाहिर है ये आठ साल कभी नोटबंदी के नाम पर नया युग खोलते रहे, तो कभी जीएसटी के आधार पर अपने नाम नया युग करते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड काल की आपदा में अवसर ढूंढते हुए भी देश को युग दर्शन की नई चेतना के साथ संबोधित व सम्मोहित करने का तंत्र विकसित कर लिया। इस तरह इन चार युगों के प्रवेश द्वार बनाने के अलावा जो निरंतर आठ सालों की सियासी कवायद में सियासी चकमा देता रहा और इस तरह पिछले सारे युग समेट कर भाजपा एक ऐसी पार्टी बन रही है, जो देश की राजनीतिक भाषा बदल चुकी है।
सोर्स- divyahimachal