बेकाबू महंगाई और आर्थिक मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था का संकट गहराता जा रहा है। मुद्राकोष ने भारत के आर्थिक विकास अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। अभी भारत की चुनौतियों में मुद्रास्फीति, सख्त वित्तीय स्थिति, यूक्रेन पर रूस के हमले और कोविड महामारी का असर शामिल है। कोरोना के बाद से ही रूस यूक्रेन युद्ध और विकसित राष्ट्रों द्वारा अपने हथियारों को बेचने के जुगाड़ के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई, आर्थिक तंगी और लोगों का मध्यमवर्ग से खिसक कर गरीब वर्ग में आने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया की आधी आबादी के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना एकमात्र लक्ष्य रह गया है। पौष्टिकता और स्वाद की तो बात ही छोडि़ए, उधर बड़े राष्ट्र युद्धोन्माद में डूबे हुए लगते हैं।
-सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, एमपी
By: divyahimachal