दोहरा मानदंड ठीक नहीं

Update: 2022-07-15 04:51 GMT
By NI Editorial
आरोप लगा है कि ब्रिटिश सेना के विशेष बल- एसएस ने अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान युद्ध अपराध किए। खास बात यह है कि खुद बीबीसी ने ये खुलासा किया है। यानी यह नहीं कहा जा सकता कि यह किसी दुश्मन देश का दुष्प्रचार है।
कुछ समय पहले जब यूक्रेन में रूसी फौज पर युद्ध अपराध करने के आरोप लगे, तो ब्रिटिश सरकार ने बढ़-चढ़ कर रूस विरोधी मुहिम को हवा दी। लेकिन उस घटना के कुछ महीनों के अंदर ही अब ब्रिटेन पर ही ये तोहमत आ गिरी है। आरोप लगा है कि ब्रिटिश सेना के विशेष बल- स्पेशल एयर सर्विस (एसएस) ने अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान घोर युद्ध अपराध किए। खास बात यह है कि खुद बीबीसी ने ये खुलासा किया है। यानी यह नहीं कहा जा सकता कि यह किसी दुश्मन देश का दुष्प्रचार है। बीबीसी के मुताबिक ऐसे संकेत हैं कि एसएएस ने अफगानिस्तान में छह महीनों की अपनी एक तैनाती के दौरान 54 लोगों की गैर-कानूनी तरीके से हत्या कर दी। यह दावा भी किया गया है कि एसएएस के पूर्व ने हत्या संबंधी जांच के लिए सबूत उपलब्ध नहीं करवाए। एसएएस के पूर्व प्रमुख जनरल सर मार्क कार्लटन-स्मिथ को को कथित गैर-कानूनी हत्याओं के बारे में बताया गया था। लेकिन जब रॉयल मिलिटरी पुलिस ने आरोप की जांच शुरू की, तो उन्होंने सबूत नहीं दिए। बल्कि बाद में जनरल कार्लटन-स्मिथ ब्रिटिश सेना के प्रमुख बन गए।
हाल ही में वे इस पद से रिटायर्ड हुए हैँ। जाहिर है, ये रिपोर्ट से ब्रिटिश सेना पर गंभीर सवाल खड़े करती हैँ। मगर ब्रिटिश सरकार अपनी सेना के बचाव में आ खड़ी हुई है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान ने कहा है कि इन बलों ने साहस और पेशवेर कौशल के साथ अफगानिस्तान में अपनी सेवा दी। बीबीसी को हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक एसएएस ने 2010-11 में अफगानिस्तान के हेल्मांद प्रांत में रात में डाले गए छापों के दौरान निहत्थे लोगों की हत्याएं कीं। बाद में घटनास्थल पर उन्होंने एके-47 जैसे हथियार रख दिए, ताकि हत्याओं को बाद में उचित ठहराया जा सके। बीबीसी के मुताबिक अंदरूनी ई-मेल से जाहिर हुआ है कि सबसे उच्च पदस्थ अधिकारियों को इन घटनाओं की जानकारी थी। लेकिन जब आरएमपी ने जांच की, तब उन अधिकारियों ने अपनी राय उसे नहीं बताई। तो स्पष्तः अब ब्रिटेन कठघरे में है। लेकिन वह इससे चिंतित नजर नहीं आता।
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