प्रायोजकों की परवाह नहीं
खेल की दुनिया में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसके बारे में पहले सोचना भी मुश्किल था। शिकायत तो यह रही है
खेल की दुनिया में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसके बारे में पहले सोचना भी मुश्किल था। शिकायत तो यह रही है कि सारे खेल प्रायोजक कंपनियों की गिरफ्त में चले गए हैँ। खिलाड़ी उनके गुलाम हो गए हैँ। लेकिन इसी बीच हाल में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्हें खिलाड़ियों का इन कंपनियों के भय से बाहर आना माना जा रहा है। गौर कीजिए। हाल में फ्रेंच ओपन टेनिस टूर्नामेंट के दौरान मशहूर महिला खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने प्रेस कांफ्रेंस में भाग लेने से इनकार कर दिया। इसके प्रायोजक कंपनियां नाराज हुईं, क्योंकि टूर्नामेंटों के दौरान प्रेस कांफ्रेंस प्रायोजक कंपनियों की बैनर की पृष्ठभूमि में होती है। ओसाका ने खुद को डिप्रेशन से पीड़ित बता कर प्रेस कांफ्रेंस में जाने से मना किया था, लेकिन जब बात बढ़ी तो झुकने के बजाय उन्होंने टूर्नामेंट बीच में छोड़ कर लौट जाना बेहतर समझा। ये कम साहस की बात नहीं थी। अब चल रहे यूरो टूर्नामेंट के दौरान ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब खिलाड़ियों ने बड़े ब्रांड वाले ड्रिंक्स को अपने सामने से हटा दिया।