कोरोना: सभी राज्यों को मास्क लगाना फिर से करना होगा अनिवार्य

केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों ने सोचा था कि कोरोना वायरस का असर खत्म हो चुका है

Update: 2022-04-19 11:59 GMT

नरेन्द्र भल्ला

केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों ने सोचा था कि कोरोना वायरस का असर खत्म हो चुका है, लिहाज़ा बीती 31 मार्च से तमाम पाबंदियों को हटा लिया गया. इसमें सबसे बड़ी चूक ये हुई कि सरकारों ने मास्क पहनने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी. उसका नतीजा ये हुआ कि महज 15 दिन के भीतर ही वायरस ने अपना ऐसा असर दिखान शुरु कर दिया कि राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में कोरोना के मामलों में अचानक तेजी से बढ़ोतरी होने लगी है. हालांकि केंद्र सरकार ने औपचारिक तौर पर अभी इसकी घोषणा नहीं की है लेकिन विशेषज्ञ इसे कोरोना की चौथी लहर मान रहे हैं. लेकिन डराने वाली बात ये है कि इस बार बड़ों के साथ ही बच्चे भी काफी संख्या में कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस त्वरित फैसले की तारीफ़ की जानी चाहिये कि उन्होंने राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में मास्क पहनने को दोबारा अनिवार्य कर दिया है. बाकी राज्य सरकारों को भी इस पर फौरन अमल करने की जरुरत है
बेशक मास्क लगाना ही इस बीमारी का इलाज़ नहीं है, लेकिन संक्रमण फैलने की रफ्तार पर लगाम कसने में ये काफी हद तक पूरी दुनिया में कारगर साबित हुआ है. होना तो ये चाहिए कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्य सरकारों के लिए गाइड लाइन जारी करे, जिसमें मास्क को गिर से अनिवार्य करने के साथ ही तीसरी बूस्टर खुराक लेने के लिए विशेष कैम्प लगाने पर जोर दिया जाए. वह इसलिये कि जो नये मामले सामने आ रहे हैं,उनमें से कई ऐसे भी हैं,जो पहली व दूसरी डोज़ ले चुके हैं लेकिन फिर भी वे इसका शिकार हो रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक दो डोज़ लेने के बाद शरीर में जो इम्युनिटी बनी थी,उसका असर ख़त्म होने लगा है,इसलिए सरकार को तीसरी बूस्टर डोज़ लगाने पर खास ध्यान देना होगा.
दिल्ली,उत्तरप्रदेश,हरियाणा,महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान में संक्रमण फैलने की रफ्तार दिनोंदिन तेजी से बढ़ रही है. रविवार को दिल्ली में कोविड के 517 नये मामले दर्ज किए गए थे, तो वहीं सोमवार को भी इसमें इज़ाफ़ा हुआ. फिलहाल पॉजिटिविटी रेट 4. 21 प्रतिशत है, लेकिन अगर यही रफ्तार रही,तो इसे 5 फीसदी क्रॉस करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. ऐसा होते ही सरकार को दोबारा पाबंदी लगाने का फैसला लेना पड़ेगा. उधर,उत्तर प्रदेश में लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर समेत लखनऊ में भी मास्क को अनिवार्य कर दिया है. यूपी में पिछले एक हफ्ते से लगातार कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है जिसके बाद राज्य सरकार ने एहतियातन ये फैसला लिया है.
पहले की तरह ही महाराष्ट्र में इस बार भी कोरोना तेजी से अपने पैर पसार रहा है लेकिन चिंता की बात ये है कि वहां कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. अप्रैल महीने में महाराष्ट्र में अब तक कोरोना से 44 मौतें हो चुकी हैं, जिसमें 3 मौतें अकेले मुंबई में हुई हैं. हरियाणा के गुरुग्राम में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है. भीड़ भाड़ वाले स्थानों जैसे मॉल, मार्केट और मेट्रो स्टेशनों आदि पर स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड एंटिजन टेस्ट शुरू कर दिए हैं. उधर,बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो लोगों को जागरुक करने के लिए मीडिया से ही गुहार लगा दी है. नीतीश ने पत्रकारों से हाथ जोड़ते हुए कहा, "मैं आग्रह करूंगा फिर से आप सबों से कि जरा लोगों को अलर्ट करिएगा. ई चौथा बार आने का चक्कर में है. ऐसे में आप सभी भी लोगों को अलर्ट कराइये. वहीं, अभी जिस तरह का मौसम हो गया है, उसमें भी एक-दो महीने के लिए लोगों को अलर्ट करें. बाकी राजनीतिक गतिविधियां तो होती ही रहेंगी. ये सब उतना महत्वपूर्ण नहीं है. लोग सुरक्षित और स्वस्थ रहें, ये ज्यादा जरूरी है."
अगर समूचे देश के आंकड़ों पर गौर करें,तो महज एक हफ्ते में ही कोविड मामलों में 35 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. गौरतलब है कि जनवरी महीने के बाद पहली बार कोरोना संक्रमण के मामलों इतना इजाफा देखा जा रहा है. हालांकि राहत की बात ये है कि संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या काफी कम है. लिहाज़ा ,मसला डरने का नहीं बल्कि मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने को अपनी आदत में शुमार करने का है क्योंकि वो अभी पूरी तरह से गया नहीं है.


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