साझे सरोकार

भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सामरिक संबंधों को और मजबूत बनाने का संकल्प दोनों मुल्कों की चिंताएं बताता है।

Update: 2021-09-13 01:40 GMT

भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सामरिक संबंधों को और मजबूत बनाने का संकल्प दोनों मुल्कों की चिंताएं बताता है। इसलिए भविष्य में सामरिक रिश्तों को बढ़ाना दोनों ही देशों के हित में होगा। खास बात यह है कि दोनों देशों के बीच रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच एक साथ वार्ता यानी टू प्लस टू की बातचीत पहली बार हुई है। वैसे तो इस वार्ता के मुख्य बिंदु आतंकवाद और हिंद-प्रशांत क्षेत्र रहे, लेकिन अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर भी पर दोनों देशों ने अपनी चिंता जताई। ऐसा नहीं है कि ये मुद्दे सिर्फ इन दोनों देशों को ही प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि इनका सरोकार दूसरे देशों से भी है। इसलिए दोहरे प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ताओं का महत्त्व कहीं ज्यादा बढ़ गया है। पिछले साल जब जून में भारत और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने बात की थी तब ऐसी वार्ताओं के दौर शुरू करने पर सहमति बनी थी। यह टू प्लस टू वार्ता उसी कड़ी में है। इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है कि भारत और आॅस्ट्रेलिया दोनों ही क्वाड समूह के सदस्य हैं। समूह के बाकी दो सदस्य अमेरिका और जापान हैं। इस महीने के अंत में अमेरिका में क्वाड समूह के नेताओं की बैठक भी होने वाली है।

देखा जाए तो चीन क्वाड देशों के लिए चुनौती बना हुआ है। अमेरिका के साथ लंबे समय से व्यापार युद्ध ने इस टकराव को बढ़ाया है। जापान के साथ द्वीपों पर कब्जे को लेकर चीन के विवाद चल ही रहे हैं। चीन ने पिछले साल आॅस्ट्रेलिया से होने वाले आयात पर भारी शुल्क थोप दिए थे, उससे दोनों में तनाव पैदा हो गया है। जहां तक सवाल है भारत और चीन के रिश्तों का, तो ये किसी से छिपे नहीं हैं। चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला कर सीमा विवाद को और बढ़ाया ही है। फिर दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक चीन की विस्तारवादी नीतियों ने अमेरिका सहित कई देशों की नींद उड़ा दी है। यह खतरा भारत के लिए भी कम गंभीर नहीं है। इसलिए क्वाड समूह के सदस्य देशों की बैठकों में चिंता का बड़ा केंद्र हिंद प्रशांत क्षेत्र बना हुआ है। हाल में चीन ने दक्षिण चीन सागर मंत नए नौवहन नियम लागू कर दिए हैं। जाहिर है, यह कई देशों को नागवार गुजरा होगा। भारत के लिए भी इससे मुश्किलें पैदा होंगी। इसलिए क्वाड समूह की प्राथमिकता अब हिंद प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नौवहन संचालन सुनिश्चित करने की है, ताकि समुद्री जल क्षेत्रों पर सभी देशों का समान अधिकार बना रहे।
समझा यह भी जाना चाहिए कि भारत और आॅस्ट्रेलिया जैसे सहयोगियों के बिना अमेरिका के लिए चीन के बढ़ते कदमों को रोक पाना आसान नहीं है। और इसीलिए भारत और आॅस्ट्रेलिया की भूमिका ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गई है। दोनों देशों के लिए अफगानिस्तान का मुद्दा भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। वहां भी चीन केंद्रीय भूमिका में है। तालिबान के कब्जे के बाद ज्यादातर देश आतंकवाद बढ़ने को लेकर आशंकित हैं। ऐसे में भारत और आॅस्ट्रेलिया के बीच सामरिक और रक्षा सहयोग बढ़ना वक्त की जरूरत मानी जा सकती है। भारत चाहता है कि आॅस्ट्रेलिया की रक्षा क्षेत्र की कंपनियां यहां आकर निवेश करें। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच महत्त्वपूर्ण रक्षा और सैन्य समझौते भी हुए हैं। यह मौका सिर्फ भारत-आॅस्ट्रेलिया रिश्तों को मजबूत करने का ही नहीं, बल्कि एशियाई क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने का भी है। तभी क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा।

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