महाराष्ट्र में बदलाव
सब कहते हैं और मानते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल है
सब कहते हैं और मानते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। कौन कल्पना कर सकता था कि कभी धुर विरोधी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एकजुट होकर अघाड़ी सरकार बना लेंगे। यह बात संभावनाओं के खेल के चलते सच हुई। एक ऐसी सरकार जो अढ़ाई साल चली खींचतान कर। कभी कांग्रेस ने खींचा तो कभी एनसीपी ने और शिवसेना के अपने विधायक कसमसाते रह गए। शिवसेना विधायकों ने यही आरोप लगाया कि हमारे लिए मुख्यमंत्री आवास वर्षा के द्वार बंद रहे। इसलिए हम बागी हो गए। यह बगावत यहां तक पहुंची कि उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपमानजनक ढंग से इस्तीफा देना पड़ा। क्या उद्धव ठाकरे या शिवसेना का ऐसा अंत या ऐसी दुर्दशा की कल्पना की थी किसी ने? मात्र अढ़ाई साल के राज में सब कुछ खो दिया।
दुखद अंत। वैसे संभावना अभी शेष है कि उद्धव अब सब कुछ नए सिरे से शुरू करेंगे। पहली बार विधायक और पहली ही बार मुख्यमंत्री। अनुभव की कमी से दिखी। ऊपर से शरद पवार जैसा मंझा हुआ खिलाड़ी। कौन नचाए नाच, समझ सकते हैं। अब राजनीति की नई संभावना देखिए कि जिस देवेंद्र फडऩवीस को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा रहा था, उसे पीछे कर एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बना दिया गया और देवेंद्र फडऩवीस को पदावनत कर डिप्टी सीएम बनने को कहा गया। सच लड्डू एकदम कड़वे से लगने लगे होंगे कि नहीं? यह भी एक नई संभावना है कि किसी तरह असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की बनाई जाए। बाकायदा मान्यता दिला कर निर्वाचन आयोग से। इस तरह उद्धव ठाकरे और शिवसेना को पूरी तरह कमजोर कर दिया जाए। राज ठाकरे पहले से ही अलग मनसे चला रहे हैं। शरद पवार को भी कमजोर किया जाए। इतनी संभावनाओं का खेल अभी बाकी है और चल रहा है। कोई कयास लगा रहा है कि अब संजय राउत जेल जाएंगे। कोई कह रहा है कि कंगना रानौत का श्राप अपना असर दिखा गया। कोई कह रहा है कि कंगना रानौत की पावर सबसे ज्यादा होगी इस सरकार में। राजनीति की संभावनाएं अनंत और अनंत रूप हैं राजनीति के।
-कमलेश भारतीय, साहित्यकार
सोर्स- Divyahimachal