ब्रेन ड्रेन को रोकना होगा

टाइम्स ऑफ इंडिया ने 17 जून के अंक में 'रेजिडेंट इंडियंस' शीर्षक से संपादकीय में लिखा है

Update: 2021-06-19 04:52 GMT

17 जून के अंक में 'रेजिडेंट इंडियंस' शीर्षक से संपादकीय में लिखा है कि भारत से इमिग्रेशन भले बढ़ रहा है, लेकिन यह कोई मसला नहीं है। असल दिक्कत यह है कि देश में लोगों में निवेश नहीं किया जा रहा है। इसमें इस बात का जिक्र है कि किस तरह से देश का समृद्ध वर्ग अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अमेरिका और ब्रिटेन भेजने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। इससे पहले ऐसी भी खबरें आई थीं कि कोरोना की दूसरी लहर में खराब चिकित्सा तंत्र का हाल देखने के बाद अमीर तो क्या मध्यवर्गीय लोग भी दूसरे देशों में बस रहे हैं या बसना चाहते हैं। इससे 'ब्रेन ड्रेन' डिनर टेबल पर चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं। संपादकीय कहता है कि भारत में समाजवाद की वजह से 1960 के बाद से पलायन शुरू हुआ। समाजवाद के कारण ही 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक संकट पैदा हुआ। इसके बाद हुए आर्थिक सुधारों के कारण देश में लोगों की आमदनी बढ़ी, लेकिन तब भी पलायन नहीं रुका। ये बातें सही हैं, लेकिन यह कहना ठीक नहीं है कि इससे देश को नुकसान नहीं हुआ।

आज दुनिया की सबसे विशाल कंपनियों में शामिल गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ क्रमशः सुंदर पिचाई और सत्य नाडेला जैसे भारतीय हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हर नए मिशन में भारतीयों की प्रमुख भूमिका है। वहां जो कटिंग ऐज रिसर्च हो रही हैं, उनमें देश से गए लोग योगदान कर रहे हैं। अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीय को सम्मान की नजर से देखा जाता है। उनके योगदान की बदौलत ऐसी कंपनियां वजूद में आ रही हैं, जो दुनिया की तकदीर बदलने का दमखम रखती हैं। दूसरी तरफ, भारत में अब तक ऐसी कंपनियां खड़ी नहीं हो पाई हैं। अमेरिका अगर आज दुनिया की महाशक्ति है तो उसमें स्थानीय प्रतिभाओं के साथ भारत, चीन और दुनिया भर से गई प्रतिभाओं का योगदान है। अब ईलॉन मस्क की ही मिसाल लीजिए, जो दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका पहुंचे और आज उनकी कंपनी स्पेसएक्स मंगल पर इंसानों को ले जाने की तैयारी कर रही है। टेस्ला के जरिये इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की भविष्य की एक राह भी मस्क ने तैयार की है। ऐसे में अगर भारत को वैश्विक महाशक्ति बनना है तो उसे अपने यहां की प्रतिभाओं को बाहर जाने से रोकना होगा। यह तभी हो पाएगा, जब उन्हें देश में उभरने का मौका मिले। उसे ऐसे हालात बनाने होंगे, जिससे जो लोग भारत के बिल गेट्स, जेफ बेजोस और मार्क जकरबर्ग हो सकते हैं, वे देश छोड़कर न जाएं। तभी, विदेशी प्रतिभाएं भी हमारे यहां आएंगी और हम भी ऐसी कंपनियां और संस्थान खड़े कर पाएंगे, जो दुनिया का भविष्य तय कर सकेंगी।


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