राष्ट्रपति चुनाव के लिए कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार, किन नामों पर जारी हैं अटकलें; प्रधानमंत्री कार्यालय पर टिकी निगाहें
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उल्टी गिनती अगले सप्ताह की शुरुआत में आरंभ होगी क्योंकि राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव और कुछ लोकसभा व विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव समाप्त हो जाएंगे
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उल्टी गिनती अगले सप्ताह की शुरुआत में आरंभ होगी क्योंकि राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव और कुछ लोकसभा व विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव समाप्त हो जाएंगे. चुनाव आयोग अगले हफ्ते कभी भी अधिसूचना जारी कर सकता है. भाजपा के पास अपने दम पर राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल है.
हालांकि उसने आठ साल की अवधि में एक दर्जन से अधिक सहयोगी दलों को खो दिया है लेकिन वह बीजद और वाईएसआर कांग्रेस जैसे गैर-एनडीए दलों से समर्थन हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.
पीएम मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से अलग-अलग मुलाकात की और चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के साथ सौहार्द्रपूर्ण बैठक की. मोदी ने समृद्ध तमिल भाषा की जमकर तारीफ की और संकेत दिया कि भाजपा हिंदी थोपने के पक्ष में नहीं है. प्रबल संभावना है कि भारत के अगले राष्ट्रपति का चयन करने के लिए भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक पार्टी के मुख्यालय में होगी और संसदीय दल सर्वसम्मति से निर्णय का समर्थन करेगा.
भाजपा ने अनौपचारिक रूप से अपने सहयोगियों से परामर्श करने की कवायद शुरू कर दी है और उनसे बात करने के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को नियुक्त किया है. प्रधानमंत्री बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ लंबी बैठक करने के लिए पटना पहुंचे. पता चला है कि इस प्रारंभिक दौर में किसी विशेष नाम पर चर्चा नहीं हुई. लेकिन साफ है कि भाजपा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान करने से पहले सभी सहयोगी दलों को साध रही है. चूंकि विपक्ष बंटा हुआ है, इसलिए भाजपा को दिक्कत नहीं हो रही है.
अटकलों की ऊंची उड़ान
राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आते ही अटकलें तेज हो गई हैं और सभी की निगाहें प्रधानमंत्री कार्यालय पर टिकी हैं, जहां बहुत सारी चीजें हो रही हैं. हाल ही में, वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल और मध्य प्रदेश के दलित नेता थावरचंद गहलोत से प्रधानमंत्री ने बात की. वे मोदी की योजना में फिट बैठते हैं- विनम्र और गैर-विवादास्पद. वे लंबे समय तक मोदी के साथ रहे.
यूपी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पूर्वजों के गांव में प्रधानमंत्री की यात्रा ने इस अटकल को जन्म दिया कि उन्हें दूसरा कार्यकाल दिया जा सकता है. लेकिन पीएमओ के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह निवर्तमान राष्ट्रपति के प्रति पीएम का सद्भाव था. प्रबल भावना है कि अगला राष्ट्रपति ओबीसी से होना चाहिए, संभवत: दक्षिण भारत से और अगर यह एक महिला हो तो और भी अच्छा है.
तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन का नाम लिया जा रहा है. वे तमिलनाडु के नादर समुदाय से ताल्लुक रखती हैं जिससे के. कामराज ताल्लुक रखते थे. उनकी उम्मीदवारी द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को उनका समर्थन करने के लिए मजबूर कर सकती है.
भाजपा में कई ऐसे हैं जो आदिवासी राष्ट्रपति के पक्ष में हैं. यह तर्क दिया जाता है कि इससे 47 लोकसभा सीटों और ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में भाजपा के चुनावी आधार को मजबूती मिलेगी. भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने हाल ही में पार्टी का सबसे बड़ा आदिवासी सम्मेलन किया था, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने जनजातीय विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया. लेकिन एक आदिवासी को राष्ट्रपति के रूप में नामांकित करना बड़ी बात होगी.
उधेड़बुन में विपक्ष
विपक्षी दल इन दिनों जैसी दयनीय स्थिति में कभी नहीं थे. कांग्रेस अपने आंतरिक कलह को सुलझाने और अस्तित्व की लड़ाई में व्यस्त है. वाम दलों का मोहभंग हो गया है और टीआरएस, आप तथा टीएमसी अपनी-अपनी राह पर हैं, जबकि अन्य बिना यह जाने कि क्या करना है, इंतजार कर रहे हैं.
2017 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान, राकांपा नेता शरद पवार को 7 जून को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करने के लिए 17 विपक्षी नेताओं की समिति का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था, लेकिन इस बार विपक्षी दलों के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनौपचारिक स्तर पर भी चर्चा नहीं हुई है.
निराश सीताराम येचुरी विदेश चले गए. विपक्षी एकता के लिए सबसे आगे रहने वाले शरद यादव लुटियंस दिल्ली में सरकारी आवास से निकाले जाने के बाद दिल्ली के बाहरी इलाके में एक निजी घर में आराम कर रहे हैं. लालू यादव अपनी सेहत और अदालती मुकदमों से जूझ रहे हैं. टीआरएस नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव विपक्ष की धुरी बनने के लिए एच.डी. देवेगौड़ा को लुभा रहे हैं, जबकि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों के साथ हिसाब बराबर करने में व्यस्त हैं.
ऐसे में बीजद और वाईएसआर कांग्रेस भाजपा के साथ जा सकते हैं. त्रासदी यह है कि विपक्ष के पास गोपाल कृष्ण गांधी के अलावा कोई उपयुक्त उम्मीदवार भी नहीं है, जो 2017 में मीरा कुमार से हार गए थे. इस बार, कोई भी राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करेगा.