आजादी का अमृत महोत्सव सराहनीय पहल
आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न व प्रत्येक घर में झंडा फहराने का अभियान
By: सुखदेव सिंह।
पेट्रोल, डीजल और गैस भारत को अन्य देशों से खरीदनी पड़ती है जिसकी वजह से महंगाई अब दिनोंदिन बढ़ रही है। इस पर अंकुश लगाना जरूरी है। अमृत महोत्सव मनाने का तभी कोई अर्थ है अगर समस्याओं को हल करने के लिए सरकार पग उठाए…
सदियों की गुलामी के बाद भारत को आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। स्वतंत्रता को पाने के लिए हजारों सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुतियां देकर इसे हासिल किया है। भारत का इतिहास क्या रहा, इसके बारे में आज की युवा पीढ़ी को अवगत करवाना बहुत जरूरी है। आज की युवा पीढ़ी इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और नैतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है। इतिहास वह सुर्ख पन्ने हैं जिसे संजोकर रखना प्रत्येक मनुष्य का प्रथम दायित्व बनता है। देश को आजाद हुए 75 वर्ष होने वाले हैं। केंद्र सरकार के आह्वान पर जिस तरह इस बार आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वह काबिले तारीफ है। राज्य सरकारें प्रत्येक घर में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर आजकल अभियान पूरे जोरों-शोरों से चलाए हुए हैं। भाजपा कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाकर इस आजादी का जश्न मनाते हुए घरों में तिरंगा झंडा फहरा रहे हैं। भारतीय ध्वज का सम्मान सिर्फ अपने ही देश में नहीं किया जाता है। विदेशों में भी भारतीय ध्वज अन्य देशों सहित लहराता हुआ भारत की विदेश नीति से अवगत करवाता है। झंडा किसी भी देश का हो, उसका आदर पूर्वक सम्मान किया जाना प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है। किसी देश के झंडे की शान के खिलाफ कुछ भी किया जाना गैर कानूनी है।
आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न व प्रत्येक घर में झंडा फहराने का अभियान सराहनीय है। इस बात को भी सुनिश्चित करना बहुत जरूरी बन जाता है कि इस उत्सव के बाद झंडे का सम्मान बरकरार रहना चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि समारोह खत्म होते ही झंडे इधर-उधर बिखरे पड़े होते हैं। समारोह के बाद प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है कि राष्ट्रीय ध्वज को संभालकर रखे जिससे उसकी शान में कोई लापरवाही न बरती जाए। भारतीय संविधान, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय पक्षी और ध्वज का सम्मान किया जाना प्रत्येक भारतीय का फर्ज है। भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार एकता और अखंडता पर आधारित है। धर्म निरपेक्षता इसकी सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक है। आजादी उत्सव मनाए जाने का एकमात्र यही उद्देश्य है कि भारत की 135 करोड़ जनता आपस में एकजुट होकर इसे मनाए। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के कई कारण हैं। अंग्रेजों की गुलामी से देश की जनता को आजादी मिली। देश को आजाद करवाने में जिन सपूतों ने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, उनके बलिदानों को स्मरण किया जाए। भारत को 75 वर्ष का सफर तय करने में किन चुनौतियों व कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, इसे याद किया जाना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी आजादी के संघर्ष और लोकतंत्र के महत्व को पूरी तरह नहीं जानती और कई विचारधाराओं में बंटी हुई है। कुछेक युवा गुमराह होकर गलत दिशा की ओर अग्रसर हो रहे हैं जिसे रोकना बहुत जरूरी है।
कहते हैं जो देश अपना इतिहास भूल जाता है, उसका भूगोल भी बदल जाता है। स्कूलों में बच्चों को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों में इतिहास की जानकारियां पर्याप्त उपलब्ध नहीं हैं। भारत अर्थव्यवस्था के मामले में आगे निकलकर अपनी अलग विशेष पहचान बना रहा है। ऐेसे युवाओं की संख्या बहुत अधिक है जो अपनी काबिलीयत से लगातार उन्नति और सफलता हासिल करके अपना परचम लहरा रहे हैं। विकसित देशों में नामी कंपनियों के सीईओ तक भारतीय होना गर्व की बात है। आईटी क्षेत्र में देश ने बहुत उन्नति की जिसका डंका पड़ोसी देश भी बजा रहे हैं। देश के विकास में ऐसे युवाओं का बलिदान सराहनीय है। भारत ने आजादी के बाद अर्थव्यवस्था का बुरा दौर भी झेला है। भारत-चीन युद्ध के बाद अर्थव्यवस्था बिल्कुल टूट चुकी थी। केंद्रीय सरकारों के निरंतर सार्थक प्रयासों की वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की करके विश्व के देशों को अपना लोहा मनवाने के लिए विवश कर दिया है। भारत परमाणु शक्ति सहित बड़ी सैन्य शक्ति वाला देश भी बन गया है। चांद और मंगल पर मानव रहित मिशन भेजने वाले पांच देशों की सूची में भारत का शामिल होना बहत बड़ी बात है। वर्तमान का भारत सबका साथ, सबका विकास का नारा बुलंद करके आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में विकास के आयाम स्थापित किए हैं।
बदलते युग के भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना विश्व के देशों की मजबूरी बन चुकी है। भारत के आज विश्व के देशों के साथ घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंधों सहित व्यापारिक समझौते भी हो रहे हैं। भारत विश्व के देशों के साथ मुक्त व्यापार किए जाने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहा है। कोरोना वायरस काल के दौरान विकसित देशों की अर्थ व्यवस्था की चूलें तक हिल गई। नरेंद्र मोदी सरकार ने महामारी के दौरान जनता की हरसंभव मदद करके उसकी सुरक्षा की। भारत सिर्फ अपने देश की जनता की चिंता नहीं कर रहा, पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की मदद किए जाने में हमेशा आगे रहता आया है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आज विश्व के देशों में महंगाई बहुत अधिक बढ़ चुकी है। भारत खाड़ी देशों, अमेरिका और रूस से अपने व्यावसायिक संबंध मजबूत बनाकर खूब लाभ भी ले रहा है। भारत ने इस युद्ध के समय रूस से निरंतर कच्चा तेल भारी मात्रा में खरीदकर देश की जनता की मदद की है। भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतें अन्य देशों की तुलना में कम हैं। दूसरी ओर वर्तमान समय में भारत कई समस्याओं से जूझ रहा है। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, नशाखोरी, सांप्रदायिकता आदि अनेकों समस्याएं विद्यमान हैं। 135 करोड़ जनता जिस देश की हो, वहां अचानक रोजगार के साधन जुटाना कोई आसान बात नहीं है। बेरोजगारी वैश्विक समस्या बनती जा रही है, इसलिए सभी देश इससे प्रभावित हैं। जनसंख्या वृद्धि के चलते बेरोजगारी सहित महंगाई भी कई गुणा बढ़ी है। हमारी सरकारों को रोजगार के साधन सृजित करके बेरोजगारी को कम करने के प्रयास निरंतर जारी रखने चाहिए। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है जिसका खामियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। पेट्रोल, डीजल और गैस भारत को अन्य देशों से खरीदनी पड़ती है जिसकी वजह से महंगाई अब दिनोंदिन बढ़ रही है। इस पर अंकुश लगाना जरूरी है। अमृत महोत्सव मनाने का तभी कोई अर्थ है अगर देश में मौजूद समस्याओं को हल करने के लिए सरकार विशेष पग उठाए।
सुखदेव सिंह
लेखक नूरपुर से हैं