अमेरिका, भारत, इजराइल और यूएई...पश्चिम एशिया का नया चौगुटा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले माह सऊदी अरब की यात्रा पर जा रहे हैं

Update: 2022-06-17 18:14 GMT

वेदप्रताप वैदिक 

By लोकमत समाचार सम्पादकीय

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले माह सऊदी अरब की यात्रा पर जा रहे हैं. उस दौरान वे इजराइल और फिलिस्तीन भी जाएंगे लेकिन इन यात्राओं से भी एक बड़ी चीज जो वहां होने जा रही है, वह है एक नए चौगुटे की धमाकेदार शुरुआत. इस नए चौगुटे में अमेरिका, भारत, इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) होंगे.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जो चौगुटा चल रहा है, उसके सदस्य हैं अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया. इस और उस चौगुटे में फर्क यह है कि उसे चीन-विरोधी गठबंधन माना जाता है जबकि इस पश्चिम एशिया क्षेत्र में चीन के जैसा कोई राष्ट्र नहीं है, जिससे अमेरिका प्रतिद्वंद्विता महसूस करता हो.
इसके अलावा इस चौगुटे के तीन सदस्यों का आपस में विशेष संबंध बन चुका है. भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मुक्त व्यापार समझौता है तो ऐसा ही समझौता इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच भी हो चुका है. ये समझौते बताते हैं कि पिछले 25-30 साल में दुनिया कितनी बदल चुकी है. इजराइल जैसे यहूदी राष्ट्र और भारत जैसे पाकिस्तान-विरोधी राष्ट्र के साथ एक मुस्लिम राष्ट्र यूएई के संबंधों का इतना घनिष्ठ होना अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हो रहे बुनियादी परिवर्तनों का प्रतीक है.
अमेरिका के राष्ट्रपति का इजराइल और फिलिस्तीन एक साथ जाना भी अपने आप में अति-विशेष घटना है. यों तो पश्चिम एशिया के इस नए चौगुटे की शुरुआत पिछले साल इसके विदेश मंत्रियों की बैठक से हो गई थी लेकिन अब इसका औपचारिक शुभारंभ काफी धूम-धड़ाके से होगा.
मध्य जुलाई में इन चारों राष्ट्रों के शीर्ष नेता इस सम्मेलन में भाग लेंगे. जाहिर है कि यह नाटो, सेंटो या सीटो की तरह कोई सैन्य गठबंधन नहीं है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को सैन्य-इरादों से जोड़ा जा सकता है लेकिन पश्चिम एशिया में इस तरह की कोई चुनौती नहीं है.
ईरान से परमाणु-मुद्दे पर मतभेद अभी भी हैं लेकिन उसके विरुद्ध कोई सैन्य गठबंधन खड़ा करने की जरूरत अमेरिका को नहीं है. जहां तक भारत का सवाल है, वह किसी भी सैन्य संगठन का सदस्य न कभी बना है और न बनेगा. हिंद-प्रशांत क्षेत्र के चौगुटे में भी उसका रवैया चीन या रूस विरोधी नहीं है.


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