Sulli Deal के बाद अब Bulli Bai, किसके निशाने पर हैं मुस्लिम महिलाएं
जब से होश संभाला तब से सुनते आए हैं कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात जहां महिलाओं की पूजा होती है
निदा रहमान जब से होश संभाला तब से सुनते आए हैं कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात जहां महिलाओं की पूजा होती है वहां देवताओं का निवास होता है. महान संस्कृति और सभ्यता की दुहाई देने वाले लोग गाहे बगाहे ये श्लोक दोहराते सुने जा सकते हैं. लेकिन इसी महान देश में महिलाओं की बोली लगाई जा रही है वो भी सिर्फ़ इसलिए कि वो दूसरे धर्म की हैं यानि की उनकी पहचान मुस्लिम है.
बीते कुछ सालों में मुस्लमानों से नफ़रत इतनी चरम पर है कि नफ़रत में डूबे हुए कुछ घटिया लोग महिलाओं की बोली लगा रहे हैं. Bulli Bai app के ज़रिए देश की लगभग 100 मुस्लिम महिला पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया पर एक्टिव मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें उठाकर उनकी वर्चुअल बोली लगाई जा रही है, उनकी अस्मिता, इज्ज़त को तार तार किया जा रहा है.
पिछली दफ़ा इसी तरह sulli deals app के ज़रिए ये घटिया हरकत और अपराध किया गया था. लेकिन जब अपराधियों की खिलाफ़ कोई सख़्त कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद उनके हौसले बुलंद हुए और एक बार फिर Bulli Bai के ज़रिए ये घिनौनी हरकत की गई है.
क्या है Bulli Bai?
Bulli Bai नाम से एक ऐप सामने आया है. ऐप पर मुस्लिम महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है. यहां उनके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और गंदी बातें लिखी जा रही हैं. Bulli Bai एप ठीक उसी तरह बनाया गया है जैसे कुछ महीनों पहले sulli deals बनाया गया था. Sulli deal की तरह ही Bulli Bai को भी Github पर बनाया गया है.
Bulli Bai ऐप पर सोशल मीडिया पर बेबाकी और बिना डरे अपनी बात रखने वाली 100 मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया गया है. ये खुलासा होने के बाद से एक महिला पत्रकार ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
मुस्लिम महिला पत्रकार निशाने पर
लखनऊ की पत्रकार काविश अज़ीज़ लेनिन की तस्वीरों का इस्तेमाल भी इस ऐप में किया गया है. काविश कहती हैं कि वो इस हरक़त से डरने वाली नही हैं. वो अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखती हैं कि 'सुल्ली हो बुल्ली हो कोई भी डील हो,न धमकियों से डरती हूँ, न एक्शन से, बलात्कार कर दो, लिंच कर दो, गोली मार दो, अपहरण कर दो, जो करना है करो. मेरी आवाज हमेशा गलत के खिलाफ बुलंद रहेगी.
काविश कहती हैं कि 'सुल्ली डील्स की तरह ही बुल्ली डील्स है जिसमें उन मुस्लिम महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है जो सरकार से सवाल करती हैं, सामाजिक मुद्दों पर मुखर होकर बोलती है. यह काम सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि हम लड़कियां खामोश हो जाए, और बेशर्मी की इंतेहा देखिए की नजीब की उस बुजुर्ग मां को भी नहीं छोड़ा गया.
उससे भी ज्यादा खतरनाक यह है कि कुछ लोग हमारा साथ देने के बजाय हमें समझा रहे हैं कि सोशल मीडिया पर तस्वीरें मत अपलोड करो, यह तो वही बात हुई कि बलात्कार हुआ है तो छोटे कपड़े पहनना बंद कर दो.
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
Bulli Bai को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लोग इस घटिया ऐप के खिलाफ़ जमकर लिख रहे हैं. लोगों का कहना है कि ये हमारे देश की परंपरा नहीं है ना ही संस्कृति है. बहन बेटियां किसी की भी हो उनका सम्मान किया जाना चाहिए.
फेसबुक पर रूपम गंगवार लिखती हैं कि 'एक बार फिर मुस्लिम औरतों की ऑनलाइन बोली लग गयी है उसी देश में जो नारियों की सर्वाधिक इज्जत करने का ढिंढोरा पीटता है. जबकि यहीं, इसी समाज में औरतों के प्रति अपराध होने पर पुरुषों को द्रवित करने के लिए अक्सर ये दुहाई देनी पड़ती है, कि अरे वो भी किसी की बहन बेटी है. अगर आदमी से इज्जत करवाने के लिए बहन बेटी की तरह होने की अपेक्षा करनी पड़ती है, तो फिर वह सिर्फ रिश्ते की इज्जत है, इंसान की नहीं.'
सोशल एक्टीविस्ट निधि नित्या कहती हैं कि 'सुल्ली औऱ बुल्ली डील से मेरे देश की लड़कियों को डराने वाले बेगैरत लोग नहीं जानते कि ये सावित्री बाई फुले और फ़ातिमा शेख़ की कर्मभूमि है. उस आंशिक शिक्षित भारत में, उस वक़्त उन्होंने मज़बूत कदम रखे, जब अनपढ़, नाबालिग लड़कियां ब्याह दी जाती थीं. उस समय पर बेझिझक, बेख़ौफ़ भारी मानसिक यातना झेलते हुए भी, उन्होंने सशक्त स्त्री की भूमिका को समाज के आगे प्रस्तुत किया था.'
वह कहती है कि 'शिक्षित , स्वतंत्र और मज़बूत स्त्री ही नवजीवन का आधार है, हम लड़कियां उनके उस भगीरथ प्रयास की ना सिर्फ हिस्सेदार हैं बल्कि उत्तराधिकारिणी भी हैं. तो लड़कियों मानसिक यातना आज डिजिटल सही पर समाज का वो कुंठित तबका आज भी वहीं है जहां उस वक़्त था. ना हम तब डरे ना आज डरेंगे . आप सभी हर युग में मज़बूत थीं और हर युग में मज़बूत रहेंगी.'
बीते कुछ सालों में अल्पसंख्यकों को लेकर जिस तरह के विचार तेज़ी से उभरे हैं वो स्वीकार्य करने लायक नहीं हैं. इसी बात को आगे बढ़ाती हैं शबनम खान. वो लिखती हैं कि 'पहले सुल्ली डील्स ऐप और अब बुल्ली बाई ऐप. मुसलमान औरतों की तस्वीरें लगाकर उनके साथ अभद्रता. यही है महान भारत की तस्वीर. यही है महानता. बाकी सब बातें हैं. करते रहिए बात बात पर गर्व, असलियत कैसे छिप जाएगी? जय जयकार से कोई महान नहीं हो जाता. मंदिर मस्जिद से किसी की शान नहीं बढ़ती. चंद मेडल्स हमें आगे नहीं ले जाते. आपके देश में अल्पसंख्यक कैसा महसूस करता है, वही आपकी असल तस्वीर है.
क्या है इसका हल ?
Sulli deal हो या Bulli deal इस तरह की घटिया अपराध के लिए ज़रूरी है कि आरोपियों के गिरेबां पकड़े जाएं. असल अपराधी को गिरफ़्तार किया जाए और कड़ी कार्रवाई की जाए. पुलिस और कानून निष्पक्ष अपना काम करे तभ ही मुमकिन है कि इस तरह के अपराधियों के हौसले पस्त हों. पिछली बार Sulli deal की समय किसी भी आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई ना कोई गिरफ़्तारी हुई ना ही पुलिस सुल्ली डील की जड़ तक पहुंच पाई बस ऐप को बंद करवा दिया गया.
बुल्ली बाई के ज़रिए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है. विपक्षी इस मुद्दे पर एक हो गए हैं. वो सीधा हमला करते हुए कहते हैं कि आखिर देश की ताकतवर सरकार में ये कौन लोग हैं जो मुस्लिम महिलाओं की इज्ज़त से खिलवाड़ कर रहे हैं. आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है उन्हें कि ये नफ़रत फ़ैलाने वाले लोग इस क़दर बेख़ौफ़ हैं.
उल्टे महिलाओं को सलाह
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों को ही अब निशाने पर लिया जा रहा है. एक तबका ऐसा भी है जो कह रहा है कि मुस्लिम महिलाओं को पर्दे में रहना चाहिए उन्हें अपनी तस्वीरें शेयर ही नहीं करनी चाहिए. यानि की बात वही है कि ल़ड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए नहीं तो वो बलात्कार का शिकार हो सकती हैं.
लेकिन यहां भी मुस्लिम महिलाओं ने दो टूक कह दिया है कि वो इस तरह की हरक़तों से डरने वाली नहीं हैं वो अब और ताकतवर हो गईं हैं. उनकी मानसिक स्थिति इतनी कमज़ोर नहीं कि इस तरह की घटिया हरक़तों से डर जाएं.
सोशल मीडिया पर लिखते बोलते समय ट्रोलिंग का शिकार अकसर महिलाएं होती हैं, जब हम सही गलत के खिलाफ़ बोलते हैं, लिखते हैं तो ट्रोलर्स के निशाने पर आते हैं. लेकिन बुल्ली बाई सस्ती ट्रोलिंग नहीं है बल्कि घिनौना अपराध है. इसकी जड़ में पहुंचकर अपराधियों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. महिलाओं की इज्ज़त करना आपके संस्कार में होना चाहिए.
फिर वो कोई भी महिला हो. सिर्फ़ आपकी बहन बेटी इज्ज़त के लायक नही है. हर महिला इज्ज़त की हक़दार है फिर वो किसी भी समाज से हो संप्रदाय से हो. सवाल ये भी उठता है कि मुस्लिम महिला अधिकारों की बात करने वाली और खुद को मुस्लिम महिलाओं की हितैषी कहने वाली सरकार इस मुद्दे पर क्या क़दम उठाती है. क्या पिछली बार की तरह इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा या फिर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि कोई आगे इस तरह की हिम्मत ना कर पाए.