अभिनय के प्रकाश स्तंभ
दिलीप कुमार सात दशक से भारतीय सिने उद्योग की पहचान थे। एक संपूर्ण अभिनेता के रूप में उन्होंने कई पीढ़ियों पर जो छाप छोड़ी,
दिलीप कुमार सात दशक से भारतीय सिने उद्योग की पहचान थे। एक संपूर्ण अभिनेता के रूप में उन्होंने कई पीढ़ियों पर जो छाप छोड़ी, वह अतुलनीय ही है। हिंदी सिनेमा के पूरे इतिहास में अगर उनकी क्षमता का कोई अभिनेता हुआ, तो वे अमिताभ बच्चन ही हैं। गहन, गंभीर अभिनय से लेकर कॉमेडी और डांस से लेकर तरह-तरह की चुहलबाजियों को परदे पर उतरना इन दोनों के अलावा उस स्तर से कोई कर पाया, कहना कठिन है। लेकिन जब अमिताभ बच्चन का जमाना आया, तब तक फिल्मों का मिजाज बदल चुका था। तब फिल्मों से वे पैगाम गायब हो गया था, जो दिलीप कुमार के युग की पहचान थी। हालांकि गाना गाने की क्षमता के कारण अभिताभ दिलीप कुमार से एक कदम और आगे गए, लेकिन उनकी चंद फिल्में ही होंगी, जो दिलीप कुमार के दौर में बनी संदेश पूर्ण फिल्मों की बराबरी कर सके। दो अलग-अलग दौर के अभिनेताओं की तुलना शायद वैसे भी वाजिब नहीं है।