उच्चतम न्यायालय का महाराष्टÑ के संदर्भ में आगे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ के का फैसला स्वागतयोग्य कदम है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीतिक स्थिरता का माहौल बनेगा और सरकार का ध्यान जनता के कल्याणकारी कार्यों पर होगा। संविधान पीठ में संवैधानिक प्रावधान, सभापति, उपसभापति के अधिकार क्षेत्र पर भी चर्चा होगी।
फैसले के अनुसार अब शिंदे गुट एवं उद्धव गुट के विधायकों पर लटकी तलवार भी हट चुकी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि स्पीकर द्वारा विधायकों की अयोग्यता के प्रश्न पर कोई फैसला न लिया जाए। विधायकों की योग्यता संबंधी सुप्रीम कोर्ट का फैसला उद्धव गुट के विधायकों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जाना चाहिए। संविधान पीठ में यह लड़ाई लंबी चलने वाली है, इसलिए सरकार पर भी अब कोई खतरा नहीं दिखाई पड़ता है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
श्रीलंका के हालात
किसी भी देश की दयनीय या बेहतर स्थितियों के लिए वहां की सत्ता ही जवाबदेह होती है। शुरुआत सरकार की गलतियों की आलोचना से होती है। इस पर सरकार न समझे, तो जनता क्रोधित या आक्रोशित हो सकती है। जनता की भावनाओं को सरकार अगर ताक पर ही रखती चली जाए तो वह आंदोलित भी हो जाती है। जैसा कि श्रीलंका में हुआ। बहुत समय से लोग परेशान थे, पर सत्ता ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया, जिससे स्थिति गंभीर बनी और जनता राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इतने खिलाफ हो गई कि उन्हें घर और सत्ता छोड़ कर भागना पड़ा।
सत्ता में जमे रहने के लिए मुफ्त रेवड़ियां कुर्सी के लिए इतनी बांटी कि देश की अर्थव्यवस्था ही चौपट हो गई। सत्ता के मोह में न देश का विकास किया और न ही अपनी और लोगों की आमदनी के स्थायी स्रोत बढ़ाए, जिससे व्यक्तिगत और सियासी आमद मजबूत बनी रह सके। सत्ता संभालने के बाद सत्ताधारी को अपने साथ ही देश और देश की जनता की भी चिंता करनी चाहिए।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर
वज्रपात की बारंबारता
पिछले कुछ वर्षों में देश के अनेक राज्यों में बिजली गिरने की घटनाएं हुर्इं, जिसमें अनेक लोग मारे गए। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई लोगों की जान चली गई है। सरकार विज्ञापन जारी कर लोगों को जागरूक करती है। उन कारणों पर भी सरकार को शोध कराना चाहिए, जिनसे वज्राघात की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। पहले इतनी ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं नहीं होती थीं।
क्या बढ़ता जलीय, थलीय और वायु प्रदूषण या वायुमंडल में बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों की अधिकता, रेडिएशन और समुद्रों में होते नाभिकीय और परमाणु हथियारों के परीक्षण से वज्रपात की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। आज जो भी बिजली चमकती है, उसमें अनगिनत शाखाएं-सी फूटती नजर आती है, जो शायद बिजली टूटने का कारण है। वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों और रेडिएशन ही मुख्य बज्रापात का कारण हो सकता है। सारी दुनिया को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आपदाओं से निपटने में अपना योगदान पर्यावरण को बचाने में देना चाहिए।
कुलदीप मोहन त्रिवेदी, उन्नाव
सोर्स-jansatta