जनता से रिश्ता वेबडेस्क : खेती-किसानी : पिछले दरवाजे से जीएम फसल लाने की तैयारी, नए सिरे से फिर उठते विवाद के मायनकृषि व खाद्य क्षेत्र में जेनेटिक इंजीनियरिंग की प्रौद्योगिकी मात्र लगभग छह-सात बहुराष्ट्रीय कंपनियों (व उनकी सहयोगी या उप-कंपनियों) के हाथ में केंद्रित हैं। इन कंपनियों का मूल आधार पश्चिमी देशों व विशेषकर अमेरिका में है।
प्रतीकात्मक तस्वीर।
प्रतीकात्मक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला
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हाल के समय में भारत सहित अनेक देशों में नए सिरे से विवाद आरंभ हो गया है कि जीन एडिटिंग तकनीक के माध्यम से पिछले दरवाजे से जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड या जेनेटिक रूप से संवर्धित) फसलों को प्रवेश दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। यूरोपीय संघ में अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जीन एडिटिंग की तकनीक को भी जीएम फसलों की श्रेणी में ही रखा जाएगा। इसके बाद जीएम फसलों के प्रसार वाली कंपनियों का ध्यान भारत की ओर गया है, इस कारण हमारे देश में जीएम खाद्य फसलों व खाद्यों के प्रसार की आशंका बढ़ गई है।
ध्यान रहे कि अभी तक केवल कपास की गैर-खाद्य फसल के मामले में ही जीएम फसल बीटी कॉटन की अनुमति दी गई थी। किसी जीएम खाद्य फसल की अनुमति नहीं दी गई है। दो बार जीएम बैंगन की फसल व फिर जीएम सरसों को फैलाने के लिए बहुत जोर लगाया गया, पर व्यापक विरोध के कारण यह प्रवेश नहीं मिल सका। जीएम फसलों के विरोध का एक मुख्य आधार यह रहा है कि ये फसलें स्वास्थ्य व पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित नहीं हैं तथा यह असर जेनेटिक प्रदूषण के माध्यम से अन्य सामान्य फसलों व पौधों में फैल सकता है।
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