बेटी ने करवाई अपनी 50 वर्षीय मां की दूसरी शादी, देखें VIDEO

Update: 2022-12-14 17:15 GMT
सोशल मीडिया (Social Media) पर एक भावुक करने वाली मां-बेटी की कहानी वायरल हो रही है, जिसमें बताया गया है कि कैसे बचपन में पिता के निधन के बाद बेटी ने बड़ी होकर अपनी 50 वर्षीय मां की दूसरी शादी कराई है. बताया जाता है कि शिलॉन्ग की देब आरती रिया चक्रवर्ती (Deb Arti Ria Chakravorty) दो साल की थीं, तब ब्रेन हैमरेज (Brain Haemorrhage) के कारण उनके पिता का अचानक निधन हो गया. देब आरती का कहना है कि उनके पिता के निधन के बाद परिवार में संपत्ति विवाद चल रहा था.
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एक मां के लिए अकेले अपने बच्चों की परवरिश करना आसान नहीं होता, लेकिन एक बेटी ने अपनी मां के उस दर्द को समझा और 50 वर्ष की उम्र में उनकी दूसरी शादी करा दी. मां और बेटी की यह कहानी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है.
25 साल की उम्र में विधवा हो गई थी मां
दरअसल, यह कहानी मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग की रहने वाली मौशुमी चक्रवर्ती और उनकी बेटी देबार्ती चक्रवर्ती की है. देबिता के पिता एक डॉक्टर थे. कम उम्र में ही ब्रेन हेमरेज की वजह से उनकी मौत हो गई थी. उस वक़्त देबार्ती की उम्र महज दो साल की थी,जबकि उनकी मां की उम्र 25 साल थी.
पिता की मौत के बाद देबाती चक्रवर्ती की मां उनके नानी के घर रहने लगीं. वो एक टीचर थीं. उन्होंने उनकी परवरिश अकेले की. देबार्ती बताती हैं कि मैं हमेशा चाहती थी कि मां एक पार्टनर ढूंढ लें, लेकिन वह कहती थीं, 'मैं शादी कर लूंगी तो तुम्हारा क्या होगा?'
शादी के बाद ख़ुश है मां
27 वर्षीय देबार्ती मुंबई में रहकर फ्रीलांस टैलेंट मैनेजर का काम करती हैं. वह बताती हैं कि पिता की मौत के बाद चाचा के साथ प्रॉपर्टी को लेकर भी विवाद हुआ. काफी समय तक मां इसी में उलझी रहीं. फिर उन्होंने मां को दूसरी शादी के लिए मनाने की कोशिश की. काफी समय लग गया. "मैंने पहले उनको दोस्ती करने को कहा. फिर पार्टनर और अंत में शादी करने के लिए बड़ी मुश्किल से राजी किया."
बता दें कि देबार्ती की मां ने इसी साल पश्चिम बंगाल के स्वपन से शादी की जिनकी भी उम्र 50 साल है. यह उनकी पहली शादी है. किसी पर्सनल रीजन की वजह से स्वपन ने शादी नहीं की थी. उनका साड़ी का बिजनेस है.
देबार्ती बताती हैं कि शादी के बाद मां काफी खुश रहती हैं. वह बहुत मजे में हैं. उन्होंने कहा कि सोसायटी उनकी मां की दूसरी शादी पर क्या कहेगी या कहती है उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता. "लोगों का क्या है लोगों का काम है कहना. उन्हें अपने मां के लिए जो करना था उन्होंने किया." अब समाज को भी स्वीकारना पड़ेगा.
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