चलती कार में टायर बदला शख़्स, लगा सिर्फ डेढ़ मिनट

पहले भी कहा, फिर कहना पड़ रहा है कि कुछ अलग और अदभुत कर गुज़रने का जुनून पाले लोग क्या कुछ नहीं कर जाते

Update: 2022-07-23 11:19 GMT

पहले भी कहा, फिर कहना पड़ रहा है कि कुछ अलग और अदभुत कर गुज़रने का जुनून पाले लोग क्या कुछ नहीं कर जाते. दुनिया में नाम करने के लिए कभी—भी जान भी जोखमि में डाल जाते हैं लोग. उसपर अगर मामला वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्टर बनने का हो तो फिर कोई इसे हल्के में कैसे ले सकता है. जी जान लगाना तो बनता है. तब जाकर कहीं जगह मिलती है गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में

इटली के दो ऐसे शूरवीरों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से खुद को वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर बना डाला. जी हां, दो लोगों ने चलती कार का पहिया बदलकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया. ड्राइवर मैनुअल ज़ोल्डन और टायर-चेंजर जियानलुका फोल्को ने इस हैरतअंगेज़ कारनामे को अंजाम देने के लिए मात्र 1 मिनट 17 सेकेंड का समय लिया. न सिर्फ नया रिकॉर्ड बनाया बल्कि पुराने को तोड़ भी डाला


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चलती कार में टायर बदलना आसान नहीं
ड्राइवर मैनुअल ज़ोल्डन और टायर-चेंजर जियानलुका फोल्को ने चलती BMW कार का पहिया बदलकर इतिहास बना दिया. कार की स्टेयरिंग थाम रखी थी ड्राइवर मैनुअल ज़ोल्डन ने और कार का पहिया बदलने का ज़िम्मा लिया जियानलुका फोल्को ने. मैनुअल ने कार को एक तरफ के दो पहियों पर चलाना शुरु किया और स्पीड पर नियंत्रण बनाए रखा. जिससे आगे के चक्के को खोलने, बदलने और दोबारा कसकर चलने लायक बनाने में सपोर्ट मिला. लेकिन ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस टायर को खड़ी गाड़ी में भी बदलने में अच्छा खासा वक्त लग जाता है. उसे काम को विपरित परिस्थिति में करने में फोल्को ने मात्र 1 मिनट 17 सेकेंड का वक्त लिया. इसी के साथ उन्होंने पिछले रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया. जिसकी टाइमिंग थी 1 मिनट 30 सेकेंड.
1 मिनट,17 सेकेंड में बदलकर कस दिया चलती कार का चक्का
फोल्को और मैनुअल ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया था. तभी तो टायर दोबारा कार में फिट होते ही रोड पर एकदम अच्छे से सरपट दौड़ती नज़र आई. इटली के लो शो देई रिकॉर्ड के सेट पर पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा और नए रिकॉर्ड को बनाया गया था. जहां रैंप पर चलती कार के पहियों को बदलकर रिकॉर्ड कायम करते देखा गया. और वहीं पर इस नई उपलब्धि का ऐलान भी कर दिया गया. जिस क्षेत्र में पहले से किर्तिमान गढ़े जा चुके हों, वहां परफॉर्मेंस का प्रेशर कहीं ज्यादा होता है. पहली बार कोई काम हो रहा हो तो टारगेट भी सीमित होता है, लेकिन जब कोई पहले ही बेस्ट परफॉर्म कर चुका हो तो चुनौती मुश्किल हो ही जाती है. लेकिन उन दो जाबांजों ने हिम्मत नहीं छोड़ी.


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