पहाड़ी पर स्नो लेपर्ड की तलाश करते करते ढूंढने में थक जाएंगी भी आंखें

ऑप्टिकल भ्रम वाली तस्वीरों में किसी भी चुनौती को समझ पाना है और उसे सुलझा पाना आसान नहीं होता

Update: 2022-08-02 16:38 GMT

ऑप्टिकल भ्रम वाली तस्वीरों में किसी भी चुनौती को समझ पाना है और उसे सुलझा पाना आसान नहीं होता. अगर उसमें छुपी किसी चीज़ या जीव को खोजने का चैलेंज दे दिया जाए तो समझिए उसके लिए आपको गिद्ध जैसी नज़रों और तेज दिमाग की जरूरत होगी. वरना समय पर चुनौती सुलझाने का सपना भूल जाइए. हालांकि बेहद कठिन और दिमाग को झकझोर देने वाली चुनौतियों के बावजूद लोगों को ये पहेलियां खूब पसंद आती हैं.

ऑप्टिकल इल्यूजन वाली तस्वीर में इस बार हिमालय की पहाड़ियों में दो स्नो लेपर्ड को खोजने की चुनौती मिली है. नेचुरल तस्वीर को भारत के कोलकाता के 43 वर्षीय प्रकृति फोटोग्राफर धृतिमान मुखर्जी ने अपने कैमरे में कैद किया. जहां माँ और शावक पहाड़ियों में इस कदर घुल मिल गए हैं कि पहली नजर में उन्हें पकड़ पाना बेहद मुश्किल है. हज़ारों फ़ीट ऊंची पहाड़ियों पर छिपे उन दोनों जानवरों को खोजने में दिमाग की बैंड तो बजेगी ही आपकी आंखों का तेज़ भी पता चल जाएगा.
फोटोग्राफर धृतिमान मुखर्जी के मुताबिक उन्हें शुरू से ही हिमालय की वादियों को जानवरों को अपने कैमरे में कैद करना बेहद पसंद था. इस बार तो उन्हें बिन मांगी मुराद मिल गई. माँ स्नो लेपर्ड और उसका शावक करीब 12 घंटे तक एक ही जगह पर बैठे नजर आए. उसके पहले और बाद में वो दोनों पहाड़ी पर एक तरफ से दूसरी तरफ उछल कूद करते दिखाई दे रहे थे. वो दोनों पहाड़ियों में कुछ इस कदर घुल मिल गए थे कि पहली नजर में उन्हें पकड़ पाना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. हजारों फिट की उचाई पर माँ और शावक को खेलते देख उनका तो दिन ही बन गया. तस्वीर में पहाड़ी के बिल्कुल बीचों बीच अगर आप नजरें गढ़ाकर देखेंगे तो आपको थोड़ी दूरी पर पहाड़ी के रंग में रंगे दो स्नो लेपर्ड दिखेंगे. दोनों दाहिनी तरफ भागने की पोजिशन में खड़े हैं.
पहाड़ी पर मां और शावक को खेलकूद करता देखना सुखद
भारत के लद्दाख में हेमिस राष्ट्रीय उद्यान में मां और शावक मिले, जब तापमान शून्य से तीन और शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच था. हिम तेंदुआ एक शानदार बड़ी बिल्ली है, बहुत मायावी और एक बहुत ही चतुर प्राणी है. प्रकृति फोटोग्राफर धृतिमान मुखर्जी के मुताबिक, "मैं पूरे दिन माँ और उसके शावक का पीछा कर रहा था और इलाके और उस बीहड़ वातावरण से निपटने के लिए उनके स्मार्ट दृष्टिकोण से चकित था. दिन में 12 घंटे बैठने के बाद, यह जोड़ी घूमने लगी, और मुझे कुछ शानदार पल देखने को मिले.


Similar News

-->