जोशीमठ में पीड़ितों की बढीं मुश्किलें, मौसम का मिजाज बिगड़ने से कड़ाके की ठंड हुई शुरू
नई दिल्ली। जोशीमठ में भू-धंसाव और घरों में दरारें आने के बाद अब लोगों पर एक और मुसीबत आन पड़ी है। दरअसल, अब उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में बुधवार को मौसम का मिजाज बिगड़ने से कड़ाके की ठंड ने पीड़ितों की चिंता और बढ़ा दी। सुबह से ही जोशीमठ में बादल छाए हुए हैं और सामने की ऊंची चोटियों पर हल्की बर्फ गिरने का सिलसिला शुरू हो चुका है, जिससे इलाके में सर्द हवाएं चल रही हैं और पिछले कुछ दिनों के मुकाबले अधिक ठंडक महसूस की जा रही है। मौसम के इस बदलते मिजाज ने जोशीमठ के आपदा पीड़ितों की चिंता और बढ़ा दी है। मौसम विभाग ने भी अगले कुछ घंटों में चमोली समेत अन्य हिस्सों में बारिश की संभावना जताई है। जोशीमठ में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित खतरे वाले इलाकों में घरों के आंगन और कमरों के अलावा आसपास की धरती भी फटी हुई दिख रही है और वहां गहरी दरारें हैं जो कई इंच चौड़ी हैं।
पीड़ितों का कहना है कि जोशीमठ में बारिश से इन दरारों के जरिए धरती के अंदर पानी जाने से समस्या और बढ़ेगी। राहत और बचाव में लगे राज्य सरकार के अधिकारी खतरनाक घोषित किए गए दो होटलों 'मलारी इन' और 'होटल माउंट व्यू' को पिछले दो दिनों से ढहाने की योजना बना रहे हैं लेकिन भवन स्वामियों को विश्वास में नहीं ले पाने के चलते अब तक यह कार्रवाई अटकी हुई है। पीड़ित देवेंद्र सिंह के अनुसार, पिछले एक हफ्ते में धरती में जगह-जगह आई दरारों को भरने के प्रयास शुरू किए जा सकते थे, लेकिन वह भी नहीं हो पाया। रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान से जोशीमठ आए विज्ञानियों ने अधिकारियों के सामने यह चिंता भी जताई थी। नाम नहीं छापने की शर्त पर लोक निर्माण से जुड़़े एक अधिकारी ने कहा कि विशेषज्ञ बारिश से पहले ही इन दरारों को भरने की सलाह दे रहे हैं और जोखिम वाले भवनों को हटाने के साथ ही जनजीवन की सुरक्षा के लिए इन दरारों और खड्डों को भरना अति आवश्यक बता चुके हैं। जोशीमठ में अधिकारियों का जमावड़ा लगा हुआ है लेकिन निर्णय लेने की गति अब भी रफ्तार नहीं पकड़ पायी है। अगर मौसम का मिजाज और बिगड़ा तो ठंड और बारिश के साथ इस आपदाग्रस्त इलाके में रह रहे लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।