दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने दावा किया है कि डिवाइस लगाने का उद्देश्य ईंधन की बचत करना, सुरक्षा बढ़ाना, वाहनों के स्थानों को ट्रैक करना और उनके रखरखाव का समय निर्धारित करना है।
दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर चलने वाले वाहन किसी विमान के नीचे नहीं घुसेंगे। पार्किंग एरिया में भी वाहन विमानों से नहीं टकराएंगे। दरअसल एयरपोर्ट पर चलने वाले सभी वाहनों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) डिवाइस लगाए जा रहे हैं। इससे वाहनों की ट्रैकिंग आसान होगी और उसे प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने से रोका जा सकेगा।
आईओटी डिवाइस वाहन से जुड़े हर डेटा की जानकारी एकत्रित करेगा। इसका यह भी फायदा होगा कि वाहन का इंजन तभी चलेगा होगा जब उसकी आवश्यकता होगी। इससे प्रदूषण भी कम होगा। पिछले दिनों ही एक वाहन प्रतिबंधित क्षेत्र में खड़े एक विमान के नीचे घुस गया था। इसे सुरक्षा में बड़ी चूक मानी गई थी।
इसे ध्यान में रखकर दिल्ली एयरपोर्ट पर चलने वाले वाहनों में आईओटी डिवाइस लगाने का फैसला लिया गया। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने दावा किया है कि डिवाइस लगाने का उद्देश्य ईंधन की बचत करना, सुरक्षा बढ़ाना, वाहनों के स्थानों को ट्रैक करना और उनके रखरखाव का समय निर्धारित करना है।
अहम है कि एयरपोर्ट के भीतरी क्षेत्रों में करीब 1,000 डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का उपयोग होता है। आईओटी डिवाइस सुरक्षा नियमों और गति सीमा से उल्लंघन होते ही वाहन को काबू में कर लेगा। इससे करीब नौ प्रतिशत ईंधन बचाने में मदद मिलेगी। प्रति वर्ष लगभग 8,82,200 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा।